अब मंगलवार (17 सितंबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी...
मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद : हाईकोर्ट का फैसला बरकरार, एक साथ सुनी जाएंगी हिंदू पक्ष की सभी याचिकाएं
Sep 17, 2024 23:21
Sep 17, 2024 23:21
अब मंगलवार (17 सितंबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी।
एक ही नेचर की हैं सभी याचिकाएं
बता दें कि 1 अगस्त को हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष की 18 याचिकाएं एक साथ सुनने का फैसला सुनाया था। मुस्लिम पक्ष ने इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हिंदू पक्ष का कहना है कि सभी याचिकाएं एक ही नेचर की हैं इसलिए एक साथ सभी सुनी जाएं।
मुस्लिम पक्षकारों की दलीलें
- समझौता 1968 का है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। मुकदमा सुनवाई लायक नहीं है।
- प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत मुकदमा आगे ले जाने के काबिल नहीं है।
- 15 अगस्त 1947 के नियम के तहत जो धार्मिक स्थल जैसा है वैसा रहे, उसकी प्रकृति नहीं बदल सकते।
- लिमिटेशन एक्ट और वक्फ अधिनियम के तहत इस मामले को देखा जाए।
- वक्फ ट्रिब्यूनल में सुनवाई हो, यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला नहीं है।
- ढाई एकड़ में बनी शाही ईदगाह कोई मस्जिद नहीं है।
- ईदगाह में केवल साल भर में 2 बार नमाज पढ़ी जाती है।
- ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया भगवान कृष्ण का गर्भगृह है।
- सियासी षड्यंत्र के तहत ईदगाह का निर्माण कराया गया था।
- प्रतिवादी के पास कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है।
- मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है।
- जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है।
- बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित कर दी।
- भवन पुरातत्व विभाग से संरक्षित घोषित है।
- पुरातत्व विभाग (ASI) ने इसे नजूल भूमि माना है। इसे वक्फ संपत्ति नहीं कहा जा सकता।
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