चित्रकूट पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्काई ग्लास ब्रिज का निर्माण किया गया है। लेकिन शुभारंभ से पहले ही उसमें दरारें देखी गईं। जिससे ब्रिज निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं...
घटिया निर्माण पर बड़ा एक्शन : साढ़े तीन करोड़ के स्काई ग्लास ब्रिज में दरार पर सख्ती, फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के निर्देश
Jul 06, 2024 20:20
Jul 06, 2024 20:20
- चित्रकूट स्काई ग्लास ब्रिज स्थल में कई जगह दरारें
- दरारें आने के बाद डीएम ने किया निरीक्षण
- स्कॉई ग्लास ब्रिज बनाने वाली फर्म ब्लैक लिस्टेड
फर्म को ब्लैक लिस्ट के निर्देश
शुक्रवार को पुल में आई दरारों का निरीक्षण करने डीएम और वन विभाग के उपनिदेशक पहुंचे। कई कमियां मिलने पर डीएम ने निर्देश दिए कि तत्काल ठीक कराया जाए। संबंधित फर्म को ब्लैक लिस्ट किये जाने की कार्रवाई की जाए। कहा कि सुरक्षा मानकों को देखते हुए एमएनआईटी प्रयागराज से सुरक्षा का ऑडिट कराये जाने के बाद ही पर्यटकों के लिए इसे खोला जाए। निरीक्षण के दौरान सभी ने इस बात पर राहत की सांस ली कि अभी यह वन विभाग को हैंडओवर नहीं हुआ था, फिलहाल निर्माण प्रक्रिया में है। लोकसभा चुनाव के पूर्व कहा गया था कि यह तैयार है, बस इसका औपचारिक शुभारंभ होना है। इसके पूर्व ही ब्रिज के कई चबूतरों में दरार आ गई।
यूपी का पहला ग्लास ब्रिज
प्रदेश का पहला ग्लास ब्रिज चित्रकूट में तुलसी (शबरी) जल प्रपात पर बनाया गया है। यह भगवान राम के धनुष और बाण के आकार का बनाया गया है। चित्रकूट पर्यटन को बढ़ावा देने की अच्छी पहल है। यहां पर राक और हर्बल गार्डन से साथ रेस्टोरेंट भी बनाए जाएंगे। बताया जा रहा है कि खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है, जबकि दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है। वहीं पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम होगी।
पुल का गजब नजारा
इस पुल की एक खासियत है जो पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करेगी। स्काई ग्लास ब्रिज पर पानी की तीन धाराएं चट्टानों से गिरती हैं। ये धाराएं लगभग 40 फीट की ऊंचाई से नीचे एक व्यापक जल शैया (वॉटर बेड) में गिरती हैं और जंगल में लुप्त हो जाती हैं। इस स्थान पर आने वाले लोग स्काई वाक पुल पर चलते हुए इस अनोखे दृश्य का आनंद ले सकते हैं, जहां चट्टानों पर से पानी गिरता है और नीचे जंगल का नजारा भी दिखाई देता है। यह जिस झरने के ऊपर बना था उसे शबरी जलप्रपात के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर तुलसी जलप्रपात कर दिया गया।
राजगीर ब्रिज की तर्ज पर बना पुल
बता दें कि यूपी का ग्लास ब्रिज बिहार में राजगीर में बने ग्लास ब्रिज का तर्ज पर बनाया गया है। राजगीर का ग्लास ब्रिज भारत का दूसरा सबसे बड़ा ग्लास ब्रिज है। यह 200 फीट की ऊंचाई पर बना है। 6 फीट चौड़े पुल को काफी मजबूती से बनाया गया है। कांच का पुल होने की वजह से भी इस पुल पर 40 से ज्यादा खड़े हो सकते हैं। राजगीर के खूबसूरत जंगलों के बीच बना हुआ पुल सबके मन को भाया है। यहां से खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं। ग्लास ब्रिज जाने के लिए एंट्री फीस 50 रुपये है और पुल पर घूमने के लिए 150 रुपये देने पड़ेंगे। राजगीर ग्लास ब्रिज को देखने का समय सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक है।
भारत का सबसे लंबा और खूबसूरत ब्रिज
बता दें कि भारत देश का सबसे लंबा ग्लास पुल केरल में है। वागामोन की पहाड़ियों में समुद्र तल से 3,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित ग्लास पुल की लंबाई 40 मीटर है। केरल में बना ग्लास ब्रिज बेहद खूबसूरत है। यहां पर दूर-दूर से पर्यटक इसे एक्सप्लोर करने आते हैं। पुल पर खड़े होकर हरे-भरे पहाड़ों, घाटियों कुट्टीकल और कोक्कयार के खूबसूरत नजदीकी शहरों के लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। यह 3 करोड़ रुपये की लागत से बना केरल के इडुक्की जिले में स्थित है।
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