15 पुलिस कर्मियों पर FIR के आदेश : पैसे न देने पर सेल्समैन को झूठे मामले में फंसा कर भेजा था जेल

पैसे न देने पर सेल्समैन को झूठे मामले में फंसा कर भेजा था जेल
UPT | 15 पुलिस कर्मियों पर FIR के आदेश ।

Oct 06, 2024 19:33

आजमगढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सत्यवीर सिंह ने अहरौला पुलिस को आदेश दिया है कि पवई थानाध्यक्ष समेत 15 पुलिस कर्मियों पर FIR दर्ज की जाए। इस निर्णय के साथ ही पुलिस को मामले की विवेचना कर

Oct 06, 2024 19:33

Azamgarh News : आजमगढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सत्यवीर सिंह ने अहरौला पुलिस को आदेश दिया है कि पवई थानाध्यक्ष समेत 15 पुलिस कर्मियों पर FIR दर्ज की जाए। इस निर्णय के साथ ही पुलिस को मामले की विवेचना कर रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिएहैं।वादी पक्ष ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाने की कोशिश की थी।

पुलिस को पैसा देने से किया था मना
मामला अहरौला थाना क्षेत्र की गीता नाम की महिला द्वारा दायर की गई याचिका से जुड़ा है। गीता ने अदालत में बताया कि उसके पति इंद्रजीत यादव और संचित यादव फुलवरिया स्थित एक बीयर की दुकान पर सेल्समैन हैं। होली के अवसर पर पुलिस ने उनके पति से पैसे की मांग की थी। जब उन्होंने पैसे देने से मना किया तो पवई थानाध्यक्ष संजय कुमार और अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें धमकाते हुए घर पहुंचकर उनके स्कार्पियो की चाबी ले ली और उन्हें जबरन थाने ले गए।



गांजा और शराब की फर्जी बरामदगी दिखाई
पुलिस ने आरोप लगाया कि स्कार्पियो में गांजा और शराब बरामद किया गया, जबकि गीता ने बताया कि यह सब पूरी तरह से फर्जी था। पुलिस ने उनके पति और संचित यादव को गिरफ्तार कर थाने में मुकदमा दर्ज कर दिया। इसके बाद पीड़िता ने उच्च न्यायालय में अपने पति और संचित की जमानत के लिए याचिका दायर की जो 4 जून 2020 को स्वीकार की गई। पीड़िता ने 29 मई 2020 को न्यायालय में आवेदन दिया था कि उनके वाहन को छुड़वाया जाए। न्यायालय ने पवई थाना से रिपोर्ट मंगाकर 26 जून 2020 को वाहन वापस करने का आदेश दिया। लेकिन आदेश के बावजूद थानाध्यक्ष संजय कुमार ने वाहन नहीं छोड़ा। जब कोई अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहा था तो गीता ने न्यायालय का रुख किया।

न्यायालय का निर्देश
अब न्यायालय ने अहरौला थानाध्यक्ष को आदेश दिया है कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उचित कार्रवाई की जाए। यह मामला पुलिस द्वारा अनुशासनहीनता और गलत कार्यों को उजागर करता है। इससे समाज में पुलिस की छवि खराब हो रही है। इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक और न्यायिक प्रणाली पर एक बार फिर से सवाल उठाए हैं,जहां नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और न्याय सुनिश्चित करना एक चुनौती बना हुआ है।

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