मैनपुरी जिले के करहल स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नर्स को 5100 रुपये नेग ना मिलने पर नर्स ने नवजात बच्चे को 40 मिनट तक मेज पर रखा जिससे उसकी जान चली गई।
मैनपुरी के सीएचसी में नर्स की लापरवाही : नेग के चक्कर में चली गई नवजात की जान, सीएमओ ने दिए जांच के आदेश
Sep 30, 2024 19:45
Sep 30, 2024 19:45
ये है पूरा मामला
मैनपुरी के थाना कुर्रा के गांव ओन्हा पतारा निवासी सुजीत कुमार ने जिलाधिकारी, सीएमओ और मुख्यमंत्री को एक शिकायती पत्र भेजा है। पत्र में सुजीत ने लिखा है कि उसकी पत्नी संजली को प्रसव पीड़ा के कारण 18 सितंबर को सीएचसी करहल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान वहां मौजूद नर्स ज्योति और अन्य स्टाफ ने उनकी पत्नी के साथ न केवल अभद्रता की, बल्कि उसकी देखभाल भी सही तरीके से नहीं की।
19 सितंबर की सुबह करीब 4 बजे संजली ने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया। सुजीत के अनुसार, बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही ज्योति और अन्य स्टाफ ने उनसे 5100 रुपये की मांग की। जब उन्होंने तुरंत रुपये देने में असमर्थता जताई, तो नर्स ज्योति ने नवजात शिशु को एक कपड़े में लपेटकर मेज पर रख दिया और उसे परिवार को सौंपने से मना कर दिया।
परिवार का दर्द
परिजनों का कहना है कि वे बार-बार हाथ जोड़कर नर्स से बच्चे को देने की विनती करते रहे, लेकिन नर्स ने उनकी बात नहीं सुनी और स्पष्ट रूप से कह दिया कि जब तक पैसे नहीं मिलेंगे, बच्चा नहीं दिया जाएगा। लगभग 40 मिनट तक बच्चा मेज पर पड़ा रहा, जिससे उसकी हालत बिगड़ने लगी। जब आखिरकार 5100 रुपये का भुगतान किया गया, तब बच्चा परिजनों को सौंपा गया, लेकिन तब तक उसकी स्थिति गंभीर हो चुकी थी। परिजनों ने तुरंत इसकी जानकारी स्टाफ को दी, जिसके बाद बच्चे को सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। हालांकि, सैफई पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मृत्यु प्रसव के समय उचित देखभाल न मिलने के कारण हुई है।
मां की स्थिति गंभीर
घटना से संजली, जो अभी भी सदमे में है, बार-बार अपने बच्चे को मांग रही है। परिजनों के पास उसकी इस मांग का कोई उत्तर नहीं है, जिससे संजली की मानसिक स्थिति और खराब हो रही है। उसके पति सुजीत ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि अगर उसकी पत्नी की हालत और बिगड़ती है या उसकी जान को कोई खतरा होता है, तो इसके लिए सीएचसी करहल का स्टाफ पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।
आशा कार्यकर्ता पर भी उठे सवालत
इस मामले में क्षेत्रीय आशा कार्यकर्ता की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि प्रसव में देरी होने पर उन्होंने आशा कार्यकर्ता से डॉक्टर को बुलाने का अनुरोध किया था। आशा ने बताया कि ज्योति ही डॉक्टर हैं, लेकिन बाद में परिजनों को यह जानकारी मिली कि ज्योति कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि स्टाफ नर्स हैं।
जांच और संभावित कार्रवाई
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएमओ डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि शिकायत पत्र प्राप्त हो चुका है और मामले की जांच के लिए सोमवार को एक टीम का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर जांच में लापरवाही साबित होती है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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