संतकबीरनगर जिले का बीएमसीटी मार्ग अब राहगीरों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग बन चुका है, जो यातायात के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है...
36 साल बाद भी किसानों को नहीं मिला मुआवजा : मजदूरी करने को मजबूर, आंदोलन करने पर हुआ केस दर्ज
Dec 12, 2024 12:17
Dec 12, 2024 12:17
मजदूरी करने को मजबूर किसान
दरअसल, जिन किसानों की जमीन ली गई, उनमें से कई अब अपनी रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि अगर समय पर मुआवजा मिल जाता, तो वे अपनी जीवन-यापन की स्थिति को सुधारने के लिए निवेश कर सकते थे। मुआवजे की राशि न मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बहुत बिगड़ गई है। जिम्मेदार विभागों की लापरवाही ने उनकी जिंदगी को संघर्षमय बना दिया है। बीएमसीटी मार्ग का चौड़ीकरण अब फिर से शुरू हो गया है और अब भी जमीनों का अधिग्रहण हो रहा है। हालांकि, 1988-89 में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी, उनका मुआवजा अब तक नहीं दिया गया।
36 साल पहले अधिग्रहित की गई थी जमीन
बीएमसीटी मार्ग के निर्माण के दौरान 1988-89 में मेंहदावल नगर क्षेत्र के टडवरिया चौराहे से तहसील मार्ग तक लगभग 100 किसानों की ज़मीन अधिग्रहित की गई थी। इनमें बीमापार, सीयर, सोनौरा, राजाबारी, बाराखाल और बनकटा जैसे गांव शामिल हैं। इन किसानों ने कई बार अधिकारियों से मुआवजे की मांग की है, लेकिन उन्हें अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। 36 साल बाद भी इन किसानों को उनका हक नहीं मिल पाया है।
पांच साल पहले किया था आंदोलन
पांच साल पहले, इन किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन भी किया था। इस आंदोलन में किसानों ने अपनी शिकायतों को उठाया था, लेकिन उसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। राज्य सरकार ने तत्कालीन अखिलेश यादव के कार्यकाल में मुआवजे के लिए 80 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की थी, लेकिन देरी के कारण यह राशि वापस लौट गई। किसानों का कहना है कि यह राशि उनके हक का था, लेकिन प्रशासन की नाकामी के चलते यह अवसर भी गंवाया गया।
सरकार से न्याय की उम्मीद
अब भी, ये किसान न्याय की उम्मीद में हैं और कई वर्षों से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। किसान नेता प्रकाश चंद्र जायसवाल और आनंद पांडेय समेत अन्य किसानों का आरोप है कि जब उन्होंने इस मुद्दे पर विरोध किया, तो उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर दिए गए। अब, वे फिर से सरकार और अधिकारियों से न्याय की उम्मीद लगाए हुए हैं, ताकि उन्हें उनका कानूनी हक मिल सके और उनके जीवन की स्थिति सुधर सके।
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