लगभग 20 वर्ष पूर्व हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध कर तीन नक्सलियों को उम्रकैद और 30-30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
Nov 22, 2024 01:10
लगभग 20 वर्ष पूर्व हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध कर तीन नक्सलियों को उम्रकैद और 30-30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
Sonbhadra News : लगभग 20 वर्ष पूर्व हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम, जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध कर तीन नक्सलियों को उम्रकैद और 30-30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इन दोषियों में मुन्ना विश्वकर्मा सहित दो अन्य नक्सली शामिल हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि दोषी जुर्माना नहीं भरते हैं तो उन्हें अतिरिक्त चार महीने की सजा भुगतनी होगी। इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि आरोपियों द्वारा जेल में बिताई गई अवधि को उनकी सजा में समाहित किया जाएगा।
यह है पूरा मामला
मामला 22 दिसंबर 2004 का है, जब संजय सिंह निवासी ग्राम केतार ने पन्नूगंज थाना में एक तहरीर दी थी। तहरीर में संजय सिंह ने बताया था कि उसके नाना जयकरन सिंह की हत्या 1994 में सुनील सिंह ने की थी, और बाद में 1997 में सुनील सिंह की हत्या हो गई थी, जिसमें संजय सिंह, उसके पिता शिव सिंह और नन्दलाल गिरी को नामजद किया गया था। इसी रंजिश को लेकर 6-7 नक्सलियों ने 6 अक्टूबर 2004 को संजय के घर पर हमला किया। आरोपियों ने राइफल, बंदूक और लाठियों से हमला कर संजय के पिता शिव सिंह और छोटे भाई धनन्जय उर्फ राजू को हत्या कर दी। इसके बाद, नंदलाल गिरी को भी गोलियों से छलनी कर दिया।
तीनों नक्सलियों को दोषी करार
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर नक्सलियों मुन्ना विश्वकर्मा, मुन्नू उर्फ कवि जी, और राकेश उर्फ भोला पाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों की बहस और गवाहों के बयान सुनने के बाद कोर्ट ने तीनों नक्सलियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और जुर्माना लगाया। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील विनोद कुमार पाठक ने इस मामले में तर्क प्रस्तुत किए और दोषियों के खिलाफ सजा की मांग की।