बरेली-सितारगंज फोरलेन और रिंग रोड का काम भी शुरू नहीं हुआ है। मगर, इससे पहले ही भूमि अधिग्रहण में करोड़ों के घोटाले सामने आने लगे हैं। अभी कई लेखपाल से लेकर एनएचएआई के अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। यह भूमि अधिग्रहण घोटाला 100 करोड़ से अधिक का माना जा रहा है।
बरेली-सितारगंज हाईवे भूमि अधिग्रहण में खेल : घोटाले के आरोपी पीडी सस्पेंड, जानें अब किस पर गिरेगी गाज...
Aug 26, 2024 16:08
Aug 26, 2024 16:08
जानें कैसे कराया घोटाला
बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज हाईवे 71 किमी लंबा प्रस्तावित है। मगर, इसमें सबसे अधिक गड़बडी पाई गई हैं। प्रोजेक्ट के लिए वर्ष 2021 में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके बाद वर्ष 2022 में बीपी पाठक को परियोजना अधिकारी नियुक्त कर भेजा गया। तत्कालीन परियोजना अधिकारी और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप है कि मिलीभगत से पीलीभीत से सितारगंज (उत्तराखंड) के बीच के बीच कृषि भूमि पर आनन-फानन में कई भवन बनवा दिए गए। रोड की जमीन पर टीन शेड आदि डालकर उनका भू-उपयोग परिवर्तित कर अधिक मुआवजा दिलाया गया। बताया जाता है कि नियमानुसार कृषि भूमि की अपेक्षा आवास का अधिक मुआवजा मिलता है। इसका लाभ लेने के लिए पूरा रैकेट बनाया गया था।
मुख्यालय से कराई जांच, तब खुला घोटाला
बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज के प्रस्तावित हाईवे के भूमि अधिग्रहण मुआवजे में घोटाले की शिकायत काफी समय से आ रही थी। इन्हीं शिकायतों को लेकर मुख्यालय से जांच कराई गई। इसमें पूरा मामला सामने आया है। मिलीभगत के कारण ही प्रस्तावित मार्ग पर भवन बने और उनके लिए मुआवजा भी 15-15 दिनों के अंदर जारी कर दिया गया। इससे ध्यान भटकाने के लिए पीलीभीत शहर से सटे क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू कराने का दिखावा शुरू किया गया था। वहां भूमि का अधिग्रहण ही नहीं हुआ। जांच कमेटी ने ऐसे कई बिंदुओं पर रिंग रोड पर भी बदला भूमि उपयोग का खेल पकड़ा है।
यहां भी शुरू हुआ खेल
इसी तरह से बरेली के रजऊ परसपुर से लालफाटक रोड तक 12 किमी और झुमका तिराहे से रामगंगा तिराहे तक करीब 18 किमी का रिंग रोड प्रस्तावित है। इस 18 किमी वाले रूट पर भी अधिक मुआवजा के लिए खेल शुरू हो गया है। वहां भी अधिग्रहण से पहले कृषि भूमि पर अस्थायी भवन बनवाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट की भी जांच मुख्यालय से हुई है।
पीडी बोले, मेरे कार्यकाल से पहले की अधिग्रहण प्रक्रिया
बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज हाईवे के भूमि अधिग्रहण मुआवजे के घोटाले में घिरे तत्कालीन परियोजना अधिकारी बीपी पाठक ने मीडिया में अपनी सफाई दी है। उनका कहना है कि निलंबन की सूचना मिली है। मगर, इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं। सितारगंज प्रोजेक्ट का गजट और अधिग्रहण प्रक्रिया मेरे कार्यकाल से पहले हो चुकी थी। मैंने तो प्रोजेक्ट को तेजी से शुरू कराया था। हालांकि, उनका कुछ समय पहले ओड़िशा ट्रांसफर हो चुका।
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