एक तरफ बाबा के पांव छू लेने की होड़ थी, दूसरी तरफ सेवादारों की बंदिशें। लोग उनकी बंदिशें तोड़कर भागे और मौत की सरहद में जा धंसे। कोई धक्के से गिरा तो कोई फिसलकर। किसी का सीना कुचला तो किसी का सिर।
हाथरस हादसा : भोलेबाबा के पैरों की धूल की चाहत पड़ी भारी, मची भगदड़ तो एक-दूसरे को कुचलते चले गए लोग, मृतकों में महिलाएं और बच्चों की संख्या ज्यादा
Jul 03, 2024 17:42
Jul 03, 2024 17:42
- आसपास के गांव के लोग देर रात तक करते रहे मदद
- बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए लगाए गए थे केवल 72 पुलिसकर्मी
किसी का सीना कुचला तो किसी का सिर
एक तरफ बाबा के पांव छू लेने की होड़ थी, दूसरी तरफ सेवादारों की बंदिशें। लोग उनकी बंदिशें तोड़कर भागे और मौत की सरहद में जा धंसे। कोई धक्के से गिरा तो कोई फिसलकर। किसी का सीना कुचला तो किसी का सिर। उमस पहले से सांसों पर भारी थी। अस्पतालों में भर्ती लोगों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि भीड़ के बीच सांस लेना तक मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान भगदड़ मच गई। जानकारी के मुताबिक मंगलवार दोपहर को दो बजे सत्संग समाप्त होने के बाद भीड़ हाईवे किनारे खड़ी बसों की तरफ बढ़ रही थी। इस भीड़ में राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश की महिलाएं, पुरुष और बच्चे थे।
जब भीड़ हाईवे की तरफ पहुंची तो सत्संग स्थल से हाईवे को जाने वाला रास्ता बंद होने लगा। इसी दौरान आयोजकों ने माइक ने घोषणा शुरू की। सेवादारों को निर्देश दिए जा रहे थे कि वह भीड़ को रोककर बाबा के काफिले को गुजारने का रास्ता बनाएं। बस फिर क्या था 250 सेवादारों का जत्था भीड़ को रोककर खड़ा हो गया। भीड़ में सबसे आगे महिलाएं बताई जा रही हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कुछ लोग सेवादारों से कह रहे थे कि उन्हें जाने दो भीड़ में दिक्कत हो रही है। लेकिन सेवादारों ने उनकी एक न सुनी। बार-बार कहते रहे कि पहले बाबा गुजरेंगे उसके बाद लोग। अभी सेवादार भीड़ को हिदायत दे ही रहे थे कि बाबा का काफिला यहां से गुजरने लगा।
सभी की बाबा को नजदीक से देखने की चाहत थी
हर कोई बाबा को नजदीक से देखना चाहता था। उनकी गाड़ी की धूल को पाना चाहता था। ऐसे में पीछे से भीड़ का दबाव बढ़ता गया। सड़क के करीब दलदली मिट्टी और गड्ढा होने के कारण आगे मौजूद लोग दबाव नहीं झेल सके औऱ एक के बाद एक गिरते चले गए। खासकर जमीन पर गिरीं महिलाओं व बच्चों के ऊपर से लोग गुजरते चले गए। देखते ही देखते चीख-पुकार मच गई। बड़ी संख्या में लोग बेहोश हो गए।
लोग मरते गए बाबा के कारिंदे भागते रहे
भगदड़ के दौरान लोग मरते रहे और बाबा के कारिंदे गाड़ियों से भागते रहे। किसी ने भी रुककर हालात को जानने की कोशिश नहीं की। बताया जा रहा है कि यहां से बाबा का काफिला एटा की तरफ रवाना हु्आ था। भोलेबाबा के काफिले में 10 लग्जरी गाड़ियां थीं। उनका सुरक्षा दस्ता भी तीन गाड़ियों में था। घटना के बाद जब आयोजकों ने उन्हें फोन करने की कोशिश की तो किसी का भी फोन रिसीव नहीं हुआ। बाद में तो खुद बाबा का मोबाइल भी स्विच ऑफ हो गया था। जब बाबा का फोन स्विच ऑफ हुआ तो जो स्थानीय लोग आयोजन से जुड़े हुए थे वह भी मौका देखकर भाग निकले।
अस्पताल में मची अफरा-तफरी
राजस्थान, मध्यप्रदेश के साथ ही यूपी के विभिन्न जनपदों से आए लोग अपने साथियों और अपनों को खोजने में जुट गए। सिकंदराराऊ सीएचसी के साथ ही हाथरस, कासगंज और एटा के अस्पतालों की ओर लोग घायलों को लेकर दौड़ पड़े। एक साथ इतने लोगों के आने से अस्पताल में अफरातफरी मच गई। अस्पताल परिसरों में मृतकों के बीच अपनों की तलाश में रोते-बिलखते लोगों को देखकर हर किसी की रूह कांप उठी।
आगरा-अलीगढ़ मंडल के पुलिस और प्रशासन के आला अफसर देर रात तक हाथरस और सिकंदराराऊ में घायलों के समुचित उपचार, अपनों की तलाश में भटक रहे लोगों की सहायता के साथ ही मृतकों के शव सम्मानपूर्वक उनके परिजनों के सुपुर्द करने की कवायद में जुटे रहे। राहत कार्यों के दौरान बारिश के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि लोगों की मदद के लिए हाथरस प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर्स भी जारी किए।
ग्रामीणों ने की मदद
हादसे के बाद करीबी गांव मुगलगढ़ी और फुलरई के तमाम लोग दौड़ पड़े। लोगों ने भीड़ में दबे सत्संगियों को अस्पताल भिजवाया। युवक बचाव कार्य में जुट गए। तमाम सत्संगी एक दूसरे से बिछड़ गए। ग्रामीण युवकों ने माइक संभलकर लापता लोगों को उनके परिजनों से मिलने के लिए काफी देर आवाज लगाई। कुछ लोग आवाज सुनकर अपने परिजनों से मिल भी गए। मृतकों की पहचान के लिए उनके परिजन मौके पर बिखरे पड़े सामान से मिलान करने में लगे हैं।
बिखरा पड़ा था मृतकों का सामान
भगदड़ और एक दूसरे के नीचे दबे लोगों की घटना के बाद खाली खेत में मृत अनुयायियों का सामान बिखरा पड़ा था। इसे देखकर परिजन पहचान करने की कोशिश कर रहे थे। मौके पर किसी सत्संगी का भोजन की पोटली तो किसी के जूते, चप्पल, सैंडल, कपड़े, पानी की बोतलें पड़ी है। भारी मात्रा में जुटे चप्पल और सामान को देखने से ही हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या का अनुमान लगाया जा सकता है।
20 बीघा जमीन पर सत्संग स्थल
मुगल गढ़ी और फुलरई के बीच करीब 20 बीघा जमीन पर सत्संग में सवा लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे। इसकी तैयारी पिछले 15 दिनों से चल रही थी। तमाम जिलों के सत्संगी 24 घंटे पहले यहां आकर जमने शुरू हो गए। आलम यह कि तीन किलोमीटर दूर तक वाहनों की कतारें लगी हुई थीं।
लापरवाही की एक वजह यह भी
एसडीएम की ओर से आयोजन की अनुमति दी गई थी लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से इस बात का अंदाजा नहीं लगाया गया कि कितने लोग सत्संग में शरीक होंगे। जानकारी के मुताबिक सवा लाख से अधिक लोगों की मौजूदगी के बावजूद 72 सुरक्षाकर्मियों को ही ड्यूटी पर लगाया गया था। प्रवेश और निकास द्वार को लेकर किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं थी।
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