तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भगवान राम के संबंध में दिए गए विवादास्पद बयानों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ अनुसूचित जाति...
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : जगद्गुरु रामभद्राचार्य को मिली राहत, SC-ST एक्ट के तहत नहीं दर्ज हो सकता केस
Oct 08, 2024 01:01
Oct 08, 2024 01:01
जानिए क्या था मामला
यह आदेश प्रयागराज के प्रकाश चंद्र की याचिका को खारिज करते हुए दिया गया। जगतगुरु रामभद्राचार्य ने हाल ही में अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर के लोकार्पण के समय एक विवादास्पद बयान दिया था। जिसमें उन्होंने बिहार में आयोजित राम कथा के दौरान कहा था कि "जो भगवान राम के नाम का जयकारा नहीं लगाता वह एक खास जाति का है।" इसके अलावा जगतगुरु रामभद्राचार्य ने एक अन्य कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के बारे में भी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि "मरे मुलायम-कांशीराम, प्रेम से बोलो जय श्री राम।" इन बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई। जिससे प्रकाश चंद्र ने जिला अदालत में अर्जी दी। जिसमें जगतगुरु रामभद्राचार्य के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी।
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हाईकोर्ट ने रामभद्राचार्य से मांगा जवाब
जिला अदालत ने 15 फरवरी को इस याचिका को बिना सुनवाई के ही खारिज कर दिया था। जिसके बाद प्रकाश चंद्र ने हाईकोर्ट में अपील की। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान जगतगुरु रामभद्राचार्य से जवाब मांगा। उनके अधिवक्ताओं, सीनियर एडवोकेट एमसी चतुर्वेदी और विनीत संकल्प ने अदालत में दलीलें प्रस्तुत कीं। जिसमें कहा गया कि निचली अदालत का फैसला सही था और रामभद्राचार्य ने किसी विशेष व्यक्ति के प्रति टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य सभी को भगवान राम के नाम का जयकारा लगाने के लिए प्रेरित करना है और उनके बताए आदर्शों का अनुसरण करने की अपील करना है।
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