हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला : M3M ग्रुप के खिलाफ ईडी की ईसीआईआर खारिज, कहा- आरोपों में कोई कानूनी आधार नहीं...

M3M ग्रुप के खिलाफ ईडी की ईसीआईआर खारिज, कहा- आरोपों में कोई कानूनी आधार नहीं...
UPT | हाईकोर्ट

Dec 22, 2024 14:05

उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय में एम3एम इंडिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर की गई प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) और दो अन्य एफआईआर को रद्द कर दिया है।

Dec 22, 2024 14:05

Prayagraj News : उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण कानूनी निर्णय में एम3एम इंडिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर की गई प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) और दो अन्य एफआईआर को रद्द कर दिया है। इस फैसले से रियल एस्टेट कंपनी एम3एम इंडिया को बड़ी राहत मिली है और इस फैसले को कंपनी के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। यह फैसला शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024 को सुनाया गया और इसके बाद कंपनी के खिलाफ शुरू की गई कानूनी कार्यवाही प्रभावी रूप से समाप्त हो गई।

ईसीआईआर और दो एफआईआर को उच्च न्यायालय ने किया खारिज
कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि एफआईआर में जो आरोप लगाए गए थे, उनका न तो कानूनी आधार था और न ही उनमें कोई ठोस तथ्यात्मक साक्ष्य मौजूद थे। अदालत ने यह भी कहा कि ये आरोप केवल संविदात्मक विवादों से जुड़े थे, जिनका निपटारा आपराधिक कानून के तहत नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला कि आरोपों में किसी तरह की आपराधिक कार्यवाही की कोई आवश्यकता नहीं थी और यह केवल एक व्यावसायिक विवाद था।

यह है पूरा मामला
साल 2023 में दर्ज की गई दो एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि एम3एम इंडिया और अन्य संबंधित कंपनियों के बीच लेन-देन में वित्तीय नुकसान हुआ था और संपत्तियों का अवमूल्यन भी किया गया था। इन एफआईआर के आधार पर ईडी ने एम3एम इंडिया के खिलाफ ईसीआईआर दायर किया था, जो कि आर्थिक अपराधों की जांच में एक अहम कदम था। हालांकि, उच्च न्यायालय ने अपनी विस्तृत सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया कि इन मामलों में आपराधिक कार्यवाही की कोई जगह नहीं थी और इसे सिविल या मध्यस्थता प्रक्रिया के जरिए हल किया जाना चाहिए था।

आरोपों में कोई कानूनी आधार नहीं
इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि एफआईआर और ईसीआईआर में लगाए गए आरोप केवल संविदात्मक असहमति को दर्शाते थे, जो आपराधिक कानून के तहत नहीं आ सकते। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि इन दस्तावेजों में आपराधिक इरादे का कोई ठोस प्रमाण नहीं था। इसके साथ ही, अदालत ने शिकायत दर्ज करने में हुई देरी को भी ध्यान में रखा, जिससे एफआईआर की वैधता पर और सवाल उठते हैं।



एम3एम इंडिया को कानूनी कार्यवाही से राहत
इस फैसले के बाद एम3एम इंडिया को न केवल कानूनी राहत मिली है, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा भी बरकरार रही है। कंपनी ने इस फैसले पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा, “हम माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हैं, जो न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों को बनाए रखता है। यह निर्णय हमारे व्यवसायिक मूल्यों और नैतिक प्रथाओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है। हम अब अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में ईमानदारी से अपना योगदान जारी रखेंगे।”

कंपनी का बयान
इस फैसले ने यह स्पष्ट किया कि वाणिज्यिक विवादों को आपराधिक कानून के तहत नहीं लाया जा सकता और संविदात्मक असहमति को सही तरीके से सुलझाने के लिए उचित मंचों का उपयोग किया जाना चाहिए। एम3एम इंडिया के खिलाफ लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए अब कंपनी अपनी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार है और भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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