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बरेली कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : झूठे रेप केस में 4 साल जेल में रहा युवक, अब उतने ही दिन लड़की को भी हुई कैद

झूठे रेप केस में 4 साल जेल में रहा युवक, अब उतने ही दिन लड़की को भी हुई कैद
UPT | कोर्ट।

May 08, 2024 02:27

बरेली कोर्ट ने आदेश दिया कि लड़की की वजह से एक बेकसूर ने लंबे समय तक जेल में सजा काटी। जितने दिन वह जेल में रहा, उतनी ही सजा लड़की को होनी चाहिए। साथ ही अदालत ने दोषी लड़की पर 5.88 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

May 08, 2024 02:27

Short Highlights
  • कोर्ट ने कहा- बेकसूर युवक की तरह आरोप लगाने वाली लड़की को भी सजा भुगतनी होगी  
  • 5.8 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, युवक को रिहा किया गया
‌Bareilly News : यूपी के बरेली में कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने एक लड़की को 4 साल, 6 महीने, 8 दिन की सजा सुनाई है। लड़की जब नाबालिग थी, तब उसने एक युवक पर रेप का मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में मामला फर्जी निकला। बरेली कोर्ट ने आदेश दिया कि लड़की की वजह से एक बेकसूर ने लंबे समय तक जेल में सजा काटी। जितने दिन वह जेल में रहा, उतनी ही सजा लड़की को होनी चाहिए। साथ ही अदालत ने दोषी लड़की पर 5.88 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

जुर्माने पर कोर्ट ने कहा कि युवक जितने दिन जेल में रहा, उसको आर्थिक नुकसान हुआ। इसकी भरपाई की जिम्मेदारी दोषी लड़की की है। दोषी लड़की से वसूला गया जुर्माना युवक को दिया जाए। जुर्माना नहीं देने पर लड़की को 6 महीने की सजा और काटनी होगी। कोर्ट ने जेल में बंद युवक को दोष मुक्त कर दिया। लड़की ने युवक पर नशीला पदार्थ खिलाने और दिल्ली ले जाकर रेप करने का आरोप लगाया था। मुकदमे में सुनवाई के दौरान लड़की ने खुद ही सभी आरोप झूठे बताए।

क्या है पूरा मामला
एडीजीसी क्राइम सुनील पांडेय ने बताया कि थाना बारादरी में युवती की मां ने दो सितंबर 2019 को एफआईआर दर्ज करायी थी। उन्होंने बताया कि बरेली के नेकपुर सुभाषनगर में रहने वाला अजय उर्फ राघव और उसकी बेटी झांकी बनाने का काम साथ-साथ करते थे। आरोप था कि अजय 29 अगस्त 2019 को उसकी बेटी को भगा ले गया। बारादरी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर युवती को बरामद किया। युवती ने कलमबंद बयान में अजय पर नशीला प्रसाद खिलाकर दिल्ली में बंधक बनाकर दुष्कर्म करने के गंभीर आरोप लगाये थे। पुलिस ने अजय को जेल भेजा था और उसे इस केस में जमानत नहीं मिली थी। रेप केस की सुनवाई फास्ट ट्रैक जज की कोर्ट में चल रही थी।

युवती ने 13 अक्टूबर 2023 को कोर्ट में आरोपी अजय के खिलाफ डटकर बयान दिए थे। 8 फरवरी 2024 को जिरह के दौरान युवती अपने बयानों से पूरी तरह से मुकर गयी थी। युवती बोली मै अनपढ़ हूं। पढ़ना-लिखना नहीं जानती हूं, जबकि कलमबंद बयान में युवती ने अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए थे। वह बोली अजय ने उसके साथ दुष्कर्म नहीं किया था। कलमबंद बयान मैंने पुलिस के दबाव में दिया था। बयानों से मुकरने पर कोर्ट ने युवती से सवाल किए तो वह बोली कि वह आज जो बयान दे रही है, वह सही है। पहले उसने गलत बयान दिया था। जिस पर फास्ट ट्रैक जज निर्दोष कुमार ने कोर्ट में शपथ लेकर गलत बयान देने पर युवती को न्यायिक हिरासत में लेकर उसके खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दे दिए। फटाफट कोर्ट के पेशकार विनोद बिहारी माथुर ने युवती के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके बाद उसे सीजेएम कोर्ट में उसे पेश किया गया। वहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

अजय के काफी क्लोज थी लड़की
इसी साल फरवरी में सुनवाई के दौरान लड़की ने कोर्ट में बताया कि वह अजय के काफी क्लोज थी। उसके रिलेशन के बारे में उसकी मां को सब कुछ पता चल गया था। मां को अजय बिल्कुल पसंद नहीं था। लड़की ने मां के दबाव में आकर अजय पर झूठा आरोप लगाया था। लड़की की अब शादी हो चुकी है। उसके पति ने कोर्ट को बताया कि वह ट्रायल के चलते तंग आ चुका है। इसलिए उसकी पत्‍नी बयान बदलना चाहती है। इसके बाद उसने फिर बयान दिया। कहा कि उसके साथ किसी तरह का रेप नहीं हुआ। न ही उसे किडनैप किया गया था।

क्या कहा कोर्ट ने 
कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कड़ी टिप्‍पणी की। अदालत ने कहा कि यह साफ है कि कोई अपराध हुआ ही नहीं। रेप जैसे जघन्य अपराध में फंसाने के लिए लड़की ने कानून का दुरुपयोग किया। अजय पर जो आरोप लगे थे, उसमें उसे आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती थी। इस मामले में एडीजीसी क्राइम सुनील पांडेय ने बताया कि अपर सेशन जज-14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि मामला अत्‍यंत गंभीर है। झूठे मुकदमे की वजह से अजय 2019 से 8 अप्रैल, 2024 तक जेल में रहा। अजय को जेल में 4 साल 6 महीने और 8 दिन बिताने पड़े। यानी कुल 1653 दिन। अब लड़की को भी इतने ही दिन की सजा होनी चाहिए।

समाज के लिए बेहद गंभीर हैं ऐसे मामले
जज ने कहा कि इस तरह की महिलाओं के कृत्य से वास्तविक पीड़िताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। यह समाज के लिए बेहद गंभीर स्थिति है। अपने मकसद को पूरा करने के लिए पुलिस और कोर्ट को जरिया बनाना आपत्तिजनक है। अनुचित लाभ के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती। यह मुकदमा उन महिलाओं के लिए नजीर बनेगा। महिला पर धारा-195 के तहत केस दर्ज किया गया। कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए कहा कि सरकार और न्यायपालिका महिलाओं से संबंधित शिकायतों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करती है। अब इसका मतलब यह नहीं है कि महिलाएं अपनी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग करें और पुरुषों के अधिकारों का उल्लंघन हो। वह भी दुर्भावना में।
 

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