मथुरा के वृंदावन में क्रूज का संचालन कई महीनों से समस्याओं का सामना कर रहा है। पिछले 6 महीनों में इसे लगातार किसी न किसी कारण परेशानी का सामना करना पड़ा है...
6 महीने से यमुना पर अटका क्रूज : CM योगी ने किया था उद्घाटन, ऋषि के श्राप के डर से गरुड़ की जगह रखा बृज रथ नाम
Dec 10, 2024 12:42
Dec 10, 2024 12:42
संचालन के समस्याओं के बीच हुआ विरोध
गरुड़ क्रूज के संचालन में समस्याएं शुरू होते ही विवाद उठने लगे। यमुना में नाव चलाने वाले नाविकों ने इसके संचालन का विरोध किया। नाविकों का विरोध दो महीने तक जारी रहा, जिसके बाद किसी तरह कंपनी ने इसका ट्रायल शुरू किया। हालांकि, ट्रायल के दौरान पानी की कमी और तकनीकी समस्याओं के कारण लगातार रुकावटें आती रहीं। इसी बीच, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा आए मुख्यमंत्री ने ब्रज क्षेत्र के विकास के लिए 1037 करोड़ रुपये के कार्यों की घोषणा की, जिसमें क्रूज का भी समावेश था।
इस वजह से शुरू नहीं हो सका संचालन
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद भी क्रूज का संचालन शुरू नहीं हो सका, हालांकि मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था। लेकिन लगातार कोई न कोई समस्या सामने आ रही थी। कभी यमुना में पानी की अधिकता तो कभी कमी, जिससे इसके संचालन में बार-बार दिक्कतें आती रही। क्रूज के संचालन में विफलता के कारण मथुरा क्रूज़ लाइन्स प्राइवेट लिमिटेड और ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अधिकारी भी परेशान हो गए। इन समस्याओं को लेकर कंपनी के अधिकारियों ने इसके कारणों पर विचार किया, और अंत में किसी ने क्रूज का नाम बदलने का सुझाव दिया। इसके बाद कंपनी ने क्रूज का नाम गरुड़ से बदलकर बृज रथ रखने का फैसला लिया, ताकि नाम से जुड़ी किसी भी बाधा को दूर किया जा सके।
ऋषि के श्राप के डर से बदला नाम
कंपनी ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया कि क्रूज का नाम बदलकर अब बृज रथ रख दिया गया है। पहले इसका नाम "गरुड़" था, लेकिन हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ को एक श्राप का सामना करना पड़ा था। इस धार्मिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने नाम बदलने का निर्णय लिया है। कंपनी ने यह भी बताया कि हाल के दिनों में क्रूज गरुड़ को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जिन्हें हल करने के लिए इसे पौराणिक कथाओं में वर्णित गरुड़ के श्राप से जोड़ा जा रहा था। कंपनी का मानना है कि नाम बदलने के बाद इन बाधाओं को दूर किया जा सकेगा और एक नई शुरुआत की जा सकेगी।
मथुरा के जिलाधिकारी ने की क्रूज की पहली यात्रा
नई नामकरण के साथ बृज रथ क्रूज की पहली यात्रा मथुरा के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने अपने परिवार के साथ की। उन्होंने क्रूज़ का आनंद लिया और औपचारिक रूप से इसका नया नाम बज रथ घोषित किया। जिलाधिकारी ने इस पहल की सराहना की और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया एक अनुकरणीय कदम बताया। कंपनी के निदेशक राहुल शर्मा ने बताया कि बृज रथ क्रूज़ सेवा का मुख्य उद्देश्य स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटकों को यमुना नदी के शांतिपूर्ण वातावरण में भगवान कृष्ण की पवित्र भूमि का अनुभव कराना है। इस क्रूज़ यात्रा के दौरान पर्यटक न केवल मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं का भी अनुभव कर सकते हैं।
कंपनी के प्रवक्ता ने बताया...
कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि उनका उद्देश्य मथुरा और वृंदावन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को सशक्त बनाना है। क्रूज़ का नाम बदलने का निर्णय उन्होंने अपने यात्रियों की भावनाओं और धर्म के प्रति सम्मान को ध्यान में रखते हुए लिया है। उनका मानना है कि बृज रथ क्रूज़ जल्द ही एक अनोखे आकर्षण के रूप में स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय होगा, जिससे मथुरा और वृंदावन क्षेत्र में पर्यटन और धार्मिक महत्व को और भी मजबूती मिलेगी।
इसलिए मिला था गरुड़ को श्राप
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृंदावन के सुनरख गांव में सौभरी ऋषि रहते थे, जो अपनी तपोस्थली में यमुना किनारे भजन करते थे। यमुना नदी में रहने वाले सांप और अन्य जलचरों ने उनसे विनती की कि वे उन्हें गरुड़ से बचाएं। इसके बाद, सौभरी ऋषि ने गरुड़ को श्राप दिया कि वह वृंदावन की सीमा से बाहर रहें। इसी कारण से वृंदावन से कुछ किलोमीटर दूर गरुड़ का मंदिर स्थित है।
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