श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने गीता जयंती समारोह के अवसर पर श्रीमद्भगवद्गीता को मानवता के लिए अनुकरणीय बताया।
Ayodhya News : गीता जयंती पर संतों और विद्वानों का समागम, श्रीमद्भगवद्गीता के संदेश पर हुआ चिंतन
Dec 11, 2024 18:23
Dec 11, 2024 18:23
Ayodhya News : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास ने गीता जयंती समारोह के अवसर पर श्रीमद्भगवद्गीता को मानवता के लिए अनुकरणीय बताया। वाल्मीकि रामायण भवन में आयोजित इस भव्य समारोह में 2000 से अधिक वैदिक विद्वानों, संतों और वटुकों ने गीता का सस्वर पाठ किया। महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि गीता केवल हिंदू धर्म का पथप्रदर्शक नहीं है, बल्कि यह समस्त मानव जाति को प्रेरणा और ज्ञान प्रदान करती है। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति की आधारशिला बताते हुए कहा कि गीता का आरंभ धर्म से और समापन कर्म से होता है। यह मनुष्य को कर्तव्य का बोध कराती है और धर्म की स्थापना करते हुए अधर्म के नाश का संदेश देती है।
भगवद्गीता: धर्म और कर्म का महामंत्र
कार्यक्रम में महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने महाभारत के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि गीता का जन्म तब हुआ जब समाज में अन्याय, अनाचार और पापाचार चरम पर थे। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए ज्ञान ने समाज को सत्य, धर्म और कर्म का मार्ग दिखाया।
गीता की प्रासंगिकता आज के युग में
कथा व्यास राधेश्याम शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा कि गीता आज भी परमाणु युद्ध और अनैतिकता के संकट से जूझ रहे समाज के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने बताया कि गीता के 701 श्लोकों में जीवन के हर पहलू का समाधान छिपा है, जो मनुष्य को सुखमय जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
स्मरण में आया ऐतिहासिक दिन
विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने गीता जयंती के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 6 दिसंबर 1992, हिंदी तिथि के अनुसार, गीता जयंती का दिन था, जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया।
सम्मानित हुए संत और विद्वान
समारोह में संत, धर्माचार्य, विद्वान और वटुकों को अंगवस्त्र और दक्षिणा देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कथा व्यास राधेश्याम शास्त्री ने किया। इस अवसर पर महंत कमलनयन दास, कृपालु राम दास, राम नाम बैंक के मैनेजर पुनीत राम दास, डॉ. रामतेज पांडेय सहित कई प्रमुख संत और विद्वान उपस्थित रहे।
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