दस देशों के प्रतिनिधियों ने लगाई संगम में डुबकी : बोले- महाकुंभ दे रहा दुनिया को एकता का संदेश, योगी सरकार की व्यवस्थाओं की सराहना

UPT | 21 सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि दल

Jan 16, 2025 15:54

प्रतिनिधिमंडल ने संगम क्षेत्र में स्थित विभिन्न अखाड़ों का दौरा किया, जहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात की और महाकुंभ के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को समझा। साधु-संतों ने उन्हें भारतीय परंपराओं, अखाड़ों की भूमिका और महाकुंभ की प्राचीन धरोहर के बारे में जानकारी दी।

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 का आयोजन न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर बन गया है। संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित इस महाकुंभ में 10 देशों के 21 सदस्यीय अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। इन प्रतिनिधियों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनुभव किया।

महाकुंभ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
प्रतिनिधिमंडल ने संगम क्षेत्र में स्थित विभिन्न अखाड़ों का दौरा किया, जहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात की और महाकुंभ के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को समझा। साधु-संतों ने उन्हें भारतीय परंपराओं, अखाड़ों की भूमिका और महाकुंभ की प्राचीन धरोहर के बारे में जानकारी दी। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का प्रतीक भी है।

महाकुंभ एकता का प्रतीक
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की प्रतिनिधि सैली एल अजाब ने महाकुंभ की भव्यता की प्रशंसा करते हुए इसे एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। यहां की व्यवस्थाएं अनुकरणीय हैं। महाकुंभ न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश देता है कि विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों वाले लोग एक साथ आ सकते हैं।" उन्होंने भारतीय संस्कृति की महानता और श्रद्धालुओं के प्रति सुरक्षा व्यवस्था को भी सराहा।

संतों के विचारों से प्रभावित हुए प्रतिनिधि
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने साधु-संतों के विचारों से गहरा प्रभावित होकर भारतीय धार्मिक परंपराओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। उन्होंने महाकुंभ के सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए इसे एक ऐसा मंच बताया, जहां विविध संस्कृतियां एकजुट होकर मानवता और आध्यात्मिकता का संदेश देती हैं।

महाकुंभ वैश्विक एकता का संदेश
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। इसने दुनिया को यह संदेश दिया कि अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के बावजूद, लोग एक मंच पर आ सकते हैं और एकता का परिचय दे सकते हैं।

फिजी से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक सभी हुए अभिभूत
महाकुंभ में फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो, और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि शामिल हुए। इन देशों से आए प्रतिनिधि भारतीय संस्कृति और महाकुंभ की भव्यता से अभिभूत नजर आए। उनके लिए यह दौरा न केवल एक धार्मिक अनुभव था, बल्कि भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं और एकता को करीब से देखने का अवसर भी था।

महाकुंभ भारतीय संस्कृति का वैश्विक मंच
महाकुंभ 2025 ने न केवल भारतीय संस्कृति और परंपराओं को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे धार्मिक आयोजन वैश्विक एकता का प्रतीक बन सकते हैं। प्रतिनिधियों ने आयोजन की भव्यता और योगी सरकार द्वारा किए गए उत्कृष्ट प्रबंधों की प्रशंसा की।

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