चित्रकूट में विवाहिता को डरा धमकाकर शोषण करने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने महंत समेत तीन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मध्य प्रदेश के सतना जिले की महिला ने बताया कि उसका...
चित्रकूट में दुष्कर्म मामला : यज्ञवेदी निर्वाणी अखाड़े के महंत समेत तीन पर दर्ज होगी एफआईआर, कोर्ट ने दिया आदेश
Aug 07, 2024 11:18
Aug 07, 2024 11:18
महंत के साथ रहता था पीड़िता का पति
मध्य प्रदेश के सतना जिले की एक महिला ने बताया कि उसका पति चित्रकूट के महंत सत्यप्रकाश दास के साथ रहता था। इस संबंध के कारण, पहाड़ी थाने में दर्ज एक हत्या के प्रयास के मामले में उसके पति को भी सह-आरोपी बनाया गया था।
2016 में, जब उसका पति महंत सत्यप्रकाश दास के साथ जेल में था, वह मुकदमे की पैरवी के लिए चित्रकूट आती थी। यहां वह यज्ञवेदी निर्वाणी अखाड़े में रहती थी, जहां महंत के भाई जय प्रकाश ने उसे एक कमरा दिलवाया। लेकिन यह मदद जल्द ही एक बुरे सपने में बदल गई।
महंत के भाई ने महिला को डराया-धमकाया
जय प्रकाश ने महिला को डराया-धमकाया और उसके पति के जेल में होने का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। जब महिला ने विरोध किया, तो उसे और उसके पति को जान से मारने की धमकी दी गई। यह अत्याचार यहीं नहीं रुका। जय प्रकाश ने अपने भाई महंत सत्यप्रकाश दास और उनके रिश्तेदार अरविंद मिश्रा के साथ मिलकर लगातार उसका यौन शोषण किया।
पति और बच्चों को गायब करने की दी धमकी
18 जून 2024 को स्थिति और भी भयावह हो गई। तीनों आरोपियों ने महिला के पति को यज्ञवेदी निर्वाणी अखाड़े के कमरे से बाहर भेज दिया और रात में उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब महिला ने विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट की गई। महंत ने धमकी दी कि अगर वह उनकी मर्जी के मुताबिक काम नहीं करेगी, तो वे उसके पति और बच्चों को गायब कर देंगे।
सीतापुर पुलिस चौकी में नहीं हुई सुनवाई
अगले दिन, पीड़िता ने अपने पति को पूरी घटना की जानकारी दी और उसके साथ सीतापुर पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। निराश होकर, उसने उच्चाधिकारियों से भी संपर्क किया, लेकिन वहां भी उसे न्याय नहीं मिला। इस बीच, आरोपियों ने उसे लगातार धमकियां देना जारी रखा।
आरोपी के खिलाफ कई आपराधिक मामले
पीड़िता का कहना है कि आरोपी महंत वास्तव में साधु के वेश में एक पेशेवर अपराधी है, जिसके खिलाफ पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसके दबदबे और प्रभाव के कारण, कोई भी उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
जब कहीं से भी न्याय नहीं मिला, तो पीड़िता ने अंतिम उम्मीद के रूप में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उसने धारा 156(3) के तहत एक प्रार्थना पत्र दायर किया, जिसमें न्याय की गुहार लगाई गई। मामले की गंभीरता को समझते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेंद्र प्रसाद भारती ने पीड़िता के प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया। उन्होंने संबंधित प्रभारी निरीक्षक को निर्देश दिए कि वे घटना के संबंध में उचित धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज करें और कानून के अनुसार जांच करके रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
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