प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों का प्रशिक्षण : आपराधिक मामले में जिला अस्पताल और पुलिस थाने की भूमिकाएं अहम

आपराधिक मामले में जिला अस्पताल और पुलिस थाने की भूमिकाएं अहम
UPT | जिला चिकित्सालय में न्यायिक अधिकारियों के दो दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान सीएमएस से जानकारी लेते प्रशिक्षु।

Oct 11, 2024 20:17

जिले के सिविल जज जूनियर डिवीजन के प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों ने जिला चिकित्सालय में दो दिवसीय प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को मेडिको लीगल,पोस्टमार्टम, हादसों, आत्महत्याओं, जहरखुरानी और संदिग्ध मौतों से जुड़े कानूनी पहलुओं की गहन जानकारी देना था।

Oct 11, 2024 20:17

Baliya News : जिले के सिविल जज जूनियर डिवीजन के प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों ने जिला चिकित्सालय में दो दिवसीय प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को मेडिको लीगल,पोस्टमार्टम, हादसों, आत्महत्याओं, जहरखुरानी और संदिग्ध मौतों से जुड़े कानूनी पहलुओं की गहन जानकारी देना था। अधिकारियों ने इस दौरान अस्पताल के विभिन्न विभागों और वार्डों का दौरा किया और वहां उपलब्ध कागजातों और रिपोर्ट्स का अवलोकन किया। 


घटनाओं और दुर्घटनाओं पर गहन अध्ययन 
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. एसके यादव ने बताया कि पिछले दो दिनों से प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों ने अस्पताल में विभिन्न प्रकार की कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को दुर्घटनाओं, शव विच्छेदन (पोस्टमार्टम) रिपोर्ट, और अन्य कानूनी दस्तावेजों की जानकारी दी गई। अधिकारियों ने इमरजेंसी कक्ष और अन्य वार्डों में जाकर मरीजों और संबंधित दस्तावेजों का अध्ययन किया। 

मेडिको लीगल मामलों पर विशेष जोर
प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को विशेष रूप से मेडिको लीगल मामलों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें अपराध, हादसे, संदिग्ध परिस्थितियों में होने वाली मौतों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके साथ ही, अधिकारियों ने इन मामलों से जुड़ी धाराओं और कानूनों पर भी नोडल अधिकारी महेश चंद्र वर्मा से सलाह-मशविरा किया। प्रशिक्षु अधिकारियों को यह भी बताया गया कि किसी आपराधिक मामले में जिला अस्पताल और पुलिस थाने की भूमिकाएं कितनी महत्वपूर्ण होती हैं और इन दोनों के बीच समन्वय कैसे किया जाता है। 

पोस्टमार्टम और संदिग्ध मौतों पर कार्रवाई का प्रशिक्षण
अधिकारियों को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया और संदिग्ध मौतों के मामलों में की जाने वाली कार्रवाई के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई। प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों ने आत्महत्या, जहरखुरानी, और हादसों से संबंधित मामलों की कानूनी प्रक्रियाओं को भी गहराई से समझा। इस दौरान अधिकारियों को यह भी सिखाया गया कि जिला अस्पताल की रिपोर्ट किस तरह तैयार की जाती है और इसे किस तरह कानूनी प्रक्रिया में उपयोग किया जाता है।

अभिलेखों में कमियों की पहचान
प्रशिक्षण के अंत में प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों ने अपने अनुभव और अवलोकन के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की और इसे सीएमएस डॉ. एसके यादव को सौंपा। इस रिपोर्ट में जिला चिकित्सालय के मेडिको लीगल अभिलेखों में कुछ कमियों की ओर इशारा किया गया। इसके बाद सीएमएस ने संबंधित अधिकारियों, डॉक्टर आरडी राम और डॉक्टर रितेश सोनी को निर्देश दिया कि वे इन कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

प्रशिक्षण में शामिल अधिकारी और प्रशिक्षक
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन मुख्य रूप से नोडल अधिकारी महेश चंद्र वर्मा के निर्देशन में किया गया था। सिविल जज जूनियर डिवीजन के प्रशिक्षु न्यायिक अधिकारियों में स्निग्धा प्रधान, आशुतोष सिंह, सुरभि सिंह, और प्रियंका यादव ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया। प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञों में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके यादव के साथ प्रशिक्षक डॉ. आरडी राम और डॉ. रितेश सोनी शामिल थे।

इस दो दिवसीय प्रशिक्षण का उद्देश्य न्यायिक अधिकारियों को अस्पताल से जुड़े कानूनी मामलों की जमीनी जानकारी प्रदान करना था, ताकि वे अपने न्यायिक कार्यों में बेहतर निर्णय ले सकें और कानूनी प्रक्रिया में सुधार कर सकें। 

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