श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी का दावा : संभल में मिले सबूतों से हिंदू पक्ष में होगा कोर्ट का फैसला, 150 साल पुरानी बावड़ी और मंदिर के अवशेष मिले

संभल में मिले सबूतों से हिंदू पक्ष में होगा कोर्ट का फैसला, 150 साल पुरानी बावड़ी और मंदिर के अवशेष मिले
UPT | श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास

Dec 23, 2024 14:04

श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास की प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमें उन्होने कहा कि संभल में जिस तरह के सबूत मिल रहे हैं उससे कोर्ट भी हिंदू पक्ष में फैसला देने को मजबूर हो जाएगा।

Dec 23, 2024 14:04

Ayodhya News : संभल में चल रही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ने इतिहास और धार्मिक धरोहरों से जुड़े कई राज़ उजागर किए हैं। इस दौरान शिव मंदिर, प्राचीन कूप, बंद पड़े राधा-कृष्ण मंदिर और 150 साल पुरानी रानी सुरेंद्र बाला की बावड़ी का पता चला है। प्रशासन ने इन धरोहरों की सफाई और संरक्षण का काम शुरू कर दिया है। इस खुलासे के बाद क्षेत्र में उत्सुकता और धार्मिक महत्व बढ़ गया है। इस बीच श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास की प्रतिक्रिया सामने आई है। जिसमें उन्होने कहा कि संभल में जिस तरह के सबूत मिल रहे हैं उससे कोर्ट भी हिंदू पक्ष में फैसला देने को मजबूर हो जाएगा।

मुख्य पुजारी का बयान
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "संभल में मिले प्रमाण हिंदू पक्ष के दावे को मजबूत करते हैं।" उन्होंने कहा, "अब जो साक्ष्य सामने आए हैं, वे यह साबित करते हैं कि यहां पहले मंदिर था जिसे ध्वस्त करके इस्लामी स्वरूप देने का प्रयास किया गया।" उन्होंने कहा कि खुदाई से मिले अवशेष वास्तविक और प्रमाणिक हैं। "यह सबूत हवा में खड़े किए गए नहीं हैं। मंदिर के अवशेष, मूर्तियां और संरचनाएं इस बात की पुष्टि करते हैं कि यहां एक भव्य मंदिर हुआ करता था।" उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये प्रमाण कोर्ट को मंदिर के पक्ष में फैसला देने के लिए मजबूर करेंगे।


अतिक्रमण के दौरान मिले ऐतिहासिक साक्ष्य
  • शिव मंदिर : सबसे पहले अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान एक शिव मंदिर का पता चला।
  • प्राचीन कूप : शिव मंदिर के पास खुदाई के दौरान एक प्राचीन कूप से भगवान गणेश, कार्तिकेय और माता पार्वती की मूर्तियां बरामद हुईं।
  • राधा-कृष्ण मंदिर : वर्षों से बंद पड़े इस मंदिर को प्रशासन ने खोलकर उसकी मरम्मत का कार्य शुरू किया।
  • रानी की बावड़ी : 150 साल पुरानी इस बावड़ी का खुलासा हाल ही में हुआ। यह रानी सुरेंद्र बाला की बताई जाती है, जो यहां विश्राम किया करती थीं।
डीएम ने दिए निर्देश
अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में मिली धरोहरों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने और उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग से संपर्क किया जाएगा। डीएम ने बावड़ी और अन्य संरचनाओं की साफ-सफाई और जीर्णोद्धार के निर्देश दिए हैं।

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