बरेली के वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेन्द्र भड़ाना ने कहा कि माननीय अदालत ने घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2005 के अन्तर्गत निदा खान के पक्ष में यह बड़ा और लैंडमार्क फैसला सुनाया है...
घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2005: आला हजरत खानदान की बहू ने जीती बड़ी कानूनी लड़ाई, अब 10 लाख के जुर्माने के लिए होगी अपील
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Jan 19, 2024 13:30
Jan 19, 2024 13:30
तीन लाख हर्जाना और 15 हजार हर महीने करने होंगे अदा
घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2005 भारत की संसद से पारित एक ऐसा अधिनियम है, जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना है और पीड़ित महिलाओं को विधिक सहायता उपलब्ध कराना है। 26 अक्टूबर 2006 को लागू हुए इस अधिनियम को आमतौर पर डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के नाम से पहचाना जाता है। आला हजरत खानदान की बहू निदा खान के चर्चित मामले में अदालत ने उनके पति शीरान रजा खां को हर्जाने के तौर पर तीन लाख रुपये देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा शीरान को हर महीने खर्च के निदा को पन्द्रह हजार रुपये भी अदा करने होंगे।
लैंडमार्क आदेश
अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन मंजुला मिश्रा की ओर से यह लैंडमार्क और विस्तृत आदेश जारी किया गया है। निदा खान के अधिवक्ता भूपेन्द्र भड़ाना ने बताया कि अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि निदा खान विपक्षी यानी निदा के पति व ससुरालीजन उसके खिलाफ कोई भी शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, आर्थिक या अन्य किसी प्रकार की कोई घरेलू हिंसा नहीं करेंगे। अदालत ने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 19 के अधीन आदेश पारित किया है कि शीरान रजा खां के सहभागी आवास, जिसमें निदा के पति का अंश है, वह उसमें भी निवास कर सकेंगी। उनके पति या ससुरालीजन उनको उनके घर से बाहर नहीं कर सकेंगे। अगर परिवादिनी निदा खान किसी वजह से इस मकान में रहना नहीं चाहती हैं, या फिर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं, उस स्थिति में शीरान रजा खां घर के लिए उचित आवास की व्यवस्था करेंगे जिसका किराया चार हजार रुपये प्रतिमाह से कम नहीं होगा। इसके साथ ही शीरान रजा खां निदा का पूरा स्त्रीधन भी वापस करेंगे। अदालत ने शीरान रजा खां को निर्देशित किया है कि वह हर महीने की दस तारीख तक पन्द्रह हजार रुपये प्रतिमाह की दर से भर पोषण की धनराशि अदा करेंगे तथा यह राशि परिवाद दायर होने की तारीख से दी जायेगी। इसके अलावा एक्ट की धारा 22 के अन्तर्गत शीरान रजा खां पर एक मुश्त तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही संबंधित थानाध्यक्ष को निर्देशित किया गया है कि परिवार को सहायता व संरक्षण प्रदान किया जाये। इस फैसले के सामने आते ही एक बार फिर इस प्रकरण में नए सिरे से खलबली मच गई है। यह भी पता चला है कि जल्द ही जुर्माने की रकम को लेकर इस मामले में अपील भी की जानी है।
अदालत के फैसले के अमल के लिए आगे की जाएगी पैरवी
बरेली के वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेन्द्र भड़ाना ने कहा कि माननीय अदालत ने घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2005 के अन्तर्गत निदा खान के पक्ष में यह बड़ा और लैंडमार्क फैसला सुनाया है। इस फैसले में प्रतिमाह पन्द्रह हजार रुपये के भरण पोषण के साथ साथ, चार हजार रुपये का किराया व तीन लाख रुपये जुर्माने का भी फैसला सुनाया गया है। जुर्माने की रकम व अन्य मसलों पर निदा खान की ओर से अभी अपील भी दायर की जायेगी। वहीं आला हजरत खानदान की बहू, निदा खान ने कहना है कि मैं अदालत के फैसले को लेकर बेहद खुश हूं। आगे की प्रक्रिया चलती रहेगी। अदालत के फैसले के अमल के लिए आगे की पैरवी की जायेगी। जहां तक घर पर रहने का सवाल है, मुझे लगता है मुझे घर जाकर रहना चाहिए, अदालत के फैसले के बाद मेरा मानना है कि अपने घर से मैं ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर सकूंगी।
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