बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज हाईवे चौड़ीकरण और रिंग रोड परियोजना में बड़ा भूमि अधिग्रहण घोटाला सामने आया है। इसमें मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल के निर्देश पर गठित जांच कमेटी की जांच में 21 अधिकारी और कर्मचारी दोषी मिले हैं।
बरेली-सितारगंज हाईवे घोटाला : 21 अफसरों पर गिरेगी गाज, कमिश्नर ने शासन को भेजी रिपोर्ट, जानें पूरा मामला...
Sep 26, 2024 14:40
Sep 26, 2024 14:40
जांच रिपोर्ट में चार भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) एनएचएआई के दो परियोजना निदेशक (पीडी) और एक निजी कंपनी के अधिकारी का नाम शामिल है। इन 21 लोगों में से 18 नए नाम सामने आए हैं, जबकि दो भूमि अध्याप्ति अधिकारियों और एक वैल्यूअर का नाम पहले ही डीएम बरेली की शासन को भेजी गई रिपोर्ट में शामिल था।
80 करोड़ रुपये की हेराफेरी
बताया जाता है कि इस घोटाले में अब तक करीब 80 करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ है। इसके साथ ही अभी केवल उन मामलों की जांच हुई है। जिनमें 50 लाख रुपये से अधिक मुआवजा दिया गया था। घोटाले में शामिल एनएचएआई के दो परियोजना निदेशकों, सर्वे फर्मों के पांच कर्मचारियों, एक अमीन, और सात लेखपालों को प्रारंभिक जांच में दोषी पाया गया है। इनकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
वैल्यूएशन करने वाले भी दोषी
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के तत्कालीन परियोजना निदेशक एआर चित्रांशी और बीपी पाठक को परिसंपत्तियों के गलत मूल्यांकन के लिए दोषी ठहराया गया था। इसके साथ ही साइट इंजीनियर पीयूष जैन और पारस त्यागी को संयुक्त सर्वे और मूल्यांकन में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार माना गया है। साईं सिस्ट्रा ग्रुप और एसए इन्फ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंसी लिमिटेड के अधिकारियों उजैर अख्तर, राजीव कुमार, और सुनील कुमार पर भी घोटाले में शामिल होने का आरोप है। इसी तरह वैल्यूएशन करने वाले रविंद्र गंगवार और सुरेश कुमार गर्ग पर भी दोषी ठहराया गया है।
पीलीभीत जिले के उगनपुर के तत्कालीन लेखपाल मुकेश कुमार मिश्रा, अमरिया के विनय कुमार, दिनेश चंद्र, हुसैननगर के आलोक कुमार समेत अन्य लेखपालों और अमीनों के भी घोटाले में शामिल होने की बात सामने आई है।
अधिकारियों की मिलीभगत से पहले ही खरीद ली भूमि
जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि बाहर से आए 19 लोगों ने हाईवे के रूट में आने वाली भूमि को पहले से खरीद लिया था। जांच में पाया गया है कि इन व्यक्तियों को हाईवे के एलाइनमेंट की जानकारी परियोजना से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों से मिली थी। उन्होंने संगठित रूप से व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए शासकीय धन का दुरुपयोग किया। इनके खिलाफ भी कार्रवाई तय है।
स्पेशल टीम से करानी चाहिए जांच
बरेली मंडल की कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में इस मामले की गहन जांच के लिए विशेषज्ञ एजेंसी (स्पेशल टीम) की नियुक्ति की सिफारिश की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह आश्चर्यजनक है कि लोगों ने बिना किसी जानकारी के वहीं जमीन खरीदी, जो एलाइनमेंट में थी। इससे यह स्पष्ट है कि परियोजना से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी इस घोटाले में शामिल हैं।
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