सांसद से सीधे प्रधानमंत्री की शपथ : बलिया लोकसभा सीट से सबसे बड़ी जीत युवा तुर्क के नाम... और जब रोने लगे थे चंद्रशेखर

बलिया लोकसभा सीट से सबसे बड़ी जीत युवा तुर्क के नाम... और जब रोने लगे थे चंद्रशेखर
UPT | Ex PM Chandrashekhar

Mar 29, 2024 18:25

जब आखिरी बार चंद्रशेखर बलिया आए थे। यह जनपद के लिए उनकी आखिरी यात्रा भी थी। तब बलिया पहुंचते ही वह काफी भावुक हो गए। अपनों को देखा तो उनके आंखों से आंसू छलक पड़े...

Mar 29, 2024 18:25

Ballia News (अखिलानंद तिवारी) : हम बात कर रहे हैं उस शख्सियत की जिसका नाम लेकर बलिया आज भी खुद को गौरवान्वित महसूस करता है। जनपदवासियों का प्यार व दुलार, मिट्टी से लगाव, लोगों से अपनापन ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को रोने पर मजबूर कर दिया। बात 10 अक्टूबर 2006 की है, जब आखिरी बार चंद्रशेखर बलिया आए थे। यह जनपद के लिए उनकी आखिरी यात्रा भी थी। तब बलिया पहुंचते ही वह काफी भावुक हो गए। अपनों को देखा तो उनके आंखों से आंसू छलक पड़े। उनके रोते ही चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। तब लोग असमंजस में पड़ गए थे कि आखिर युवा तुर्क चंद्रशेखर को क्या हो गया? लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कोई कुछ पूछ सके। बाद में खुद ही उन्होंने इस मिट्टी और यहां के लोगों से अटूट लगाव को व्यक्त किया था।

देश के 9वें प्रधानमंत्री किए जाते है शिद्दत से याद
देश में युवा तुर्क के नाम से मशहूर चंद्रशेखर उर्फ दाढ़ी सबके दिलों में अपनी अलग जगह बना चुके थे। वह आजाद हिंदुस्तान के पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने सांसद से सीधे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। तब चंद्रशेखर कांग्रेस पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री चुने गए थे। खास बात यह थी कि चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री रहने के बाद भी उनका बलिया से खास लगाव था। उनके कई किस्से याद कर आज भी लोग दाढ़ी को याद करते नहीं थकते। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का जन्म बलिया जनपद के इब्राहिमपट्टी में 17 अप्रैल 1927 को हुआ था। वर्ष 2007 में इसी दिन उन्होंने अंतिम सांसें भी ली थी।

अंतिम बार 2006 में बलिया आए थे युवा तुर्क चंद्रशेखर
चंद्रशेखर की अनगिनत बलिया की यात्राओं में से सबसे यादगार 10 अक्टूबर 2006 की यात्रा मानी जाती है। क्योंकि यह यात्रा अंतिम यात्रा में बदल गई और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर आखिरी बार बलिया आए थे। उन्हें बलिया की मिट्टी से कितना लगाव था इसका उदाहरण भी उनकी अंतिम यात्रा के बीच देखने को मिला था। इस यात्रा के दौरान वह कई बार अलग-अलग जगहों पर भावुक हो गए थे। तब अस्वस्थ रहते हुए भी उन्होंने दिल्ली से बलिया आने का न केवल मन बनया, वह अपनों के बीच आए और सबसे मुलाकात की। अपने मित्र, शुभेच्छुओं और करीबियों का हाल -चाल जाना, फिर वापस दिल्ली चले गए थे।

पहला चुनाव भारतीय लोकदल के बैनर तले लड़ा
जेपी आंदोलन में कांग्रेस से रिश्ता खत्म करने के बाद युवा तुर्क चंद्रशेखर ने पहला चुनाव 1977 में भारतीय लोकदल के झंडे तले लड़ा बलिया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। उस समय उनके सामने कांग्रेस से चंद्रिका प्रसाद प्रतिद्वंद्वी के रूप में मैदान में थे। तब चंद्रशेखर ने अपने आत्मबल पर कुल पड़े वैध मतों का 71.0 प्रतिशत मत पाया था। तब 2,62,641 मत पाकर चंद्रशेखर ने कांग्रेस के चंद्रिका प्रसाद (95,423) को 167,218 (45.2 प्रतिशत) मतों से हराया था।

सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड
बलिया संसदीय क्षेत्र का आठ बार प्रतिनिधित्व करने वाले चंद्रशेखर के नाम ही यहां से सबसे बड़ी जीत दर्ज करने का भी रिकार्ड है। 1952 में हुए देश के पहले आम चुनाव में शिक्षाविद् मुरली मनोहर ने 6431 मतों से जीत दर्ज की थी। यह बलिया के चुनावी इतिहास में सबसे कम अंतर से जीत है। उन्होंने प्रख्यात शिक्षाविद के सबसे छोटे पुत्र और कांग्रेस के गोविंद मालवीय को 6431 मतों से हराया था। हालांकि उस समय कुल वोटरों की संख्या मात्र 3,68,287 थी। इसमें 1,26,480 (34.3 प्रतिशत) मत पोल हुए थे।

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