महाकुंभ 2025 : 'आईआईटी बाबा' ने जूना अखाड़े से निष्कासन और मानसिक रूप से अस्थिर कहे जाने पर दी प्रतिक्रिया

UPT | आईआईटी बाबा अभय सिंह

Jan 19, 2025 18:00

महाकुंभ 2025 के दौरान सोशल मीडिया पर चर्चित हुए आईआईटी इंजीनियर बाबा अभय सिंह को जूना अखाड़े से बाहर कर दिया गया है।

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 के दौरान सोशल मीडिया पर चर्चित हुए आईआईटी इंजीनियर बाबा अभय सिंह को जूना अखाड़े से बाहर कर दिया गया है। अखाड़ा ने अभय सिंह पर गुरु के प्रति अपशब्दों बोलने के आरोप में यह कड़ा कदम उठाया है। जूना अखाड़े के सचिव हरि गिरि ने बताया कि संन्यासी को अनुशासन और गुरु के प्रति समर्पण की आवश्यकता होती है, और इन दोनों का पालन न करने वाले व्यक्ति को संन्यासी नहीं माना जा सकता। इसी कारण से, अब आईआईटी बाबा को जूना अखाड़े और उसके शिविर के आसपास आने से भी मना कर दिया गया है।

आईआईटी बाबा को जूना अखाड़े से निष्कासित
आईआईटी मुंबई से डिग्री प्राप्त करने और कनाडा में लाखों रुपये के पैकेज पर नौकरी करने के बाद संन्यास लेने वाले अभय सिंह ने अपने सोशल मीडिया वीडियोज में कई विवादित बयान दिए थे। इनमें उन्होंने अपनी माता-पिता से लेकर गुरु तक पर टिप्पणी की थी, जो अब वायरल हो रही हैं। अभय सिंह ने इन वीडियोज में दावा किया था कि उनका महंत सोमेश्वर पुरी से गुरु-शिष्य का रिश्ता नहीं है। उन्होंने कहा, "मैंने महंत सोमेश्वर पुरी से पहले ही कह दिया था कि हमारे बीच गुरु-शिष्य का कोई रिश्ता नहीं है, लेकिन अब जब मैं मशहूर हो गया, तो उन्होंने मुझे अपना शिष्य बता दिया।"



अभय सिंह की प्रतिक्रिया
अभय सिंह द्वारा मानसिक रूप से अस्थिर कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, "यह प्रमाणपत्र देने वाले उन लोगों को मुझसे ज्यादा जानकारी होनी चाहिए।" इसके बाद जूना अखाड़े के संतों ने उनके बयान को गंभीरता से लिया और उनका निष्कासन कर दिया। संत श्री पंचदशनाम ने कहा कि गुरु का अपमान करने वाले व्यक्ति को अखाड़े की परंपरा का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि अभय सिंह ने गुरु-शिष्य परंपरा का उल्लंघन किया है, और यही संन्यासी के सिद्धांतों के खिलाफ है।

गुरु-शिष्य संबंधों पर किया विवादित बयान
हरि गिरि ने बताया कि आईआईटी बाबा द्वारा गुरु के प्रति अपमानित बयान देने से सनातन धर्म और अखाड़ा की परंपराओं को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने यह भी कहा कि अभय सिंह ने संन्यासी के तौर पर जो अनुशासन और समर्पण का पालन नहीं किया, वह किसी भी संन्यासी का आचार नहीं हो सकता। इसके परिणामस्वरूप जूना अखाड़े ने उन्हें बाहर कर दिया और उनके आसपास आने पर भी रोक लगा दी।

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