हाथरस में नारायण साकार विश्व हरि भोले बाबा के प्रवचन के दौरान भगदड़ मच गई। इस घटना में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कहा जा रहा है कि मौत का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। इस हादसे के बाद एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर भीड़ प्रबंधन में भारत इतना पीछे क्यों है।
भीड़ प्रबंधन में आज भी पीछे है भारत : हाथरस में भगदड़ के बाद उठ रहे सवाल, विश्व के तीन शहरों में काशी का हुआ था चयन
Jul 02, 2024 17:42
Jul 02, 2024 17:42
- भीड़ प्रबंधन में आज भी पीछे है भारत
- हाथरस में भगदड़ के बाद उठ रहे सवाल
- आज भी नहीं सीखे हम सबक
क्या हुआ है हाथरस में?
दरअसल हाथरस जिले के सिकंदराराऊ-एटा मार्ग पर स्थित फुलरई गांव में भोले बाबा के सत्संग के समापन के बाद जब हजारों श्रद्धालु बाहर निकल रहे थे, अचानक भगदड़ मच गई। इस घटना में लगभग 50 लोगों की मौत की सूचना है। इसमें हाथरस और एटा के निवासी शामिल हैं। मृतकों को अलीगढ़ और एटा ले जाया गया है। जिलाधिकारी आशीष कुमार और पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। भगदड़ में सैकड़ों महिलाएं, बच्चे और पुरुष दब गए। अभी भी कई और लोगों के हताहत होने की आशंका है।
Hathras : हाथरस ट्रॉमा सेंटर सिकंदराऊ पर लाशों का ढेर नज़र आ रहा है लेकिन सिर्फ एक डॉक्टर ही मौजूद है। सत्संग स्थल से जो यहां आ रहा है, उसे रेफर कर दिया जा रहा है। लोग परेशान हैं... #Hathras @hathraspolice @DhsHathras @dm_hathras @myogiadityanath @Uppolice @BJP4UP pic.twitter.com/neJTJAOP4Z
— Uttar Pradesh Times (@UPTimesLive) July 2, 2024
भीड़ प्रबंधन का काफी बुरा हाल
हाथरस की घटना के बाद जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक निकास के लिए जो द्वार बना था, वह काफी पतला था। सत्संग के बाद जब लोग बाहर निकलने लगे, तो गर्मी और उमस के कारण उनके बीच जल्दी बाहर निकलने की होड़ लग गई। इस चक्कर लोग एक-दूसरे को धक्का देने लगे और भगदड़ मच गई। ये बताता कि हमारे देश में भीड़ प्रबंधन की स्थिति क्या है। 100 लोगों के बैठने की जगह पर 1000 लोगों को एडजस्ट कर लेने की कला में पारंगत होने के कारण हालात इतने बुरे हैं।
काशी से देश को उम्मीद
टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन की तरफ से क्राउड मैनेजमेंट के लिए दुनियाभर में तीन शहरों को चुना गया है। इसमें वाराणसी भी एक है। इसकी शुरुआत काशी विश्नवनाथ धाम के दो किलोमीटर की परिधि से की जाएगी। अगर यह सफल रहता है, तो इसे प्रयागराज और अयोध्या समेत अन्य भीड़-भाड़ वाले शहरों पर भी लागू किया जाएगा। ऐसे में काशी से देश को उम्मीदें हैं। काशी में श्रद्धालु, पर्यटकों एवं स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए सस्टेनेबल सिटीज चैलेंज वाराणसी का चयन होना भले ही पॉजिटिव खबर है, लेकिन अभी मंजिल काफी दूर है।
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