अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : आगरा की एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ ने कहा- खुद को दायरे में न बाधें महिलाएं, रखें ऊंची उड़ान की तमन्ना 

आगरा की एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ ने कहा- खुद को दायरे में न बाधें महिलाएं, रखें ऊंची उड़ान की तमन्ना 
UPT | आगरा की एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ

Mar 08, 2024 15:38

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में आज महिलाएं अपने कार्यबल, टेलेंट एवं क्षमताओं के दम पर उन क्षेत्रों का नेतृत्व कर रही हैं, जिन पर कभी पुरुषों का आधिपत्य हुआ करता था। आज नारी शक्ति पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है। महिलाएं भारत सहित विश्व के कई देशों की राष्ट्रध्यक्ष हैं। आज भारत में ही महिलाएं ऑटो...

Mar 08, 2024 15:38

आगरा : भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में आज महिलाएं अपने कार्यबल, टेलेंट एवं क्षमताओं के दम पर उन क्षेत्रों का नेतृत्व कर रही हैं, जिन पर कभी पुरुषों का आधिपत्य हुआ करता था। आज नारी शक्ति पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही है। महिलाएं भारत सहित विश्व के कई देशों की राष्ट्रध्यक्ष हैं। आज भारत में ही महिलाएं ऑटो से लेकर बस, ट्रेन, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और सेना में अधिकारी ही नहीं हैं, बल्कि फाइटर प्लेन तक उड़ा रही हैं। यह इसलिए नहीं है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही हैं, यह एक फैक्टर हो सकता है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए महिलाओं ने कठिन परिश्रम किया है। उत्तर प्रदेश टाइम्स के आगरा संवाददाता प्रदीप कुमार रावत ने एक ऐसी ही परिश्रमी महिला पुलिस अधिकारी से विशेष बात की, जिनके ब्लड में पुलिस का ही खून दौड़ता है। वह उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे में एक बड़े ओहदे पर हैं। यहां पर भी सरकार की अपेक्षाओं के अनुसार तो काम कर ही रही हैं, इसके साथ ही महिला किस तरीके से सशक्त हो सकती है और उनके माध्यम से महिलाओं को किस तरीके से बढ़ावा दिया जा सकता है, उस पर भी काम कर रहीं हैं। हम बात कर रहे हैं साल-1995 बैच की आईपीएस अधिकारी अनुपम कुलश्रेष्ठ का। पेश है विश्व महिला दिवस पर अनुपम कुलश्रेष्ठ से बातचीत के प्रमुख अंश...

निष्ठा से निभाती हैं जिम्मेदारी
आईपीएस अनुपम कुलश्रेष्ठ आगरा में अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात हैं। उनके अधीन करीब सात जनपद हैं। इन जनपदों में क्राइम कंट्रोल की एक बड़ी जिम्मेदारी इनके कंधों पर है, जिसको पूरी निष्ठा के साथ निभाती हुई दिखाई दे रही हैं। अनुपम कुलश्रेष्ठ ADG आगरा जोन का पदभार ग्रहण करने से पहले अपर पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश ट्रैफिक रहीं। इसके साथ ही उनके पास ADG 1090 का भी अतिरिक्त चार्ज रहा। अनुपम कुलश्रेष्ठ पहली ऐसी महिला आईपीएस अधिकारी हैं, जो आगरा जोन में एडीजी पद पर तैनात हुईं हैं।

यूपी में काम करने का बेहतर मौका
एडीजी जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ ने बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ-साथ CRPF में भी केंद्रीय प्रतिनियुक्त के दौरान बड़ा समय बिताया है। इसके साथ राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद में भी तैनाती रहीं हैं। केंद्रीय तैनाती के दौरान बहुआयामी कार्य करने का मौका मिला। सीआरपीएफ में बहुआयामी रोल निभाने के लिए अपॉर्चुनिटी मिली। उसके बाद साल-2022 में वापस यूपी लौटी हूं। मैं उत्तर प्रदेश में सवा साल ट्रैफिक की प्रभारी रही, जहां पर हमने ट्रैफिक व्यवस्था में काफी आमूल-चूल परिवर्तन का प्रयास किया है। मैं पिछले 6 माह से अपर पुलिस महानिदेशक आगरा जोन हूं, जिसके अंतर्गत सात जनपद आते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे एक बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्होंने मुझ पर विश्वास जताते हुए आगरा जोन का प्रभार दिया है। सीएम ने मुझ पर विश्वास जताते हुए अहम जिम्मेदारी सौंपी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिला सशक्तिकरण का बिगुल बजाया है। महिला अधिकारियों को उत्तर प्रदेश में प्राथमिकता मिल रही है। यहां काम करने का बेहतर और अच्छा माहौल मिल रहा है।

सहायता करके मिलता है संतोष
आप अहम पदों पर रहते हुए पीड़ित महिलाओं की सहायता करने के बाद कैसा फील होता है। इस सवाल के जवाब में अनुपम कुलश्रेष्ठ ने कहा, हम ऐसे प्रोफेशन में आते हैं जहां पर नियमित रूप से महिलाओं की सहायता करने से सुकून मिलता है। पुलिस एक ऐसा विभाग है, जहां पर हम महिलाओं की नियमित रूप से सहायता कर सकते हैं। यह प्रक्रिया नियमित रूप से होती। 'जस्टिस हैज़ बी प्रोवाइडेड।' पीड़ित महिलाओं को न्याय देना हमारा कर्तव्य है। यह प्रतिदिन का काम है। यह काम करने से किसी भी पुलिसकर्मी को बहुत सुकून और संतोष मिलता है। जब किसी पीड़ित महिला को न्याय दिला सकें या उनको न्याय दे सकें, इससे बड़ा कोई संतोष नहीं हो सकता।

बहुत प्रोग्रेसिव स्टेट हो गया है यूपी 
पिछले 10 वर्षों के दौरान यूपी में किस तरह का बदलाव देखने को मिला। इस सवाल में उन्होंने कहा, आज उत्तर प्रदेश बहुत ही प्रोग्रेसिव स्टेट हो गया है, जहां पर लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति एग्जेमप्लेरी हो गई है। आज उत्तर प्रदेश रोल मॉडल के रूप में भारत के सभी प्रांतों में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि आज देश में ही नहीं, विदेशों में भी उत्तर प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति की चर्चा हो रही है। विदेश में उत्तर प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर की चर्चा एक गौरव के प्वाइंट व्यू से हो रही है। आज महिलाएं उत्तर प्रदेश में सेफ हैं, सशक्त हैं और उन्हें यहां एक अच्छा वातावरण दिया जा रहा है कि वह अपनी दैनिक दिनचर्या अच्छी तरह पूरा कर सकें।

तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कर रही पुलिस
एडीजी अनुपम ने कहा कि टेक्नोलॉजी के मामले में भी मुख्यमंत्री बहुत प्रोग्रेसिव काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस भी तकनीकी का प्रयोग करते हुए दिखाई देती है। पुलिस इंफ्रास्ट्रक्चर में भी आज अनुदान की कोई कमी नहीं है। यहां पर प्रो पुलिस वातावरण है। यूपी में रूल आफ लॉ को कायम किया गया है। एक प्रोग्रेसिव सोसायटी के लिए इन सभी की जरूरत है।

यह बहुत अच्छा ट्रेंड है 
बीते 10 वर्षों में महिलाओं में बदलाव के बाबत अनुपम कुलश्रेष्ठ ने उत्तर प्रदेश टाइम्स को बताया कि जब ऊपर से क्लेरिटी आफ विजन का थॉट होता है कि जो महिलाएं हैं, उनका भी योगदान उतना ही महत्पूर्ण है, जितना कि पुरुषों का। ऊपर से ऐसे थॉट होते हैं तो लाइफ ऑफ लिविंग क्लियर रहता है, तो स्वाभाविक है कि डाउन द लाइफ वह बदलाव आए। ऐसे चेंज पुलिस विभाग में आए हैं, क्योंकि महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनकी स्वीकार्यता बढ़ रही है और एक डाउन द लाइन यह सोच बन रही है कि जितनी भूमिका पुरुषों की है, उतनी ही महिलाओं की है, यह एक बहुत अच्छा ट्रेंड है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा भी महिला सशक्तिकरण को लेकर मुख्यमंत्री के अभियान मिशन शक्ति के अंतर्गत ही महिलाओं में जागृति लाने की कोशिश की गई है। उनका यह 81 दिवसीय कार्यक्रम का पहला चरण था। जिसमें चार मुद्दों पर जागृति को इंटेंसिव कम्युनिटी, आउट रीच प्रोग्राम के रूप में एक्सरसाइज किया गया। इसमें पीड़ित महिलाओं को उनको मेनस्ट्रीम में जोड़ना, उनकी काउंसलिंग कराकर प्रयास किया गया कि जो भी सरकारी योजनाएं हैं, उनके माध्यम से पीड़ित महिलाओं को लाभ दिलाया जाए, उसे लाभ से जोड़ने का हमने प्रयास किया है।

महिला अपराध में 22 फीसदी की कमी
उन्होंने बताया कि नाबालिग बच्चियां प्रेम प्रसंग के चलते घर छोड़कर चली जाती हैं। ऐसे केसेज में हम अभिभावकों को कैसे समझाएं, संवाद की स्थिति बच्चों एवं पेरेंट्स में कैसे स्थापित करें, इसके लिए जागरुकता फैलाई गई है। साइबर फ्रॉड पर प्रभावी अंकुश लग सके, इसको लेकर भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो साइबर क्राइम और साइबर फ्रॉड हो रहे हैं, उसमें किस तरीके से साइबर सेफ्टी के रूल्स को हम अपनाएं, ताकि कोई भी बच्ची या महिला किसी भी साइबर फ्रॉड या साइबर स्टॉकिंग क्राइम का शिकार ना हो। यह अभियान बहुत सफल रहा। इसमें एनजीओ, प्रशासन को साथ लिया गया और पुलिस ने भी इसमें पहल की। इसको उत्तर प्रदेश सरकार ने भी प्रोत्साहित किया है। इसके चलते आगरा जोन में महिला अपराध में 22% की कमी देखने को मिल रही है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।

अपने स्तर पर बदलाव की कोशिश
अनुपम कुलश्रेष्ठ ने बताया कि हर अधिकारी प्रयासरत रहता है कि वह अपने छोटे दायरे में ही बदलाव लाने का प्रयास करे। मेरा यह हमेशा प्रयास रहा है कि मैं जहां भी रही हूं, वहां पर बदलाव लाने की कोशिश में कोई भी कमी न रहे। चाहे वह टेक्नोलॉजी से जुड़ा हो या सामाजिक रिफॉर्म का प्रयास हो। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, महोबा, पीएसी कमांडेंट, रांची में सिटी एसपी, बिहार के पलामू में जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, में भी बदलाव लाने का प्रयास किया है। मैं CRPF में भी रही हूं। यहां पर मैंने थिएटर का बहुत काम किया और देखा है। यहां पर जो भी मुझे जिम्मेदारी दी गई, उसको पूरा करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ में रहने के दौरान छत्तीसगढ़, कश्मीर, नॉर्थ ईस्ट में काम करने के दौरान बहुआयामी रोल निभाने को मिला। दायरे में रहकर जो सर्वश्रेष्ठ कर सकती थी, वह करने का प्रयास किया है।

खुद को लीडर के रूप में देखा
जब उनसे पूछा गया कि उनके साथ कभी जेंडर के रूप में भेदभाव किया गया है। उन्होंने बेबाक़ी के साथ में कहा कि मैंने कभी नहीं देखा कि मेरे साथ ऐसा किसी तरह का व्यवहार हुआ है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने छात्र जीवन में भी खुद को लड़की या लड़का नहीं समझा, बल्कि सिर्फ एक छात्र के रूप में खुद को देखा है। उन्होंने कहा कि यह आप मेरी परवरिश के रूप में देखें या फिर अन्य नज़रिए से। हम चार बहनें थीं। हमारे पेरेंट्स ने कभी एहसास नहीं होने दिया कि हम लड़कों से अलग हैं। उन्होंने कहा कि मुझे एक बहुत ही सुदृढ़ माहौल मिला है। यह सोच मिली है कि हम लड़कों से बेहतर हासिल कर सकते हैं। मैंने एक छात्र के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया है। जब मैं पुलिस सर्विसेज में आई तो खुद को कभी लेडी ऑफिसर या फेल ऑफिसर के रूप में नहीं देखा, बल्कि एक लीडर के रूप में देखा।

संघर्ष से मिलता है कामयाबी का रास्ता
जब उनसे पूछा गया कि पुलिस की नौकरी में रहते हुए परिवार को कैसे संतुलित रखती हैं। उन्होंने कहा कि रामकाजी महिलाओं को परिवार के साथ रहते हुए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वह भी विशेष तौर पर पुलिस में रहते हुए। पुलिस जैसी नौकरी में महिलाओं के लिए संघर्ष भरा रहता है। इसमें आपका परिवार का सपोर्ट में रहे या आप ऐसा सपोर्ट सिस्टम तैयार करें कि बच्चों की परवरिश हो जाए। मैंने भी ऐसा ही करने का प्रयास किया है। निश्चित ही महिलाओं के लिए चुनौती भरा समय रहता है, लेकिन धैर्य नहीं खोना चाहिए। संघर्ष ही जीवन है तो संघर्ष को साथ लेकर चलेंगे तो सब आसान हो जाता है।

धैर्य के साथ अपने सपने साकार करें
अनुपम कुलश्रेष्ठ ने महिलाओं को प्रेरणा देने के बाबत कहा कि महिलाओं को अपनी सोच को छोटा नहीं रखना चाहिए। इस तरह की सोच रखें कि वह हर चीज कर सकती है, जो एक पुरुष कर सकता है। खुद को किसी दायरे में नहीं बांधें। महिलाओं को अपनी सोच को एक सीमा में नहीं रखना चाहिए, बल्कि आसमान में उड़ने की तमन्ना रखनी चाहिए। एडीजी जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ ने महिलाओं के लिए कहा कि आप अच्छी शिक्षा ग्रहण करें, अपने सभी सपने साकार करें। हिम्मत, धैर्य एवं मैच्योरिटी के साथ किसी भी परिस्थिति में घबराए बिना उनका मुकाबला करना चाहिए। अनुपम कुरश्रेष्ठ ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि हमारा वातावरण इस तरह का हो, जो समाज की जिम्मेदारी है, पेरेंट्स की जिम्मेदारी है, परिवार की जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी सरकार की भी है कि हमे एक ऐसा वातावरण दे, जिसमें लड़कियां आगे आएं और हिम्मत के साथ काम करें। 

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