फिरोजाबाद जिले में वर्ष 1981 में हुए दिहुली नरसंहार ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। गांव के 25 अनुसूचित जाति के लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, 43 साल बाद अब इस मामले की सुनवाई मैनपुरी में की जाएगी।
1981 का दिहुली नरसंहार : 25 दलितों की कर दी गई थी हत्या, रक्त से लाल हो गई थी जमीन, अब मैनपुरी में होगी केस की सुनवाई
Oct 19, 2024 14:18
Oct 19, 2024 14:18
दिहुली नरसंहार का संक्षिप्त विवरण
वर्ष 1981 में, मैनपुरी जिले के थाना जसराना के अंतर्गत आने वाले गांव दिहुली में सामूहिक नरसंहार की घटना हुई थी। इस दौरान बदमाशों के एक गिरोह ने दिनदहाड़े गांव में प्रवेश किया और अनुसूचित जाति के 25 लोगों को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया। इस घटना के बाद पूरे गांव में खूनखराबा हो गया और भय का माहौल फैल गया। नरसंहार के बाद बदमाशों ने न केवल हत्या की बल्कि कई घरों में लूटपाट भी की थी।
सामूहिक हत्या के बाद की स्थिति
इस सामूहिक नरसंहार की रिपोर्ट दिहुली गांव के निवासी लायक सिंह ने 19 नवंबर 1981 को थाना जसराना में दर्ज कराई थी। उन्होंने रिपोर्ट में राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष सिंह उर्फ संतोषा और दो महिलाओं सहित कुल 24 लोगों पर इस हत्या का आरोप लगाया था। घटना के दौरान, 24 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक घायल व्यक्ति ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। यह मामला फिरोजाबाद में कई वर्षों तक चर्चा का विषय बना रहा।
अब मैनपुरी न्यायालय में होगी सुनवाई
दिहुली कांड का मुकदमा अब मैनपुरी जिला न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। इससे पहले यह मुकदमा इलाहाबाद के अपर जिला जज कोर्ट नंबर 21 में चल रहा था। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस मामले की फाइल को मैनपुरी न्यायालय भेजा गया है, जहां अब 21 अक्टूबर 2024 को इस मामले की सुनवाई की जाएगी। न्यायालय में इस मामले की सुनवाई का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था और अब यह देखा जाना है कि 43 साल पुराने इस केस में न्याय की प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।
पीड़ित परिवारों की उम्मीदें और न्याय की आस
दिहुली नरसंहार के पीड़ित परिवार आज भी न्याय की आस में जी रहे हैं। इस घटना ने न केवल उनके अपनों को छीन लिया बल्कि उनके जीवन में एक गहरा घाव छोड़ दिया है। वर्षों से कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने के बाद, अब जब मामला मैनपुरी न्यायालय में पहुंचा है, तो पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा। उनका कहना है कि इतने वर्षों बाद भी वे अपने परिजनों की याद में आंसू बहाते हैं और इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलने की उम्मीद रखते हैं।
उच्च न्यायालय का आदेश और आगे की प्रक्रिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई मैनपुरी में किए जाने का निर्णय लिया गया। अब इस मुकदमे की सुनवाई के लिए मैनपुरी न्यायालय ने 21 अक्टूबर की तारीख तय की है। यह फैसला पीड़ित परिवारों और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस सुनवाई से लोगों को यह उम्मीद है कि इतने सालों बाद भी न्याय प्रणाली उनके दर्द और पीड़ा को समझेगी और दोषियों को उचित सजा मिलेगी।
दिहुली नरसंहार एक ऐसी घटना है, जो आज भी उत्तर प्रदेश के इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है। इस मामले की सुनवाई का स्थानांतरण न्याय की प्रक्रिया में एक नई उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है। अब यह देखना होगा कि 43 साल बाद इस मामले में न्यायालय का फैसला क्या आता है और पीड़ित परिवारों को इंसाफ मिलता है या नहीं।
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