ताजमहल में पूजा की मांग : कोर्ट ने पुरातत्व विभाग की याचिका की खारिज, नवंबर में होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने पुरातत्व विभाग की याचिका की खारिज, नवंबर में होगी अगली सुनवाई
UPT | ताजमहल

Oct 24, 2024 11:36

उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित विश्व धरोहर ताजमहल जिसे कुछ हिंदू संगठनों द्वारा "तेजोमहालय" के रूप में भी प्रस्तुत किया जाता है। एक बार फिर धार्मिक और कानूनी विवादों के केंद्र में आ गया है। योगी यूथ ब्रिगेड...

Oct 24, 2024 11:36

Agra News : उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित विश्व धरोहर ताजमहल जिसे कुछ हिंदू संगठनों द्वारा "तेजोमहालय" के रूप में भी प्रस्तुत किया जाता है। एक बार फिर धार्मिक और कानूनी विवादों के केंद्र में आ गया है। योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने सावन के महीने में ताजमहल में जलाभिषेक और अन्य हिंदू त्योहारों पर पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए अदालत में एक याचिका दायर की थी। इस मामले में बुधवार को आगरा के लघुवाद न्यायालय के न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में सुनवाई हुई। जिसमें पुरातत्व विभाग और अन्य पक्षकारों के बीच तर्क-वितर्क हुआ।

पुरातत्व विभाग के अधिवक्ता की याचिका खारिज
इस सुनवाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की तरफ से अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने नकल मुहैया कराने के लिए एक प्रार्थनापत्र दायर किया था। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। वादी कुंवर अजय तोमर के अधिवक्ता ने अदालत में बताया कि पुरातत्व विभाग के अधिवक्ताओं को पूर्व में ही सभी दावे और संशोधन प्रार्थनापत्र की नकल प्रदान की जा चुकी है। इसके बावजूद पुरातत्व विभाग बार-बार अदालत से समय मांग रहा है और सुनवाई को टालने का प्रयास कर रहा है।

वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर उठे सवाल
इस मामले में एक और पक्षकार बनने की कोशिश कर रहे सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी की तरफ से अधिवक्ता ने प्रार्थनापत्र दाखिल किया है। जिसमें ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया गया है। पिछली सुनवाई में जैदी के अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि ताजमहल इस्लामी धरोहर है और यह मकबरा शाहजहां और मुमताज के स्मारक के रूप में वक्फ बोर्ड की संपत्ति के अंतर्गत आता है। इस मुद्दे पर 12 नवंबर को सुनवाई की जाएगी। जिसमें जैदी की ओर से पक्षकार बनने के दावे की जांच की जाएगी।

ताजमहल को तेजोमहालय के रूप में मान्यता देने की मांग
कुंवर अजय तोमर की याचिका का आधार यह है कि ताजमहल एक हिंदू मंदिर "तेजोमहालय" था और इस ऐतिहासिक संरचना में भगवान शिव की पूजा का प्राचीन इतिहास है। वादी पक्ष ने अदालत में तर्क दिया कि सावन के महीने में ताजमहल में जलाभिषेक और हिंदू पूजा-अर्चना की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों का हवाला देते हुए कहा कि ताजमहल वास्तव में एक शिव मंदिर था। जिसे बाद में मुगल शासक शाहजहां ने मकबरे के रूप में परिवर्तित किया।

भारतीय संघ को बनाया गया पक्षकार
अदालत में वादी के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि भारतीय संघ को इस मामले में पक्षकार बनाया गया था लेकिन सुनवाई के दौरान संघ की ओर से कोई प्रतिनिधि अदालत में उपस्थित नहीं हुआ।

पुरातत्व विभाग पर समय टालने का आरोप
अदालत में वादी के अधिवक्ता ने पुरातत्व विभाग पर सुनवाई को बार-बार टालने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि विभाग के पास ताजमहल को मकबरा साबित करने के लिए ठोस सबूत नहीं हैं। इसके बावजूद वे समय निकालने के लिए बहाने बना रहे हैं। अदालत ने इस तर्क पर गंभीरता दिखाते हुए पुरातत्व विभाग की याचिका खारिज कर दी और अगली सुनवाई की तारीख 12 नवंबर तय की गई।

सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर पर कानूनी जंग
ताजमहल को लेकर चल रही यह कानूनी जंग भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरों पर विचारधारात्मक टकराव को उजागर करती है। ताजमहल एक विश्व धरोहर स्थल है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आता है परंतु विभिन्न हिंदू संगठनों द्वारा इसे एक प्राचीन हिंदू मंदिर के रूप में मान्यता देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इस याचिका के जरिए एक बार फिर इस विवाद को कानूनी दायरे में ले जाया गया है। जिसमें न केवल ताजमहल के ऐतिहासिक महत्व पर बहस होगी, बल्कि धार्मिक अधिकारों और संवैधानिक प्रावधानों पर भी चर्चा होगी।

12 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
अब सभी की निगाहें 12 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर हैं। जिसमें अदालत यह तय करेगी कि क्या सैयद इब्राहिम हुसैन जैदी को इस मामले में पक्षकार बनाया जाएगा या नहीं। इसके साथ ही पुरातत्व विभाग को भी अपने पक्ष को मजबूती से रखने के लिए पूरी तैयारी करनी होगी, ताकि इस मुद्दे को सुलझाया जा सके।

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