महाकुंभ में कल्पवास : संगम किनारे आत्मशुद्धि की साधना, जानें आध्यात्मिक यात्रा से मोक्ष प्राप्ति की पूरी कहानी

UPT | महाकुंभ में बसा कल्पवास नगर

Jan 16, 2025 16:46

इस भव्य मेले का मुख्य आकर्षण कल्पवास है, जिसमें श्रद्धालु पूरे माघ मास तक तप, ध्यान और भक्ति के माध्यम से आत्मशुद्धि की साधना करते हैं। यह यात्रा आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मानी जाती है...

Prayagraj News : महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन) पर एकत्र होते हैं। इस भव्य मेले का मुख्य आकर्षण कल्पवास है, जिसमें श्रद्धालु पूरे माघ मास तक तप, ध्यान और भक्ति के माध्यम से आत्मशुद्धि की साधना करते हैं। यह यात्रा आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मानी जाती है।   कल्पवास की शुरुआत : संकल्प और पवित्र स्नान कल्पवास पौष पूर्णिमा से आरंभ होता है, जो माघ मास के आरंभ का संकेत देती है। कल्पवास आरंभ करने के लिए श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं। इसके बाद वे ब्राह्मणों और साधु-संतों के समक्ष संकल्प लेते हैं। यह संकल्प जीवन में संयम, साधना और परोपकार का पालन करने का वादा होता है। श्रद्धालु भगवान से यह प्रार्थना करते हैं कि वे इस यात्रा के माध्यम से आत्मिक शुद्धि प्राप्त करें।कल्पवासी संगम क्षेत्र में अस्थायी तंबू और झोपड़ियां बनाकर रहते हैं। यह निवास भव्यता से रहित होता है, ताकि व्यक्ति सांसारिक सुखों से दूर रह सके। तंबुओं में साधु-संतों और परिवार के साथ रहने की व्यवस्था होती है।

  कल्पवास में क्या-क्या होता है? कल्पवासी प्रतिदिन सुबह-सुबह संगम में स्नान करते हैं। मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, अमावस्या और माघी पूर्णिमा जैसे विशेष तिथियों पर स्नान का विशेष महत्व है। यह स्नान आत्मा को शुद्ध करने और पापों का नाश करने का प्रतीक है। कल्पवासी दिनभर ईश्वर का नाम जपते हैं। गीता, रामायण, भगवद् गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं। साधना और ध्यान में लीन रहकर मन और आत्मा को शांत और एकाग्र करते हैं।कल्पवास के दौरान अन्न, वस्त्र, धन, और गोदान करने की परंपरा है। साधु-संतों और गरीबों को भोजन कराना पुण्य का कार्य माना जाता है। संत महात्माओं के प्रवचन सुनना कल्पवास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन प्रवचनों में धर्म, जीवन और मोक्ष के गूढ़ रहस्यों पर चर्चा होती है। श्रद्धालु सादा और सात्विक भोजन करते हैं। व्रत और ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन किया जाता है। सांसारिक इच्छाओं और सुखों का त्याग कर साधना को प्राथमिकता दी जाती है।   कल्पवास का समापन : मोक्ष की कामना माघ पूर्णिमा के दिन कल्पवास समाप्त होता है। श्रद्धालु इस दिन संगम में विशेष स्नान करते हैं। इसे मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। यज्ञ और हवन का आयोजन होता है। गंगा आरती और विशेष मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालु भगवान से सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।कल्पवासी अपने तंबुओं को खाली कर संगम क्षेत्र को स्वच्छ छोड़कर घर लौटते हैं। इस दौरान उनकी आंखें अपने पड़ोसियों से अलग होने कारण नम हो जाती है। इसके बाद वे संकल्प लेते हैं कि अगले महाकुंभ में पुनः इस आध्यात्मिक यात्रा को पूरा करेंगे।
कल्पवासियों ने साझा किया अनुभव कल्पवासी दिनेश कुमार पांडे ने बताया कि यहां आकर मैं अपने जीवन के सबसे पवित्र दिनों का अनुभव कर रहा हूं। संगम में स्नान करते समय ऐसा लगता है, जैसे भगवान ने मुझे अपने पास बुला लिया हो। पूरे माघ मास में साधना, दान और संयम ने मेरी आत्मा को शुद्ध कर दिया। अब मैं नए जोश और सकारात्मकता के साथ घर लौट रहा हूं।"
कल्पवास एक अद्भुत अनुभव कल्पवासिनी उपमा मिश्रा ( लखनऊ) ने बताया कि वह लखनऊ से आकर हर साल मोक्ष की कामना के लिए प्रयागराज में कल्पवास करती है। महाकुंभ में कल्पवास एक अद्भुत अनुभव है। सत्संग और प्रवचन सुनकर मुझे जीवन का सही अर्थ समझ आया। यहां बिताए दिन मुझे भगवान के और करीब ले गए। अगले महाकुंभ तक इस ऊर्जा को संजोकरयह रखूंगी।    कल्पवास का महत्व और आध्यात्मिकता महाकुंभ में कल्पवास आत्मशुद्धि, तप और संयम का प्रतीक है। यह जीवन के आध्यात्मिक पक्ष को समझने और समाज को दान, सेवा और एकता का संदेश देता है। महाकुंभ का यह अनूठा आयोजन हर भारतीय के जीवन में आध्यात्मिकता का दीप जलाने का कार्य करता है। महाकुंभ और कल्पवास केवल धार्मिक आयोजन नहीं हैं, यह भारतीय संस्कृति और मानवता की गहराई को दर्शाते हैं। इस यात्रा में हर कदम मोक्ष, ज्ञान और शांति की ओर बढ़ाया जाता है।

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