आधुनिकता की इस दौड़ में धीरे धीरे रामलीलाओं का मंचन कम हो गया हो, लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में रामलीलाओं का मंचन होता है, जो हमारी संस्कृति को दर्शाता है। इनमें से ताज नगरी की उत्तर मध्य रेलवे स्थित...
Agra News : 52 वर्षों से गोवर्धन स्टेडियम में हो रहा रामलीला का मंचन, जानें क्या है विशेषता...
Oct 12, 2024 17:12
Oct 12, 2024 17:12
रेलवे के कर्मचारी निभाते हैं किरदार
रामलीला के मंच पर कलाकार भले ही अलग अलग पात्रों का किरदार निभाते हों, लेकिन उनके दिल में उस स्वरूप की छवि उस वक़्त हमेशा रहती है, जब वो मंच पर अपना अभिनय कर रहे होते हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला आगरा के कैंट क्षेत्र में, जहां उत्तर मध्य रेलवे संस्थान द्वारा रामलीला पिछले 52 वर्षों से आयोजित की जा रही है। यहां दस दिनों तक चलने वाली रामलीला में रेलवे में कार्य करने वाले कर्मचारी और उनके परिवार के लोग ही अलग अलग भूमिका निभाते हैं। इन्हीं में से कोई रावण बनता है तो कोई राम और मेघनाथ तो कोई हनुमान।
सारे काम खुद करते हैं कलाकार
कुछ रामलीलाएं ऐसी हैं, जो अपने आप में खास महत्व रखती हैं, इन्ही में से एक है आगरा कैंट की रामलीला। आगरा में उत्तर मध्य रेलवे संस्थान में होने वाला रामलीला महोत्सव भी अपने आप में खास है, क्योंकि इसमें अभिनय करने वाले स्थानीय कलाकार रेलवे कर्मचारी ही हैं। कोई हिन्दू है, तो कोई मुस्लिम। सभी मिलकर एक साथ वर्षों से इस किरदार निभा रहे हैं। आगरा कैंट में होने वाली रामलीला के कलाकार कहते हैं कि उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता है, जब स्टेज पर अभिनय करते हैं। इस दौरान वह अपने कैरेक्टर में इस तरह से खो जाते हैं कि मानो स्वयं वह खुद ही राम हैं या रावण। रामलीला के कलाकार सारा काम अपने हाथ से करते हैं। मंच को सजाने का काम हो या कलाकारों के रूप सज्जा का काम, या फिर रावण के पुतले को बनाने का काम। रोजाना रात 09 बजे कलाकार रामलीला की प्रस्तुति देते हैं और जनता उन्हें देखकर अपनी संस्कृति को याद करती है।
क्या कहते हैं आयोजक
रामलीला के आयोजक राकेश कन्नौजिया का कहना है कि आधुनिकता की दौड़ में बेशक लोगों का रूझान रामलीलाओं के प्रति कम हुआ हो, लेकिन रामलीलाओं के आयोजन को लेकर हम लोगों का जोश कम नहीं हुआ है। 10 दिवसीय रामलीला मंचन में दर्शकों की कोई कमी नहीं है। देर शाम होते ही यहां पर दर्शकों का आना शुरू हो जाता है, जो देर रात तक रामलीला के मंचन के समाप्त होने तक टिके रहते हैं। राकेश कनौजिया ने बताया कि रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों में 5/6 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक के लोग शामिल हैं। बच्चों में उत्साह देखते ही बनता है। पहले कलाकारों बमुश्किल मिलते थे, लेकिन अब कलाकारों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है। यह दर्शाता है कि आज भी हमारी संस्कृति जीवंत है और युवा अपनी संस्कृति के प्रति रूझान बढ़ा रहे हैं। राकेश कनौजिया ने बताया कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामलीला मंचन है। इसलिए इस बार रामलीला आयोजन ने रामलीला महोत्सव की थीम अयोध्या नगरी पर ही रखी है।
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