यूपी के पशुपालन विभाग में फर्जीवाड़ा सामने आया है। सूबे में जितनी बछियां जन्मीं उससे चार गुना ज्यादा टीके लगा दिए गए। यह टीके बछियों को ब्रुसिलोसिस रोग से बचाने के लिए दिए जाते हैं।
पशुपालन विभाग में गड़बड़झाला : यूपी में बछियों की संख्या से चार गुना अधिक लग गए टीके, अधिकारियों को नोटिस जारी
Oct 06, 2024 13:12
Oct 06, 2024 13:12
केवल एक बार ही लगता है टीका
ब्रुसिलोसिस एक संक्रामक रोग है। यह मुख्य रूप से पशुओं में पाया जाता है। यह रोग बैक्टीरिया ब्रुसेला (Brucella) के कारण होता है। इससे बचाव के लिए गाय या भैंस के मादा बच्चे (बछियों) को उन्के जन्म के बाद चार से छह महीने की आयु में लगाए जाते हैं। यह टीका मादा पशुओं को उनके जीवनकाल में केवल एक बार ही लगाए जाते हैं। बकरियों, भेड़ों और सूअरों में भी यह रोग पाया जाता है।
पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों में 75 प्रतिशत का अंतर
भारत पशुधन पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल 2024 से 24 सितंबर 2024 के बीच प्रदेश में कुल 78,185 बछियों का जन्म हुआ। लेकिन इन्हें लगाए गए ब्रुसिलोसिस के टीकों की संख्या 3,14,602 दर्ज की गई है। जो चार गुना ज्यादा है। इस अनियमितता पर पशुधन विकास परिषद ने नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि टीकों और बछियों की संख्या में 75 प्रतिशत का बड़ा अंतर अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े कर रहा है। इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि इस गड़बड़ी की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
कई जिलों में 100 से कम बछियों के पैदा होने के आंकड़े
पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय पोर्टल पर प्रदेश में पैदा हुई बछियों और लगाए गए टीकों के आंकड़ों में भारी अंतर राज्य की छवि को धूमिल कर सकता है। पोर्टल पर प्रदेश के कई जिलों में 100 से भी कम बछियों के पैदा होने के आंकड़े अपलोड किए गए हैं, जो विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि खेदपूर्ण भी है। इससे प्रदेश में पशुधन प्रबंधन और टीकाकरण प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
पशुओं से मनुष्यों में फैल जाता है ब्रुसिलोसिस रोग
ब्रुसिलोसिस रोग से ग्रसित मादा दुधारू पशुओं से मनुष्यों में भी यह संक्रामक रोग फैल जाता है। संक्रमित पशुओं का कच्चा दूध पीने, घावों के संपर्क में आने या गर्भपात के दौरान निकले स्त्राव के संपर्क में आने से यह रोग मनुष्यों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ मादा पशुओं में भी यह रोग हो जाता है। इस रोग को नियंत्रित करने के लिए बछियों को उनके जन्म के चार से छह महीने की उम्र में टीके लगाए जाते हैं। उचित टीकाकरण और सावधानी बरतने से इस रोग से बचाव किया जा सकता है, जो मानव और पशु दोनों के लिए जरुरी है।
सभी आंकड़े नहीं हुए अपडेट
उप्र प्रदेश पशुधन विभाग के निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने कहा कि टीकाकरण का लक्ष्य केंद्र सरकार निर्धारित करती है। उसी के अनुसार प्रदेश में टीकाकरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत पशुधन पोर्टल पर बछियों के जन्म के आंकड़े अपडेट नहीं होने के कारण टीकाकरण और बछियों की संख्या में अंतर दिख रहा है। जल्द ही सभी आंकड़े अपडेट कर दिए जाएंगे, जिससे यह समस्या हल हो जाएगी।
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