AMU : प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले कुरान और हदीस के सवाल हटाए गए, मुगलों पर पूछे जाएंगे सवाल

प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले कुरान और हदीस के सवाल हटाए गए, मुगलों पर पूछे जाएंगे सवाल
UPT | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय।

May 05, 2024 00:02

कुछ लोगों ने AMU प्रशासन पर सिलेबस में शामिल इंडो इस्लामिक सिलेबस से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। एएमयू प्रबंधन पर जानबूझकर किसी विशेष भाग को हटाने के आरोप है।

May 05, 2024 00:02

Short Highlights
  • यूजीसी के नियमों के तहत किया गया बदलाव 
  • इंडो इस्लामिक सिलेबस से छेड़छाड़ का लगा आरोप 
  • प्रवेश परीक्षा में 10 अंकों के सवाल इंडो-इस्लामिक सिलेबस पर है
  • शैक्षणिक सत्र 2024-2025 की प्रवेश परीक्षा के लिए बदला नियम
Aligarh News : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा में पूछे जाने वाले शरिया के सवाल हटाए गए हैं। दरअसल कक्षा-11 की प्रवेश परीक्षा में इंडो इस्लामिक विषय पर सवाल पूछे जाते हैं। 11 मई को कक्षा-11 की प्रवेश परीक्षा होनी है। 100 अंक की प्रवेश परीक्षा में 10 अंक के सवाल इंडो-इस्लामिक भाग से पूछे जाते हैं। इसमें तीन सवाल अकिदा, इबादत, रसूल का व्यक्तित्व, कुरान, हदीस से संबंधित आते थे, जो कि इस बार अब नहीं आएंगे। इन सवालों की जगह मुगल काल से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे। हालांकि 11वीं कक्षा की प्रवेश परीक्षा में सिलेबस बदलाव को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्टीकरण भी जारी किया है। 

इंडो इस्लामिक सिलेबस से छेड़छाड़ का लगा आरोप 
कुछ लोगों ने AMU प्रशासन पर सिलेबस में शामिल इंडो इस्लामिक सिलेबस से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। एएमयू प्रबंधन पर जानबूझकर किसी विशेष भाग को हटाने के आरोप है। वहीं विश्वविद्यालय की नई कुलपति प्रो. नईमा खातून की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि इस तरह की बातें आधारहीन और मनगढ़ंत हैं। 

प्रवेश परीक्षा में 10 अंकों के सवाल इंडो-इस्लामिक सिलेबस पर है
 विश्वविद्यालय प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि कक्षा-11 और बीए की प्रवेश परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन विश्वविद्यालय की प्राचीन परंपरा के अनुसार किया गया है। इसके तहत विभिन्न परीक्षाओं के पाठ्यक्रम को समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है और ये संशोधन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों के अनुसार भी हैं। कक्षा-11की प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल 10 अंकों के इंडो-इस्लामिक खंड को संशोधित कर इस खंड के लिए आवंटित अंकों के अनुरूप बनाया गया है। इस बात पर काफी समय से विचार चल रहा है कि जो छात्र 11वीं कक्षा में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनसे 10 अंकों के लिए कितने विषय पूछे जा सकते हैं। इसके अलावा यह सवाल भी विचाराधीन था कि कक्षा-11 की प्रवेश परीक्षा के लिए इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम, बीए प्रवेश परीक्षा के लिए इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम से अधिक कैसे हो सकता है।

शैक्षणिक सत्र 2024-2025 की प्रवेश परीक्षा के लिए बदला नियम
इन मुद्दों पर सामंजस्य स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद ने 24 फरवरी 2024 को आयोजित अपनी बैठक में विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति की 3 फरवरी को आयोजित बैठक में पारित प्रस्तावों को मंजूरी देते हुए प्रस्तावित संशोधन को लागू करने के लिए कुलपति को एक समिति गठित करने के लिए अधिकृत किया। कुलपति ने एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसने 5 मार्च और 9 मार्च को आयोजित अपनी बैठकों में उपरोक्त प्रवेश परीक्षाओं के इंडो-इस्लामिक अनुभाग के साथ-साथ अन्य अनुभागों की समीक्षा की, जिसे विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित करते हुए शैक्षणिक सत्र 2024-2025 की प्रवेश परीक्षा के लिए नियम और विनियम में शामिल कर लिया गया।  

पहले सवाल पूरी तरह से इस्लामी विषय पर पूछते थे
स्पष्ट होना चाहिए कि ये सभी निर्णय विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति के कार्यभार संभालने से पहले लिए गए थे और इन आवश्यक निर्णयों का उद्देश्य प्रवेश परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल विषयों और उनके लिए आवंटित अंकों को तर्कसंगत बनाना है। पहले 11वीं कक्षा की प्रवेश परीक्षा के इंडो-इस्लामिक खंड के पाठ्यक्रम में पूरी तरह से इस्लामी विषय शामिल थे, जो धर्मशास्त्र संकाय के तहत पढ़ाए जाते हैं। इसलिए इन विषयों को हटाकर, विशुद्ध रूप से इंडो-इस्लामिक विषयों को शामिल किया गया। इसके साथ ही देश और राष्ट्र के निर्माण में उनकी असाधारण सेवाओं को देखते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के जीवन और सेवाओं पर आधारित विषयों को जोड़ा गया है। 

भारत में मुसलमानों के आगमन पर अब पूछे जाएंगे सवाल 
वर्तमान पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति, परम्पराओं, भारत में मुसलमानों के आगमन के बाद अन्य समुदायों के साथ उनके संबंधों से बनी नई संस्कृति, सूफियों और धर्म गुरुओं की शिक्षाएं, वास्तुकला पर मुसलमानों का प्रभाव आदि पर जोर दिया गया है, क्योंकि ये मूल रूप से इंडो-इस्लामिक पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। विश्वविद्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि एमए उर्दू में प्रवेश के लिए सीटों में कोई कटौती नहीं की गई है और इस संबंध में कोई गलतबयानी केवल अफवाह है। सच तो यह है कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रबंधित संस्थानों सर सैयद अकादमी और प्रकाशन विभाग द्वारा हर साल प्रकाशित होने वाली पुस्तकों में उर्दू पुस्तकों की संख्या सबसे अधिक होती है और यह अपने आप में विश्वविद्यालय की उर्दू मित्रता का एक बड़ा प्रमाण है।

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