चौंकिए मत, ये है सच : रामलला प्राण प्रतिष्ठा की एक साल में दो वर्षगांठ, 2025 में दूसरी बार इस दिन होगा भव्य आयोजन

रामलला प्राण प्रतिष्ठा की एक साल में दो वर्षगांठ, 2025 में दूसरी बार इस दिन होगा भव्य आयोजन
UPT | राम मंदिर

Jan 11, 2025 14:06

राम मंदिर अयोध्या के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने स्पष्ट किया कि इस बार जब पौष शुक्ल द्वादशी आएगी, तब इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया...

Jan 11, 2025 14:06

Ayodhya News : राम मंदिर अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ को लेकर एक दिलचस्प सवाल उठ रहा है। इस साल, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी है, जो 11 जनवरी को पड़ रही है, परंतु एक और तिथि 31 दिसंबर को भी पौष शुक्ल द्वादशी आई थी। तो क्या एक साल में दो बार इस उत्सव का आयोजन किया जाएगा? आइए जानते हैं इस मुद्दे पर क्या राय है मंदिर के पुजारियों और ज्योतिषियों की।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पुजारियों का क्या कहना है?
राम मंदिर अयोध्या के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने स्पष्ट किया कि इस बार जब पौष शुक्ल द्वादशी आएगी, तब इस पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अगले साल जब यह तिथि फिर से आएगी तो उस वक्त ही इस पर विचार किया जाएगा कि क्या उत्सव मनाना चाहिए।

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र का बयान
डॉ. अनिल मिश्र श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी ने कहा कि इस साल दो बार पौष शुक्ल द्वादशी आने की जानकारी उन्हें नहीं थी। उन्होंने कहा कि जब यह तिथि अगले साल आएगी तो उस समय इस पर विचार किया जाएगा।

ज्योतिषियों का क्या कहना है?
राम मंदिर भूमि पूजन में शामिल हुए बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडेय ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा की तिथि के अनुसार ही उत्सव मनाना शास्त्रसम्मत है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी कैलेंडर में पौष शुक्ल द्वादशी तिथि का दो बार आना स्वाभाविक है और यह स्थिति हर 2-3 साल में उत्पन्न होती है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने भी इसे ज्योतिषीय कालगणना का परिणाम बताया। उनके अनुसार, चांद्र और सौर वर्ष में तालमेल न होने के कारण ऐसा हो रहा है। जब भी पौष शुक्ल द्वादशी तिथि आए, उसी दिन प्राण प्रतिष्ठा उत्सव मनाना चाहिए।

हिंदी और अंग्रेजी कैलेंडर का गणित
ज्योतिषियों और पंचांग के गणित के अनुसार, अंग्रेजी और हिंदी कैलेंडर में अंतर होता है। अंग्रेजी कैलेंडर में एक साल में 365 दिन होते हैं, जबकि चांद्र वर्ष (पंचांग) 354 दिनों का होता है। इस कारण हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर साल दो हिंदी महीने आते हैं, जिससे पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि साल में दो बार आती है। इस साल 31 दिसंबर को पहली बार यह तिथि आई थी और फिर 11 जनवरी को भी यह तिथि आ रही है। 2025 में इस तिथि का कोई समय नहीं होगा, और यह सीधे 2027 में 19 जनवरी को आएगी।

पौष शुक्ल द्वादशी का महत्व और शुभ योग
11 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा उत्सव के मुहूर्त में पांच बड़े शुभ योग बन रहे हैं। जिनमें बुधादित्य, पारिजात, गजकेसरी, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग शामिल हैं। इन योगों में किए गए धार्मिक और मांगलिक कार्यों का विशेष प्रभाव होगा और यह समृद्धि और शांति को बढ़ाएंगे। पौष शुक्ल द्वादशी का दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। पंडितों के अनुसार, इस दिन सूर्य उत्तरायण की दिशा में बढ़ता है, और चंद्रमा पूर्णता की ओर बढ़ता है, जो इस दिन की सकारात्मक ऊर्जा को और भी बढ़ा देता है। यह दिन विशेष रूप से दान-पुण्य, पूजा और मोक्ष की प्राप्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। पुराणों में इसे "वैकुंठ द्वादशी" कहा जाता है और इसे भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा का दिन माना गया है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ भी इसी तिथि पर हुआ था।

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