ताजमहल में लीकेज, लालकिले में सीलन : हद हो गई! चंद दिनों की बारिश में स्मारकों का बुरा हाल, रखरखाव पर उठे सवाल

हद हो गई! चंद दिनों की बारिश में स्मारकों का बुरा हाल, रखरखाव पर उठे सवाल
UPT | ताजमहल

Sep 14, 2024 11:56

आगरा में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश ने ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे ऐतिहासिक स्मारकों को नुकसान पहुंचाया है। बारिश के कारण इन प्रमुख स्मारकों की संरचना...

Sep 14, 2024 11:56

Agra News : आगरा में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश ने ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे ऐतिहासिक स्मारकों को नुकसान पहुंचाया है। बारिश के कारण इन प्रमुख स्मारकों की संरचना पर असर पड़ा है और कई जगहों पर जल रिसाव की समस्याएँ उभरी हैं। ताजमहल के प्रमुख गुंबद में पानी का रिसाव देखा गया है। शाहजहां और मुमताज की इस भव्य मकबरे की छत डबल डोम (दोहरी छत) है। जिसके ऊपर पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था की गई है। हालांकि लगातार हो रही बारिश के चलते इस व्यवस्था में कमी आई और पानी नीचे की छत पर भी पहुँच गया। जिससे कब्र के पास बूंदें गिरीं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों ने शुक्रवार को स्थिति की जांच की। डॉ. राजकुमार पटेल, वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी और एक इंजीनियरों की टीम ने मुख्य गुंबद पर रिसाव की जगहों की जांच की और पानी के रिसाव के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया। राहत की बात यह है कि जब बारिश थमी तो रिसाव भी बंद हो गया।

आगरा किला में सीलन की समस्या
आगरा किला में भी बारिश का असर देखा गया है। विशेष रूप से खास महल में लकड़ी के स्लीपर पर सीलन की समस्या उत्पन्न हो गई है। खास महल के अलावा मुसम्मन बुर्ज, दीवान ए आम और मोती मस्जिद जैसे अन्य स्मारकों की भी जांच की गई। वरिष्ठ संरक्षण सहायक कलंदर बिंद ने इन स्मारकों की स्थिति का जायजा लिया और विशेष ध्यान खास महल की सीलन पर दिया।

1652 में पहली बार हुई थी लीकेज
विश्व के सातवें अजूबे ताजमहल में पहली बार गुंबद से पानी टपकने की रिपोर्ट 1652 में प्राप्त हुई थी। मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के समय यह घटना हुई। जब उनके पुत्र औरंगजेब ने ताजमहल का दौरा किया और दिसंबर 1652 में एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि ताजमहल के मुख्य गुंबद से बारिश के दौरान उत्तर की ओर दो जगहों से पानी टपक रहा है। औरंगजेब के पत्र के अनुसार, केवल मुख्य गुंबद ही नहीं, बल्कि ताजमहल के अन्य हिस्से भी प्रभावित हुए थे। चार मेहराबदार द्वार, दूसरी मंजिल की दीर्घाएँ, चार छोटे गुंबद, चार उत्तरी बरामदे और सात मेहराबदार भूमिगत कक्ष भी नम हो गए थे। उन्होंने उल्लेख किया कि बीते साल भी मुख्य गुंबद की छत से पानी टपकने की समस्या थी, लेकिन उसे मरम्मत कर दिया गया था। इसके अलावा मस्जिद और मेहमानखाने के गुंबदों से भी पानी टपक रहा था। जिन्हें जलरोधी बनाया गया था।

जानिए कब-कब हुई ताजमहल की मरम्मत
ब्रिटिश शासन के दौरान ताजमहल की मरम्मत की कई बार आवश्यकता पड़ी, जिससे इस ऐतिहासिक स्मारक के संरक्षण और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई। वर्ष 1872 में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर के नेतृत्व में ताजमहल में मरम्मत के काम किए गए। इन मरम्मतों में मुख्य रूप से पानी के रिसाव की समस्याओं को दूर किया गया। पानी के रिसाव ने ताजमहल की संरचनात्मक अखंडता को खतरे में डाल दिया था, और इसका समाधान करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया। वर्ष 1924 में बाग खान ए आलम की दीवार गिर गई। 7 अक्तूबर 1924 को इस दीवार के गिरने के बाद, उसी साल मरम्मत का काम पूरा किया गया। दीवार का गिरना ताजमहल के संरचनात्मक संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती था, और इसे तुरंत ठीक करने के प्रयास किए गए। वहीं वर्ष 1928 में ताजमहल की शाही मस्जिद में लीक की समस्या उत्पन्न हुई। इसे जलरोधी बनाने के लिए मरम्मत की गई ताकि भविष्य में पानी के रिसाव से बचा जा सके। वर्ष 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ताजमहल के मुख्य गुंबद पर लीकेज की समस्या उत्पन्न हुई। इस लीकेज को रोकने के लिए मरम्मत का कार्य किया गया, जिससे गुंबद की संरचना की सुरक्षा सुनिश्चित की गई और उसकी स्थिरता बनी रही। वर्ष 1978 में बाढ़ के कारण ताजमहल के भूमिगत कक्षों को नुकसान पहुंचा। इसके परिणामस्वरूप, गुंबद के साथ-साथ भूमिगत कक्षों की मरम्मत की गई। बाढ़ ने ताजमहल के इस भाग को प्रभावित किया था, और उसकी मरम्मत ने संरचनात्मक अखंडता को बहाल किया।

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