अयोध्या न्यूज : अपार कष्ट झेलने के बाद मिली है प्राण प्रतिष्ठा रूपी आनन्द की अनुभूति: समरजीत

अपार कष्ट झेलने के बाद मिली है प्राण प्रतिष्ठा रूपी आनन्द की अनुभूति: समरजीत
Uttar Pradesh Times | विहिप कारसेवक सरबजीत

Jan 13, 2024 18:22

अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। राममंदिर का नाम आते ही 'कार सेवक' शब्द भी चर्चा में आता है। कार का अर्थ होता है कर यानी हाथ और सेवक का मतलब है सेवा करने वाला। कारसेवकों ने जिस मंशा से राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लिया था, वह दिन आने वाला है। हम आपको कुछ ऐसे लोगों की कहानी बताने जा रहे हैं , जो राम मंदिर आंदोलन के साक्षी रहे। पढ़िए खास रिपोर्ट...

Jan 13, 2024 18:22

Short Highlights

अपार कष्ट झेलने के बाद मिली है प्राण प्रतिष्ठा रूपी आनन्द की अनुभूति

Ayodhya News: आज जैसा हर्षोल्लास चारों ओर है, ऐसी कल्पना तो 90 के दशक में होती ही नहीं थी। कारण शासन सत्ता से लेकर एक विशेष वर्ग किसी बड़े हिंदुत्व कार्यक्रम में मेरे पीछे ही पड़ा रहता था। याद है राम ज्योति कार्यक्रम जिसमें पुलिस हम लोग को ढूंढती रहती थी। फिर भी कारसेवा के समय घर के आंगन में 4 की संख्या से लेकर 12 कारसेवक तक को जगह दिया। संख्या जब सैकड़ों व हजारों की ओर बढ़ी तो अपने लोगों के सहयोग से सीवान में कारसेवकों के ठहरने और भोजन नाश्ते का प्रबंध किया। दुखद यह है 2 नवम्बर के दो दिन पहले ही कारसेवकों की गिरफ्तारी हो गई। यह कहना है उस समय के विहिप के प्रमुख कार्यकर्ता समरजीत पाठक का। उन दिनों को याद कर आज जब मंदिर बन रहा है तो खुशी में उनकी आंखें डबडबा जाती हैं।

मौत की सूचना पर नहीं किया भोजन
जनपद के सोहावल तहसील के गांव पूरे दीवान के 80 वर्षीय संत समरजीत पाठक का नाम से हिंदुत्ववादी राजनेता के रूप में किसी के परिचय का मोहताज नहीं था। यही कारण था कि हिंदुत्व के घोर पैरोकार समरजीत पाठक को जेल भी जाना पड़ता। सन्त यात्रा, राम ज्योति यात्रा जैसे कार्यक्रमों के दौरान एलआईयू, पुलिस व विपक्षी उनकी हरकतों पर नजर जमाए रखते थे। अयोध्या में 06 दिसम्बर, 92 की कारसेवा के पहले विहिप की ओर से समरजीत पाठक, पूरे भगवान दीन (केवटहिया) के भाजपा नेता व पूर्व मंडल अध्यक्ष खुशीराम पांडेय, खिरोनी गांव के भाजपा नेता व मंडल अध्यक्ष रहे राधेश्याम सिंह, मोइया के कपिलदेव तिवारी जैसे लोगों को कारसेवकों को अयोध्या की तरफ सुरक्षित भेजना, नास्ते, पानी का प्रबंध करने के अलावा दवाओं की व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई।
याद करते हुए पंडित समरजीत पाठक कहते हैं कि कारसेवक हमारे स्थान से जब अगले पड़ाव की ओर कूच करते तो हमारा पता लेते और अपना पता एक डायरी पर नोट कर जाते। 06 दिसम्बर के बाद कई कारसेवकों ने कुशलता व धन्यवाद पत्र भी भेजा। जिसमें अपने कुछ साथियों के बलिदान हो जाने का जिक्र रहता था। जिसे सुनकर दुख से दो तीन दिन खाना भी नहीं खाया गया।

गुप्त कोड पर भेजे जाते थे कारसेवक
80 वर्षीय वृद्ध हिंदुत्ववादी नेता रहे पं. समरजीत पाठक बताते हैं कि कारसेवकों की व्यवस्था को लेकर गुप्त मीटिंग में कोड मिला था। हमारा कोड कमल था। जब कारसेवक को कोई साथी लाता तो कोड बताना होता था जिससे विश्वास हो जाता कि कारसेवा के ही लोग हैं। जिन्हें सुरक्षित आगे भेजने का प्रबंध करते थे। इसी प्रकार 92 की दीपावली के दिन सूचना दी गई कि सरकार कारसेवकों को गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे में पहले सुरक्षित मार्ग का तहकीकात करें फिर आगे भेजें। शाम हो गई थी कि 4 कारसेवक हमारे कोड पर पहुंचाए गए। जिन्हें घर के दूसरे हिस्से में रखा गया। धीरे धीरे 1 हफ्ते में संख्या 10 हो गई। तब तक घर में ही रखा लेकिन संख्या अधिक हुई तो अपने सीवान (वन) में व्यवस्था की।

1000 कारसेवकों को गांव वालों ने कराया भोजन
नियत 30 नवम्बर के पहले कमल कोड पर आने वाले कारसेवकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। ऐसे में गांव वालों के अलावा गोठवारा, टोडी दुबे पुरवा, तरमा, सोहावल बाजार से भोजन की व्यवस्था हर घर से होने लगी। तमाम हिंदूवादी खुद लाई, चना, बिस्किट, गुड़ के अलावा दैनिक उपयोग की वस्तुएं पहुंचाने लगे। हर कोई में राम भक्तों के प्रति समर्पण बढ़ चुका था जिनकी सेवा को नर नारी आगे आए। लेकिन कार सेवा के दो दिन पूर्व प्रशासन पर दबाव बनाकर गिरफ्तारी कर दी।

जब प्रार्थना के लिए हठ पर आ गए कारसेवक
पं. समरजीत बताते हैं कि कुछ हिंदू व अल्पसंख्यक भय व अनहोनी किए जाने को लेकर पुलिस प्रशासन के अफसरों पर कारसेवकों को गांव से हटाने के लिए राजनीतिक दबाव बनाने में कामयाब हो गए। बताते हैं कि सुबह सुबह कई थानों की पुलिस एक साथ छापामारी कर कारसेवकों को कब्जे में ले लिया। सैकड़ों कारसेवक अपनी चाल से पुलिस के जाल से बच निकले। फिर भी करीब 150 से अधिक कार सेवक पकड़े गए। इन लोगों ने गिरफ्तारी देने से पहले स्नान ध्यान व सामूहिक प्रार्थना के पश्चात ही पुलिस के साथ चलने की जिद कर ली। जन दबाव भी था कि बगैर भोजन के एक भी कारसेवक की गिरफ्तारी न करें। पुलिस मान गई। अनन्तः जय श्रीराम के नारों का उदघोष करते हुए कारसेवकों ने गिरफ्तारी दी।
 

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