नीलकंठ महादेव मंदिर-जामा मस्जिद विवाद : 24 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने कहा -सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद...

24 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने कहा -सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद...
UPT | नीलकंठ महादेव मंदिर-जामा मस्जिद विवाद

Dec 17, 2024 16:58

बदायूं में नीलकंठ महादेव मंदिर और शम्सी जामा मस्जिद के विवाद पर मंगलवार को सुनवाई हुई। यह सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में की गई...

Dec 17, 2024 16:58

Budaun News : बदायूं में नीलकंठ महादेव मंदिर और शम्सी जामा मस्जिद के विवाद पर मंगलवार को सुनवाई हुई। यह सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में की गई, जहां इंतजामिया कमेटी की तरफ से बहस की गई। इस मामले में अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी। पहले यह सुनवाई 10 दिसंबर को होने वाली थी, लेकिन एक अधिवक्ता के निधन के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अब मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वे बहस नहीं करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट नहीं देगा कोई निर्णय
दरअसल, मुस्लिम पक्ष के वकील असरार अहमद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अब इस तरह के मामलों पर कोई निर्णय नहीं देगा, इसलिए उनकी तरफ से कोई और बहस नहीं की जाएगी। उन्होंने पहले ही यह कहा था कि यह मामला सुनवाई योग्य नहीं है। उनका दावा है कि भारत में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी सर्वे की अनुमति भी नहीं दी है। अब इस मामले में केंद्र सरकार को अपना जवाब देना है, जिसके बाद कोर्ट अपना निर्णय देगा।



जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पटेल ने 2022 में अदालत में याचिका दायर करते हुए दावा किया था कि शहर की जामा मस्जिद नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इसके बाद से इस मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है। पहले सरकार पक्ष ने अपनी बहस की थी और अब इंतजामिया कमेटी की ओर से बहस की जा रही है। सुनवाई के बाद अदालत यह तय करेगी कि यह मामला सुनवाई योग्य है या नहीं।

मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा
पुरातत्व विभाग ने इस स्थान को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था और बताया कि वहां से 200 मीटर के दायरे में सरकार की भूमि है। साथ ही, वादी पक्ष का दावा है कि इस जगह पर पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस विवाद पर दोनों पक्षों के अलग-अलग दावे हैं और अब अदालत को साक्ष्य और सबूतों के आधार पर यह तय करना है कि यह मामला आगे चलने योग्य है या नहीं।

सुनवाई के बाद लिया जाएगा अंतिम निर्णय
बता दें कि इस मामले में अदालत का निर्णय महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह फैसला न केवल धार्मिक विवाद से संबंधित है, बल्कि इसके साथ ही यह भी तय करेगा कि ऐतिहासिक स्थलों के बारे में कौन से दावे स्वीकार किए जा सकते हैं। दोनों पक्षों के आरोप और प्रत्यारोपों के बावजूद, अब तक अदालत ने कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया है। ऐसे में इस मामले की पूरी सुनवाई के बाद अदालत का अंतिम निर्णय आने पर स्थिति स्पष्ट होगी।

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