पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलने से रोकने के लिए सैटेलाइट से निगरानी की जा रही है। जुर्माना भी लगाया जा रहा है। लेकिन किसान हैं कि मानने को तैयार नहीं है।
पराली जलाने में अलीगढ़ सबसे आगे : जुर्माना लगाने के बावजूद नहीं मान रहे किसान, आखिर क्या है वजह?
Oct 17, 2024 13:49
Oct 17, 2024 13:49
- पराली जलाने में अलीगढ़ सबसे आगे
- वसूला गया तगड़ा जुर्माना
- फिर भी नहीं नहीं मान रहे किसान
वसूला गया तगड़ा जुर्माना
अलीगढ़ मंडल में सामने आए 128 मामलों में अकेले 114 अलीगढ़ के हैं। यहां विभाग ने 52500 रुपये का जुर्माना वसूला है। अलीगढ़ के बाद दूसरे नंबर पर हाथरस है। यहां कुल 9 मामले सामने आए हैं. हाथरस में किसानों से 7500 रुपये का जुर्माना वसूला गया है। इसके अलावा एटा में पराली जलाने की 4 घटनाएं हुईं, जहां 5000 रुपये का जुर्माना वसूला गया, जबकि कासगंज में 1 घटना हुई। यहां 2500 रुपये का फाइन लगाया गया।
क्येों नहीं मान रहे किसान?
दरअसल पराली जलाने की सबसे बड़ी वजह जागरूकता की कमी है। किसानों को लगता है कि खेतों में बची पराली को खत्म करने का सबसे आसान साधन उसे जला देना है, क्योंकि मशीन से इसकी कटाई काफी महंगी है और जो काम 10 रुपये के मिट्टी के तेल और माचिस से हो जाए, उसके लिए कोई पैसे क्यों ही खर्च करेगा। लेकिन किसान इस बात से अनजान हैं कि पराली जलाने से न सिर्फ प्रदूषण होता है, बल्कि इससे खेत की पैदावार क्षमता भी प्रभावित होती है।
पराली का कैसे करे उपाय?
पूरे क्षेत्र में पराली को जलने से रोकने सैटेलाइट से निगरानी की जा रही है। कृषि निदेशक यशराज सिंह के मुताबिक, पराली के अवशेष को सड़ा कर या मिट्टी में मिलाकर खाद बनाया जा सकता है। इसके लिए 200 लीटर पानी में 2 किलो गुड़ और 1 डिब्बी वेस्ट डिकम्पोजर मिलाकर रख लें और सात दिन बाद इसे एक एकड़ में स्प्रे करने से 20 से 25 दिन में पराली सड़कर खाद बन जाएगी। वहीं पराली को गौशाला में भी दान कर सकते हैं। मशरूम उत्पादन और मुर्गी पालन में भी पराली उपयोगी है। इसके अलावा मशीनों से इसकी कटाई भी की जा सकती है।
कितना लग रहा जुर्माना?
पराली जलाने पर कई तरह की रासायनिक गैसें निकलती हैं, जो बीमारियों को पैदा करती हैं। विभाग लगातार किसानों से ऐसा न करने की अपील कर रहा है। पराली जलाने वाले किसानों पर तगड़ा जुर्माना भी लगाया जा रहा है, जिससे सख्ती की जा सके। दो एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले खेत में पराली जलाने पर 2500 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। वहीं 2 से 5 एकड़ वाले खेत के लिए 5000 रुपये और 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले खेत के लिए 15000 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है।
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