पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बयान : मस्जिद में कथा करेंगे, हिंदू बेटियों को सिखाएं तलवारबाजी, संस्कृति बचाने के लिए ‘सनातन बोर्ड’ जरूरी

UPT | पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘सनातन हिंदू एकता’ पदयात्रा आज झांसी पहुंचेगी

Nov 25, 2024 10:02

पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ‘सनातन हिंदू एकता यात्रा’ के दौरान हिंदू समाज की एकता, संस्कृति संरक्षण और आत्मरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुसलमान बुलाएं तो मस्जिद में कथा करेंगे, बेटियों को तलवारबाजी सिखाने की वकालत की और ‘सनातन बोर्ड’ की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

Jhansi News : पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जो इन दिनों ‘सनातन हिंदू एकता यात्रा’ के माध्यम से हिंदू समाज को एकजुट करने के प्रयास में जुटे हैं, ने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी। उन्होंने धर्म, राजनीति, संस्कृति, और शिक्षा को लेकर साहसिक विचार रखते हुए कहा कि अगर उन्हें मुसलमान सम्मानपूर्वक बुलाएं, तो वह मस्जिद में भी कथा करने को तैयार हैं।

सनातन बोर्ड और हिंदू एकता क्यों जरूरी?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का मानना है कि भारत में हिंदू समाज जात-पात और अन्य विभाजनों में बंटा हुआ है। इसे दूर करने और सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए ‘सनातन बोर्ड’ की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि अन्य धर्मों के अलग कानून और नियम हो सकते हैं, तो हिंदुओं के लिए भी एक व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यह यात्रा उन हिंदुओं को जगाने का प्रयास है, जिनकी स्थिति बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, और मणिपुर जैसे स्थानों में खराब है।

हिंदू बेटियों को तलवारबाजी सिखाने की मांग
पं. शास्त्री ने कहा कि बेटियों को आत्मरक्षा के लिए तलवारबाजी सिखाई जानी चाहिए। उन्होंने लव जिहाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बेटियों को अपने अधिकारों और सुरक्षा के प्रति सजग होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की महान नारियों, जैसे रानी लक्ष्मीबाई, से प्रेरणा लेकर बेटियों को सशक्त बनाना चाहिए।

मुसलमानों और ईसाइयों के प्रति दृष्टिकोण
पं. शास्त्री ने स्पष्ट किया कि उनकी यात्रा में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोग शामिल होना चाहें तो उनका स्वागत है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों और समुदायों को साथ मिलकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत के मुसलमान यदि हमें बुलाएं, तो हम उनकी मस्जिद में कथा करने को तैयार हैं।”

आदिवासियों और धर्म परिवर्तन पर विचार
आदिवासी समुदाय को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए उनके बीच जाकर काम करना होगा। पं. शास्त्री ने कहा कि आदिवासी, भगवान राम के वंशज हैं और उन्हें ‘अनादिवासी’ कहा जाना चाहिए। उन्होंने 108 आदिवासी बेटियों के विवाह का भी संकल्प लिया और कहा कि वह दलित दूल्हों को घोड़े पर बैठाकर उनका विवाह कराएंगे।

धर्म और राजनीति का संबंध
धर्म और राजनीति पर पं. शास्त्री का कहना है कि धर्म से राजनीति चलती है, लेकिन वह स्वयं राजनीति में शामिल नहीं होंगे। उनका मानना है कि धर्म विरोधी ताकतों को रोकने के लिए हिंदू समाज का एकजुट होना जरूरी है।

शादी पर जवाब
शादी के सवाल पर उन्होंने हंसते हुए कहा कि अगर शादी करनी होती तो अब तक कर लेते। उन्होंने मजाक में कहा, “विदेशों से कई प्रस्ताव आए हैं, माता-पिता को अंतरिक्ष से भी लड़की पसंद हो तो मैं शादी कर लूंगा।”

संस्कृति बचाने का आह्वान
पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि हर देश अपनी संस्कृति बचाने के लिए प्रयास करता है। सनातन संस्कृति को बचाने के लिए ‘सनातन बोर्ड’, ‘घर वापसी’, और ‘हिंदू एकता यात्रा’ जैसे प्रयास जरूरी हैं।

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