मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को दिगंबर अखाड़ा में श्रीराम जन्मभूमि न्यास के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास की 21वीं पुण्यतिथि पर उनकी मूर्ति का अनावरण किया...
बांग्लादेश हिंसा पर भड़के सीएम योगी : बोले- पड़ोस जल रहा, हिंदुओं को चुन-चुनकर बनाया जा रहा निशाना
Aug 07, 2024 15:19
Aug 07, 2024 15:19
'राम मंदिर का निर्माण मंजिल नहीं पड़ाव'
सीएम योगी ने कहा कि आज दुनिया की तस्वीर हम सभी देख रहे हैं। भारत का आस-पड़ोस जल रहा है, मंदिर तोड़े जा रहे हैं। हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। तब भी हम इतिहास के तथ्यों को ढूंढने का प्रयास नहीं कर रहे कि वहां ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्यों पैदा हुई है। जो समाज इतिहास की गलतियों से सबक नहीं सीखता है, उसके उज्ज्वल भविष्य पर भी ग्रहण लगता है। सनातन धर्म पर आने वाले संकट के लिए फिर एकजुट होकर कार्य करने और लड़ने की आवश्यकता है। राम मंदिर का निर्माण मंजिल नहीं, पड़ाव है। इसे आगे भी निरंतरता देनी है। सनातन धर्म की मजबूती इन अभियानों को नई गति देती है।
#WATCH अयोध्या: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परमहंस रामचंद्र दास महाराज के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की। pic.twitter.com/ctOFWUmEQS
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 7, 2024
परमहंस रामचंद्र दास की पुण्यतिथि बोले सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के गहरे भक्त ब्रह्मलीन परमहंस रामचंद्र दास का समस्त जीवन रामजन्मभूमि के लिए समर्पित था। उन्होंने इस आंदोलन को अपना जीवन मिशन मान लिया था। संतों का एकजुट संकल्प ही था जिसने अयोध्या में मंदिर निर्माण की राह खोली। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि 21 वर्षों के बाद, उन्हें परमहंस रामचंद्र दास की प्रतिमा की स्थापना का अवसर मिला, जो उनके लिए एक विशेष सौभाग्य है।
भगवान राम का लगाव था गोरक्षपीठ से
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि गोरक्षपीठ और दिगंबर अखाड़ा 1940 के दशक से एक-दूसरे के सहयोगी रहे हैं। जब रामचंद्र दास महराज बचपन में अयोध्या आए, तब से उनका गोरक्षपीठ के साथ विशेष जुड़ाव था। गोरक्षपीठ के तत्कालीन प्रमुख महंत दिग्विजयनाथ के नेतृत्व में रामजन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाया गया। 1949 में रामलला की प्रतिमा के प्रकटीकरण के बाद, जब सरकार ने उसे हटाने का प्रयास किया, गोरक्षपीठ और संत परमहंस रामचंद्र दास ने मिलकर न्यायालय और सड़क तक इस लड़ाई को जारी रखा। इस संघर्ष का परिणाम यह हुआ कि संतों की तपस्या सफल रही और 500 वर्षों का इंतजार समाप्त हुआ। आज अयोध्या में रामलला विराजमान हैं, और यह स्थल देश और दुनिया में त्रेतायुग की याद दिलाता है, साथ ही अयोध्या को नई पहचान मिली है।
भाजपा की डबल इंजन सरकार में निकला मार्ग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रामजन्मभूमि मामले को लेकर शुरू में यह आशंका जताई गई थी कि यदि फैसला राम मंदिर के पक्ष में हुआ, तो सड़कों पर खून की नदियां बह सकती हैं। हालांकि, संतों ने इस मुद्दे का समाधान बातचीत के जरिए निकालने की पूरी कोशिश की। जब बातचीत का रास्ता बंद हो गया और सरकार की अड़चनें सामने आईं, तब संतों ने लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष जारी रखने का निर्णय लिया। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप, देश भर में आंदोलन को मजबूत किया गया। जब मामला न्यायालय में गया, तो भाजपा की डबल इंजन सरकार के गठन के बाद समस्या का समाधान संभव हुआ।
स्मरणीय बन गई पांच अगस्त और 22 जनवरी की तिथि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत भव्य राम मंदिर का शिलान्यास और भूमि पूजन किया। इसके बाद 22 जनवरी 2024 को रामलला पुनः अयोध्या में विराजमान हुए। ये तिथियां सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई हैं। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी 2024 को जब रामलला ने अयोध्या में वापसी की, तब संतों की आत्मा को शांति मिली और वर्तमान पीढ़ी पर विश्वास कायम हुआ कि कार्य सही दिशा में प्रगति कर रहा है। इस सफलता का आशीर्वाद प्रधानमंत्री मोदी को भी प्राप्त हुआ।
परमहंस रामचंद्र दास के बारे में की बात
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि परमहंस रामचंद्र दास महराज मेरे लिए पूज्य गुरु के समान थे। जब भी मैं गोरखपुर से अयोध्या, लखनऊ या प्रयागराज की यात्रा करता था, तो गुरुजी मुझसे पूछते थे कि क्या मैंने दिगंबर अखाड़ा में जाकर परमहंस का हालचाल लिया। यदि मैं भूल जाता था, तो वे मुझे फटकार भी लगाते थे और कहते थे कि परमहंस मेरे गुरु भाई हैं। मैं जानता था कि जब भी मैं इस मार्ग से गुजरूंगा, मेरे गुरुदेव मुझसे पूछेंगे कि परमहंस की तबियत कैसी है, और इसलिए मैं पहले उनके पास जाकर हालचाल लेता था। परमहंस अपने दरवाजे पर बैठकर सहजता से लोगों से बातचीत करते थे। बहुत से लोग उनके दिव्य, भव्य और नेतृत्वकारी गुणों को नहीं समझ पाते थे, लेकिन उनका वात्सल्य हमेशा महसूस किया जा सकता था। उन्होंने अपना जीवन सनातन धर्म और उसकी परंपराओं के प्रति समर्पित किया। उनका अंतिम संकल्प था कि अयोध्या में रामलला का मंदिर बने।
अयोध्यावासियों को भी मिली नई पहचान
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या में कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं, जिनसे न केवल संतों की प्रतिष्ठा बढ़ी है बल्कि अयोध्यावासियों को भी नई पहचान मिली है। इस सम्मान को बनाए रखने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना होगा। अगर हम इस सम्मान को संरक्षित और सुरक्षित करने में सफल होते हैं, तो लंबे समय तक इसके हकदार बने रहेंगे। डबल इंजन सरकार इस दिशा में काम कर रही है। एक ओर जहां रामजन्मभूमि परिसर में भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है और रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जनसहयोग से इसका वास्तविक स्वरूप दे रहा है, वहीं दूसरी ओर अयोध्या के सौंदर्यकरण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। पांच से सात वर्षों में अयोध्या आने वाले लोग यहां की नई परिवर्तनों से चकित रह जाते हैं। अयोध्या को इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुविधा प्राप्त हुई है, जिससे इसकी देश-विदेश से कनेक्टिविटी बढ़ी है। रेलवे की सुविधाओं में सुधार हुआ है, और राम की पैड़ी, मठ-मंदिरों के सौंदर्यकरण का कार्य भी सम्पन्न हुआ है।
कार्यक्रम में यह सभी रहे शामिल
कार्यक्रम में दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य महराज, राघवाचार्य महराज, धर्मदास महराज, विजय कौशल महराज, रामलखन दास महराज, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, मनोहर लाल 'मन्नू कोरी', महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, वेद प्रकाश गुप्त, अमित सिंह चौहान, और रामचंद्र यादव शामिल रहे।
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