पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का नाम भारतरत्न के लिए घोषित हुआ है। वे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए कई बार झांसी आए थे। उनसे जुड़ी हुई कई यादें भी हैं।
Feb 10, 2024 06:26
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का नाम भारतरत्न के लिए घोषित हुआ है। वे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए कई बार झांसी आए थे। उनसे जुड़ी हुई कई यादें भी हैं।
Jhansi News : भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारतरत्न देने की घोषणा की है। कांग्रेस के घोर विरोधी रहे चौधरी चरण सिंह खांटी किसान नेता रहे और अपनी बेबाकी के लिए विरोधियों को हमेशा पस्त करने के लिए जाने जाते रहे। उनका झांसी भी आगमन होता रहा। वह बतौर मुख्यमंत्री भी झांसी आ चुके थे, तब यहां के एक तत्कालीन विधायक को उन्हीं के कहने पर पुलिस ने सभा स्थल से उठा लिया था।
पूर्व विधायक अकसर करते थे हंगामा
वर्ष 1962 में झांसी सदर सीट से लखपत राम शर्मा बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे। वह अक्सर विधानसभा में हंगामा करते रहते थे, इसलिए चौधरी चरण सिंह उन्हें जानते थे। वर्ष 1969 में विधानसभा चुनाव हुए। चौधरी चरण सिंह उस समय उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री थे। विधानसभा चुनाव चल रहे थे। चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रान्ति दल के टिकट पर जगमोहन लाल वर्मा झांसी से चुनाव लड़ रहे थे। उनके प्रचार के लिए चौधरी चरण सिंह झांसी आए और सभा को सम्बोधित करने लगे। इसी बीच जनता के बीच बैठे पूर्व विधायक लखपतराम शर्मा उठे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इस पर चरण सिंह का पारा चढ़ गया। उन्होंने कहा कि यह वही लड़का है जो विधानसभा में भी सबसे ज्यादा हंगामा करता है। उन्होंने एसपी को बुलाकर लखपतराम शर्मा को गिरफ्तार करने को कहा। इस पर शर्मा वहीं मंच के सामने लेट गए। फिर क्या था, पुलिस आयी और उन्हें हाथ-पैर पकड़कर टांगते हुए कोतवाली ले गयी। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इस चुनाव में जगमोहनलाल वर्मा विजयी हुये थे।
चरण सिंह के नाम पर हैं बांध और बेतवा भवन
झांसी जिले में बांधों का जाल है। इनसे नदी का पानी खेतों में सिंचाई के लिए भेजा जाता है। इन बांधों को संचालित करने के लिए सिंचाई विभाग की स्थापना की गयी थी और नब्बे के दशक में बेतवा भवन की स्थापना की गयी। यह सिंचाई विभाग का कार्यालय है। इसका नाम चौधरी चरण सिंह के नाम पर किया गया। इसके अलावा मऊरानीपुर में वर्ष 2008 में लखेरी बांध, रानीपुर के पास धसान नदी पर लहचूरा बांध और एरच में पथरई बांध का नामकरण भी चौधरी चरण सिंह के नाम किया गया है। पथरई बांध का निर्माण वर्ष 2001 में किया गया था।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहते आए थे झांसी
देश के पूर्व प्रधानमन्त्री व किसान नेता चौधरी चरण सिंह का झांसी से लगाव रहा है। वह प्रदेश के मुख्यमन्त्री और देश के प्रधानमन्त्री बनने पर झांसी दौरे पर आए। प्रदेश में पहली बार कांग्रेस में टूट के बाद जन कांग्रेस बनाने वाले चौधरी चरण सिंह 1967 में पहली बार 9 माह के लिए मुख्यमन्त्री बने। बाद में भारतीय क्रान्ति दल के रूप में बनाकर 1969 में अपने दल के 97 विधायकों के साथ सरकार बनायी। इसमें झांसी से जगमोहन वर्मा भी विधायक बने थे। वह लगभग 3 वर्ष मुख्यमन्त्री रहे। वह आपातकाल में 19 माह जेल में रहे। बाद में उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह हलघर किसान पर चुनाव लड़ा और देश में सरकार बनायी। बाद में जनता पार्टी की सरकार में चौधरी चरण सिंह वित्त मन्त्री बने, लेकिन बाद में वह बगावत कर अलग हो गये। कांग्रेस ने उन्हें प्रधानमन्त्री बना दिया। हालांकि वह कांग्रेस से समर्थन वापस लेने पर संसद का सामना किए बगैर इस्तीफा देकर सरकार से बाहर आ गए। वह प्रधानमन्त्री बनने के बाद झांसी आए थे।
उन्होंने ईमानदारी से कभी नहीं किया समझौता
तत्कालीन जिलाध्यक्ष तथा चौधरी चरण सिंह के राजनीतिक गुरु मानने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता हरगोविन्द कुशवाहा का कहना है कि चौधरी साहब का झांसी और बुंदेलखंड से लगाव रहा है। उन्होंने ईमानदारी से कभी समझौता नहीं किया। जनता पार्टी सरकार में वित मन्त्री रहते हुए चौधरी चरण सिंह ने किसानों का बजट 14 से 27 फीसदी किया था और उसके बाद ही ग्रामीण क्षेत्र में विकास की बयार बही। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने आज चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिया है, उन्हें यह सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए था। चौधरी चरण सिंह 1980 के चुनाव प्रचार में अंतिम बार झांसी आए।