बलिया नगर के कदम चौराहा स्थित छोटी मठिया से जुड़े करोड़ों के भूमि विवाद की पत्रावली सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत से गायब हो गई है। मामला सामने आते ही इस प्रकरण की जांच की गई…
Ballia News : सिटी मजिस्ट्रेट के न्यायालय से गायब हो गई करोड़ों के भूमि विवाद की पत्रावली, पेशकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज
Jun 11, 2024 19:24
Jun 11, 2024 19:24
करोड़ों की भूमि विवाद का मामला जब फैसले तक पहुंचा तो फाइल गायब
नगर के छोटी मठिया अंतर्गत करोड़ों की भूमि विवाद का मामला धीरे-धीरे फैसले के पास तक पहुंच गया था। लेकिन फैसला आने से पहले ही पेशकार एवं भू माफियाओं की मिली भगत से विवादित फाइल को गायब करा दिया गया। जानकारों की मानें तो इसके पीछे बड़ा खेल हो सकता है।
नगर मजिस्ट्रेट ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि शहर के मौजा नेउरी बिगहीं में सत्यदेव बनाम सुरेश कुमार आदि का मामला न्यायालय में चल रहा है। यह मामला छोटी मठिया के भूमि विवाद से संबंधित है।
उन्होंने बताया कि बीते 17 अगस्त 2023 को वादी महंथ सत्यदेव की ओर से मुआयना कराने के लिए पत्रावली मांगी गई तो पेशकार उपेंद्र कुमार चौरसिया ने बताया कि पत्रावली तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार निस्तारण के लिए आवास पर ले गए थे। वह स्थानांतरण के बाद अपने साथ लेकर चले गए। प्रदीप कुमार का स्थानांतरण दो दिसंबर 2022 को हुआ था। जबकि उपेंद्र कुमार चौरसिया 17 अगस्त 2023 के पहले तक उस पत्रावली पर हस्ताक्षर कराकर तिथि नोट कराते रहे।
इससे स्पष्ट है कि इस वाद की पत्रावली तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार के स्थानांतरण के बाद भी 17 अगस्त 2023 के पहले तक न्यायालय में मौजूद थी। यह पत्रावली 17 अगस्त 2023 के बाद उपेंद्र ने गायब कर दी है। अपना अपराध छिपाने के लिए उपेंद्र ने तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट का नाम लिया, जो कि पूर्णतया असत्य है।
पत्रावली गायब कर जानबूझ कर विपक्षी से अनुचित लाभ लिया
पत्रावलियों के रख-रखाव एवं उसकी अभिरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उपेंद्र कुमार चौरसिया की है। उन्होंने पत्रावली गायब होने की जानकारी उच्चाधिकारी को नहीं दी और वादी को तारीख देते रहे। उपेंद्र कुमार चौरसिया ने पत्रावली गायब कर जानबूझ कर विपक्षी से अनुचित लाभ लिया। यह वाद करोड़ों की संपत्ति से जुड़ा है। इसमें वादी के पक्ष में थाना कोतवाली से 27 नवंबर 2021 को रिपोर्ट भी आ गई थी।
विवादित संपति को न्यायालय से कुर्क किए जाने की संभावना भी थी। लेकिन उसके पहले ही भूमि विवाद की पत्रावली गायब होने से पीड़ित को न्याय नहीं मिल सका। अब विवादित भूमि की पत्रावली की खोजबीन के लिए जांच बैठा दी गई है।
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