सर सैयद डे पर एएमयू में भव्य समारोह का आयोजन : मुजफ्फर अली बोले-सर सैय्यद ने भारतीयों के लिए आधुनिक शिक्षा पर दिया था जोर 

मुजफ्फर अली बोले-सर सैय्यद ने भारतीयों के लिए आधुनिक शिक्षा पर दिया था जोर 
UPT | सर सैय्यद डे समारोह में पहुंचे मुजफ्फर अली।

Oct 17, 2024 23:17

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 207वीं जयंती के अवसर पर गुरुवार को एएमयू के गुलिस्तान-ए-सैयद में समारोह का आयोजन किया गया।

Oct 17, 2024 23:17

Short Highlights
  • सर सैय्यद ने भारत और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच संवाद का मार्ग खोला 
  • एएमयू स्थापना के सौ से अधिक वर्षों के बाद भी प्रासंगिक है 
  • एएमयू में 31 नए पाठ्यक्रम की शुरुआत
Aligarh News : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान की 207वीं जयंती के अवसर पर गुरुवार को एएमयू के गुलिस्तान-ए-सैयद में आयोजित भव्य सर सैयद दिवस स्मृति समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, लेखक और प्रख्यात चित्रकार मुजफ्फर अली ने कहा कि सर सैयद का बहुआयामी दृष्टिकोण था, उन्होंने भारतीयों के लिए आधुनिक शिक्षा पर बल दिया और साथ ही अंग्रेजी शासनकाल में नौकरी भी की। उनके व्यक्तित्व के ये दो आयाम आज भी हमें दिशा प्रदान करते हैं। उनका दृष्टिकोण हमारे समय की चुनौतियों के समाधान के लिए और अधिक प्रासांगिक है।

सर सैय्यद ने भारत और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच संवाद का मार्ग खोला 
मुजफ्फर अली ने कहा कि अगर सर सैयद ने 1857 के विद्रोह के कारणों (अस्बाब-ए-बगावत-ए-हिंद के रूप में) को नहीं लिखा होता, तो भारतीयों और ब्रिटिश सरकार के बीच संबंध अंधकारमय बने रहते और आपसी समझ एक दूर का सपना बनकर रह जाती। उन्होंने कहा कि सर सैयद ने भारत और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच संवाद का मार्ग खोला, जिसने कई उथल-पुथल के बावजूद दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाकर भारत की स्वतंत्रता का फैसला करने पर आमादा किया। मुजफ्फर अली ने कहा कि सर सैयद अपने समय की गति को अच्छी तरह समझते थे, मुगलों के कुलीन दरबार को छोड़ने से लेकर ब्रिटिश सेवाओं में शामिल होने तक और फिर विशेष रूप से मुसलमानों और सामान्य रूप से भारत के सभी लोगों के शैक्षिक और सामाजिक उत्थान के लिए काम करना उनकी विशिष्टता है, और यही वह चीज है जो उनके व्यक्तित्व को और अधिक अध्ययन का पात्र बनाती है।

एएमयू स्थापना के सौ से अधिक वर्षों के बाद भी प्रासंगिक है
मानद अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और पूर्व सचिव, विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा महासचिव, लोकसभा स्नेहलता श्रीवास्तव  ने कहा कि यह देखना आश्चर्यजनक है कि सर सैयद के पास महिला शिक्षा से लेकर वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान के प्रसार तक देश के शैक्षिक पोर्टलों में क्रांति लाने की इतनी महान दृष्टि थी, जो इस ऐतिहासिक संस्थान की स्थापना के सौ से अधिक वर्षों के बाद भी प्रासंगिक है। सेवानिवृत्त आईआरटीएस और भारतीय रेलवे बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने मानद अतिथि के रूप में अपने विचार साझा किये और कहा कि सर सैयद सामाजिक सुधारों, सामाजिक न्याय के महत्व और महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने, और निरक्षरता के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध थे। उन्होंने कहा कि जब मैं यहां छात्रों को देखती हूं, तो मुझे उम्मीद है कि आप भविष्य के नेता, परिवर्तन निर्माता और सर सैयद की विरासत के मशाल वाहक हैं। 

एएमयू में 31 नए पाठ्यक्रम की शुरुआत 
अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने सर सैयद के दृष्टिकोण और मिशन तथा ज्ञान सृजन के लिए उनके निरंतर प्रयास की सराहना की, जिसे उन्होंने विश्वविद्यालय के अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करने के वर्तमान प्रयास से जोड़ा। उन्होंने सर सैयद के आलोचनात्मक सोच विकसित करने पर जोर देने की सराहना की और इसे एएमयू द्वारा अपने बुनियादी ढांचे को उन्नत करने और तकनीकी सहायता बढ़ाने से जोड़ा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स (एमओओसी) कार्यक्रम के तहत 31 नए पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। 

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