सीरिया में तख्ता पलट की घटना के बाद से दुनियाभर में चर्चा में है। लगभग 400 साल पहले मुगलकाल में सीरिया के कांचों से आगरा के किले के शीशमहल और मकबरे को चमकाया गया था...
दक्षिण-पश्चिम एशिया : मुगलकाल में सीरिया के कांचों से बना आगरा का शीशमहल, ताजमहल को भी बनाया खास
Dec 11, 2024 17:21
Dec 11, 2024 17:21
1631-40 के बीच हुई शीशमहल की स्थापना
मुगल काल के बदशाह शाहजहां ने 1631-40 के बीच आगरा के किले की स्थापना की थी। इस शीशमहल के लिए सीरिया के हलब से कांच का सहारा लिया गया था। मुगल काल में शाहजहां ने दिल्ली और लाहौर के किलों में भी शीशमहल की नींव रखी। इन दोनों जगहों पर भी सीरिया के हलब से ही शीशे आए थे। इन्हें बेहद छोटे-छोटे मॉडलों में प्लास्टर के साथ दीवारों, छतों पर लगाया गया था, जिसमें एक दीपक या एक ही मोमबत्ती की रोशनी में पूरा शीशमहल जगमगा जाता था। इसी तरह से वीआईपी (VIP) मेहमानों के लिए शीशमहल की प्रदर्शनी देखने को मिलती है।
अनोखा था सीरिया का शीशा
मुगलकाल में शीशमहल के साथ विद्वानों के मुख्य मकबरे में कांच भी सीरिया से ही आया था। यह अत्यंत अनोखा था। शाहजहां के इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी के अनुसार, ये शानदार दर्पण हलब (सीरिया) के थे जो उस समय दूसरे पक्ष के निर्माण का मुख्य केंद्र थे। इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी का मानना है कि शीशमहल भारत में अपनी तरह के कांच के काम में सबसे बेहतरीन इमारत है।
हलब का कांच सबसे अच्छा था
पुरातत्वविद आरके दीक्षित का कहना है कि मुगलकाल में सीरिया से आए शीशा-ए-हलबी से आगरा किले का शीशमहल चमका था। उस दौर में हलब का कांच सबसे उत्तम और बेहतर था, जिसकी विशेषताओं के कारण इसे इस्तेमाल किया गया था। हालांकि शीशमहल से जब कुछ कांच के टुकड़े गायब हो गए थे, तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1978-81 में कांचमहल स्थापित किया और उसके बाद से ही यह पर्यटकों के लिए बंद है।
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