अयोध्या में सियासत की इनसाइड स्टोरी : जो राम को लाए, लोग उनको नहीं लाए, जानिए ऐसा क्यों….

जो राम को लाए, लोग उनको नहीं लाए, जानिए ऐसा क्यों….
UPT | रामनगरी में भाजपा क्लीन बोल्ड

Jun 04, 2024 21:03

अयोध्या यानी रामनगरी। सियासत की भाषा में फैजाबाद लोकसभा सीट। यहां पासा पलट गया। जो राम को लाए, लोग उनको नहीं लाए। भाजपा के दो बार के सांसद लल्लू सिंह हैट्रिक नहीं लगा पाए और सपा के अवधेश प्रसाद ने...

Jun 04, 2024 21:03

Noida / Lucknow News : अयोध्या यानी रामनगरी। सियासत की भाषा में फैजाबाद लोकसभा सीट। यहां पासा पलट गया। जो राम को लाए, लोग उनको नहीं लाए। भाजपा के दो बार के सांसद लल्लू सिंह हैट्रिक नहीं लगा पाए और सपा के अवधेश प्रसाद ने उन्हें हराकर बड़ा उलटफेर कर डाला। देश से विदेश तक इस बात की चर्चा है कि राम मंदिर बनने के बाद भी यहां भाजपा कैसे हार गई।

पीडीए की अपील मंदिर पर भारी
अवधेश प्रसाद इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार थे और करीब 55 हजार वोटों से चुनाव जीते। भाजपा के राम मंदिर कार्ड के बावजूद सपा का पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) कार्ड भारी पड़ गया। इस लोकसभा सीट पर शहर से लेकर गांव तक भारी ध्रुवीकरण ने भाजपा को चारों खाने चित कर डाला। समाजवादी पार्टी ने सामान्य सीटों पर दलित कार्ड खेलकर सभी को चौंकाया है। खांटी समाजवादी होने के साथ ही राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाने वाले अवधेश प्रसाद का पूरा फोकस पीडीए थीम पर दिखा। उन्होंने न कोई शोर-शराबा किया ना ही कोई दिखावा। वह चुपचाप चलते हुए मंजिल पर पहुंच गए, जिसका किसी को अंदाजा न था। 

लल्लू सिंह का बयान उलटा पड़ा
मंदिर बनने के साथ भाजपा के पक्ष में जो माहौल था, वह यूं बदल जाएगा, इसका किसी को अंदाजा न था। भाजपा ने लल्लू सिंह पर भरोसा जताते हुए तीसरी बार उतारा था। लल्लू सिंह के खिलाफ एंटी एन्कंबेंसी को भाजपा भांप न सकी। नतीजतन उनको यह प्रतिष्ठित सीट गंवानी पड़ी। रही-सही कसर लल्लू सिंह के संविधान वाले बयान ने पूरी कर दी। उन्होंने चुनाव-प्रचार के दौरान संविधान बदलने का बयान भी दिया, जो विपक्ष ने लपक लिया और पूरे देश में भाजपा के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया। 

राममंदिर तो बना स्थानीयता दरकिनार हुई
चुनाव के दौरान भाजपा के विरोधी सुर में बोलने वाले कहते रहे कि राममंदिर से स्थानीय लोगों को क्या मिला। मंदिर बनाने के अलावा ऐसा कोई विकास का काम नहीं हुआ कि स्थानीय लोगों को अच्छी शिक्षा या रोजगार मिले। इसके अलावा अयोध्या में रामपथ के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण में जो असंतोष उपजा, उसका समाधान न होना भी सत्ताधारी दल के खिलाफ गया। कई लोगों को मुआवजा अपर्याप्त मिला या नहीं मिला, ऐसी शिकायतें रहीं। ऐसी ही स्थिति चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण में भी देखने को मिली। बड़ी संख्या में घर-दुकान तोड़े गए लेकिन प्रभावितों को उचित मुआवजा नहीं मिल पाया। यह चुनाव में भाजपा को भारी पड़ गया।

आवारा पशु और स्थानीय मुद्दे 
अयोध्या में राममंदिर के शोर में स्थानीय मुद्दों को दरकिनार करने की वजह से सत्ताधारी दल के पक्ष में कम मतदान हुआ। चुनाव में लोगों ने कहा कि भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया से लेकर चुनाव-प्रचार में अयोध्या धाम में हुए विकास कार्यों को बताया लेकिन अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों पर कम ध्यान दिया। इसके अलावा स्थानीय किसानों और आम लोगों के लिए आवारा पशुओं की बड़ी समस्या को समाजवादी पार्टी ने मुद्दा बनाया। इसका भी उसे काफी हद तक लाभ मिला।

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