डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 29 वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल के हाथों स्वर्णपदक पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खिल उठे...
Ayodhya News : डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 72 स्वर्ण पदक के साथ छात्राओं ने मारी बाजी
Sep 20, 2024 21:16
Sep 20, 2024 21:16
- राज्यपाल के हाथों 116 स्वर्ण पदक वितरित, होनहारों के खिले चेहरे
- अवध विश्वविद्यालय का 29वां दीक्षांत समारोह भव्यता के साथ सम्पन्न
Ayodhya News : डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 29 वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल के हाथों स्वर्णपदक पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खिल उठे। दीक्षांत समारोह में 102 छात्र-छात्राओं को कुल 116 स्वर्णपदक प्रदान किए गए। जिसमें 33 कुलपति स्वर्णपदक, 66 कुलाधिपति स्वर्णपदक एवं 17 दानस्वरूप स्वर्णपदक में से 14 छात्र-छात्राएं ऐसे है जिन्हें कुलपति व कुलाधिपति स्वर्णपदक भी प्रदान किए गए। इस समारोह में 65 स्वर्णपदक छात्राओं को मिला जिनका प्रतिशत 64 रहा। वहीं 37 स्वर्णपदक छात्रों को मिला, इनका प्रतिशत 36 रहा है।
शिक्षा ज्ञान, संस्कार व मूल्य आधारित हो : कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल
विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समारोह में छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण बनाये रखने में सदैव गुरुकुलों एवं विश्वविद्यालयों का रहा है। इसमें समाज के निर्माण एवं संवर्धन में विश्वविद्यालयों ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। संस्कृति, ज्ञान एवं परंपरा के संरक्षक एवं विभिन्न कालों में नवीन परम्पराओं के संवाहक एवं नवोन्मेष शोध केंद्र के रूप में ये समाज को सकारात्मक दिशा देने का कार्य रहे हैं। कुलाधिपति ने कहा कि स्वर्णपदक प्राप्त होनहारों से कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिदिन छात्राएं आगे बढ़ रही है। इनमें छात्राओं की संख्या काफी है।
राज्यपाल ने कहा कि आपकी सफलता में आपके माता-पिता, गुरूओं की विशेष भूमिका होती है। आप सभी भारत के सबसे युवा एवं सबसे बड़ी पूंजी है। भारत युवा देश में से एक है। हमारी पचपन प्रतिशत से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवे स्थान पर है। वर्ष 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे। देश के प्रधानमंत्री जी 2047 तक एक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए हम सभी के पास स्वर्णिम अपार संभावनाएं है। बल्कि उसके अनुरूप परिस्थितियां भी है। वर्ष 2047 में जब देश आजादी का वर्षगाठ बनायेगा। राज्यपाल ने कहा कि भारत एक समृद्ध विरासत का राष्ट्र है, और इसका ध्वजवाहक आपको ही बनना है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो शिक्षित होने के साथ आत्मनिर्भर भी बनाये। राष्ट्रीय शिक्षा नीति संचालित पाठ्यक्रमों का संचालन अवध विश्वविद्यालय कर रहा है।
सरकार ने विश्वविद्यालय को दिया है पीएम उषा के तहत 100 करोड़ अनुदान
समारोह में राज्यपाल ने कहा कि सरकार ने विश्वविद्यालय को पीएम उषा के तहत 100 करोड़ अनुदान दिया है जिससे शिक्षा के संसाधनों को विकसित किया जा सके। शिक्षा में सभी को समान अवसर मिले इसके लिए आस-पास के पिछडे़ जिलों को भी विकसित करना है। मेरा मत है केजी से पीजी तक आपस में एक दूसरे से जुड़े रहे। उसके लिए हाॅयर एजुकेशन का सेतु बनाना होगा। कहा कि प्रदेश की 34 विश्वविद्यालयों में पांच-पांच गांव गोद लिया हैं उन गांवों को उनके अधिकार दिला रहे है। देश को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं को कृत संकल्पित होकर कार्य करना होगा।
शिक्षा ही व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के विकास का साधन : प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा
विवि के 29वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि यूनेस्को संचालित महात्मा गांधी शांति व सतत् विकासार्थ शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि शिक्षा ही प्रत्येक व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए अद्यतन ज्ञान, उन्नत प्रौद्योगिकी, उत्कृष्ट, नैतिकता, उच्च सामाजिक संवेदना एवं उच्च राष्ट्रनिष्ठा के संस्कारों के प्रस्फुटन व विकास का साधन है। देश व समाज का आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास शिक्षा के अनुरूप व उसके समानुपात में ही होता है। देश के भावी विकास की दिशा व गति हमारे 15 लाख विद्यालयों के 27 करोड़ विद्यार्थियों एवं 1100 विश्वविद्यालयों सहित 45,000 महाविद्यालयों में अध्यनरत 4 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं की शिक्षा-दीक्षा पर ही निर्भर करेगी। समारोह में उन्होंने कहा कि आज विश्वविद्यालय की विविध उपाधियों से विभूषित होने वाले ये छात्र-छात्राएँ देश के सभी ज्ञान आधारित आयामों को अपने अद्यतन ज्ञान व कौशल से स्पन्दित कर देश के समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगे। हमारे उच्च शिक्षा से विभूषित युवा ही चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति के दौर में वैश्विक विकास को गति प्रदान करेंगे।
हमारे सुशिक्षित छात्र-छात्राओं के सामाजिक सरोकार व मानवीय संवेदनायें ही देश व समाज में सामाजिक सौहार्द व समरसता के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक विरासत की सरिता को भी सतत् प्रवाहमान रखेगी। हमारी 143 करोड़ जनसंख्या के साथ, हम विश्व की 17.6 प्रतिशत जनसंख्या का निर्माण करते हैं। आज सम्पूर्ण यूरोप के 50 देशों एवं 26 लेटिन अमेरिकी देशों को मिलाकर कुल 76 देशों की संयुक्त जनसंख्या से भी हमारी जनसंख्या अधिक है। हमारी कार्यशील आयु की जनसंख्या आज 90 करोड़ से अधिक है और 2030 तक यह संख्या 100 करोड़ हो जायेगी। यह विश्व की कुल कार्यशील जनसंख्या की 24.3 प्रतिशत होगी। यदि देश की कार्यशील आयु की सम्पूर्ण जनसंख्या को कार्य युक्त किया जा सके तो भारत 400 खरब डालर अर्थात 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी आज 25 ट्रिलियन डालर तुल्य है।
विकसित भारत बनाने के लिए प्रतिभाओं को तराशना : उच्च शिक्षा मंत्री
दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि जीवन के पीछे माता-पिता की भूमिका और गुरू का पाथेय है। विश्वविद्यालय शिक्षा की पावन भूमि है। इसी स्थल पर अस्मिता के प्रतीक श्रीराम जी ने जन्म लिया है। अटक से कटक तक कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक राष्ट्र है। प्रभु श्रीराम ने शैव और वैश्णव को एम सूत्र में पिरोया। राम ने राष्ट्र को एक सूत्र में बाधा है। उन्होंने कहा कि भारत के तीन प्रमुख चिंतक माने जाते है। महात्मा गांधी, लोहिया, और पं दीनदयाल। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि यह युवाओं का दायित्व है कि देश को राष्ट्र के संकल्पित है। स्वामी विवेकानंद के कथन को उद्त करते हुए कहा कि स्वामी के संस्कार युक्त शिक्षा होनी चाहिए। शिक्षा की उच्चीकृत एवं तकनीकी युक्त होनी चाहिए। विकसित भारत बनाने के लिए प्रतिभाओं को तराशना एवं तलाशना होगा।
छात्र संस्था के ब्राण्ड अम्बेस्डर होते है : रजनी तिवारी
दीक्षांत समारोह में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पर विद्यमान होकर प्रतिवर्ष लाखो का जीवन प्रतिमान कर रहा है। भारतीय ज्ञान परम्परा के विकसित करने के लिए कठिन साधना की आवश्यकता है। हमें अपनी प्राचीन शिक्षा का गौरव वापस पाने के लिए वैदिक शिक्षा का अपनाना होगा। किसी भी विश्वविद्यालय के छात्र उस संस्था के ब्राण्ड अम्बेस्डर होते है। सभी युवाओं से अपील है। कि राष्ट्र के निर्माण में सार्थक रूप से योगदान करें।
विद्यार्थी जीवन का उपयोग ज्ञान और मानवीय मूल्यों की सिद्धि में करेंः कुलपति
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल ने अतिथियो का स्वागत व विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को सत्र 2021-22 से स्नातक स्तर पर, तथा सत्र 2022-23 से परास्नातक स्तर पर विज्ञान, वाणिज्य तथा कला एवं मानविकी संकायों के अंतर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया है। इसके अंतर्गत प्रथम बैच के विद्यार्थी सत्र 2023-24 में उत्तीर्ण हो चुके हैं। विश्वविद्यालय परिसर में उ.प्र. कौशल विकास मिशन के कौशल विकासार्थ एक स्किल हब स्थापित किया गया है जिसके अंतर्गत विश्वविद्यालय तथा सम्बद्ध महाविद्यालय के विद्यार्थियों को फूलों से इत्र, टूरिस्ट गाइड एवं कृषि से सम्बन्धित क्षेत्रों में कौशल विकास संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों के लिये रोजगार प्राप्ति के अवसर बढ़ेंगे। कुलपति ने बताया कि सत्र 2023-24 में विश्वविद्यालय एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए 200218 उपाधियाँ प्रदान की जा रही हैं जिनमे: छात्र एवं 58ः छात्रायें हैं। इन सफल विद्यार्थियों की उपाधियाँ आज आपके कर कमलों से, भारत सरकार के डिजिलॉकर में ई-प्रमाणपत्र के रूप में उपलब्ध करायी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस दीक्षान्त समारोह में सर्वोच्च अंकों से उत्तीर्ण होने वाले 116 प्रदान किये जाने वाले स्वर्ण पदकों मे 65 स्वर्ण पदक छात्राओं को दिए जा रहे हैं जो की कुल संख्या का 64 प्रतिशत है।
समारोह में कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में अन्तर विभागीय, महाविद्यालयीय एवं विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त परिसर स्तर पर विभिन्न विषयों पर भाषण, निबंध, पोस्टर मेकिंग एवं पेन्टिंग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन समय-समय पर किया जाता है। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय परिसर के छात्र-छात्राएं देश के महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों, ख्यातिलब्ध शोध व शैक्षणिक संस्थानों, बैंकिंग सेवा, भारतीय सेना एवं निजी क्षेत्र के उद्यमों के साथ-साथ विदेशों में स्थित महत्वपूर्ण संस्थानों में भी अपनी सेवाएं दे रहे है।
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