उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड को जोड़ने वाले बरेली-सितारगंज फोरलेन और रिंग रोड के भूमि अधिग्रहण मुआवजे में बड़े खेल सामने आने लगे हैं। इसमें चंद लोगों ने फर्म बनाकर...
हाईवे पर मुआवजे का बड़ा खेल : खेत में मकान दिखाकर करोड़ों डकारे, जानिए क्या है मामला…
Aug 28, 2024 01:25
Aug 28, 2024 01:25
कृषि भूमि में कमर्शियल का 37 करोड़ लिया मुआवजा
बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज फोरलेन और रिंग रोड की भूमि को पीलीभीत के उगनपुर गांव के रामेश्वर दयाल ने खेत में मकान दिखाकर 6.48 करोड़ और हुसैननगर के साधना सिंह-हिमांशु सिंह को 11.09 करोड़ का मुआवजा दिलाया गया। हुसैननगर के नवीन, पीयूष और मनीष सिंघल ने टिन शेड दिखाकर 5.18 करोड़, सरदार नगर के राजेश, सुरेंद्र, रामकिशोर, रमन फुटेला और मनीष सिंघल ने मकान दिखाकर 7.87 करोड़, अमरिया के अंकुर पपनेजा ने मकान दिखाकर 5.72 करोड़ निकाले, जबकि उधम सिंह नगर के नकटपुर के हिमांशु सिंघल ने खेत में टिन शेड डालकर 1.47 करोड़ का मुआवजा लिया। बताया जाता है कि इन लोगों ने देश के कई अन्य हाईवे पर भी कृषि भूमि के माध्यम से मुआवजा लिया है।
टोल प्लाजा लगाकर शुरू की वसूली
बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज हाईवे 71 किमी लंबा प्रस्तावित है। मगर, इसमें सबसे अधिक गड़बडी पाई गई हैं। यह अभी बनकर तैयार नहीं हुआ है। भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है, लेकिन इसके बाद भी टोल प्लाजा बनाकर राहगीरों से हर दिन लाखों रूपये की वसूली की जा रही है। इस मामले में भी शिकायत की गई है।
मुख्यालय से की गई कार्रवाई
यह कार्रवाई एनएचएआइ मुख्यालय ने की है। अभी कई लेखपाल से लेकर एनएचएआइ के अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। यह भूमि अधिग्रहण घोटाला 100 करोड़ से अधिक का माना जा रहा है। इस मामले में एनएचएआइ के चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने उप्र के मुख्य सचिव को पत्र में लिखा है कि वह कार्रवाई करें। इसके साथ ही निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। मगर, इससे पहले ही टोल प्लाजा बनाकर वसूली शुरू कर दी गई है।
वर्ष 2021 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट
बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज फोर लेन और रिंग रोड का प्रोजेक्ट वर्ष 2021 में शुरू हुआ था। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू की गई। इसके बाद वर्ष 2022 में बीपी पाठक को परियोजना अधिकारी नियुक्त कर भेजा गया। तत्कालीन परियोजना अधिकारी और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप है कि मिलीभगत से पीलीभीत से सितारगंज (उत्तराखंड) के बीच के बीच कृषि भूमि पर आनन-फानन में कई भवन बनवा दिए गए। रोड की जमीन पर टीन शेड आदि डालकर उनका भूउपयोग परिवर्तित कर अधिक मुआवजा दिलाया गया। बताया जाता है कि नियमानुसार कृषि भूमि की अपेक्षा आवास का अधिक मुआवजा मिलता है। इसका लाभ लेने के लिए पूरा रैकेट बनाया गया था।
जांच प्रभावित करने की कोशिश
बरेली वाया पीलीभीत-सितारगंज के प्रस्तावित हाईवे के भूमि अधिग्रहण मुआवजे में घोटाले की शिकायत काफी समय से आ रहीं थी। इन्हीं शिकायतों को लेकर मुख्यालय से जांच कराई गई। इसमें पूरा मामला सामने आया है। हालांकि, इससे पहले जांच प्रभावित कराने की भी कोशिश की गई थी। बताया जाता है कई सत्ता से जुड़े लोगों ने भी फोन किए थे।अफसरों की मिलीभगत के कारण ही प्रस्तावित मार्ग पर भवन बने और उनके लिए मुआवजा भी 15-15 दिनों के अंदर जारी कर दिया गया। इससे ध्यान भटकाने के लिए पीलीभीत शहर से सटे क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू कराने का दिखावा शुरू किया गया था। वहां भूमि का अधिग्रहण ही नहीं हुआ। जांच कमेटी ने ऐसे कई बिंदुओं पर रिंग रोड पर भी बदला भूमि उपयोग का खेल पकड़ा है।
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