बहराइच की हल्दी अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। यही कारण है कि योगगुरु रामदेव ने इसे अपनी आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में उपयोग करने का निर्णय लिया।
ओडीओपी योजना का प्रभाव : स्वामी रामदेव ने बहराइच की हल्दी खरीदने के लिए साइन किया एमओयू, आयुर्वेदिक दवाओं में होगी उपयोग
Dec 31, 2024 09:46
Dec 31, 2024 09:46
योगगुरु ने बहराइच की हल्दी को चुना
बहराइच की हल्दी अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। यही कारण है कि योगगुरु रामदेव ने इसे अपनी आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में उपयोग करने का निर्णय लिया। इस उद्देश्य को साकार करने के लिए उनकी कंपनी और बहराइच के तीन कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
हरिद्वार में हुआ ऐतिहासिक समझौता
हरिद्वार में आयोजित इस एमओयू हस्ताक्षर समारोह में योगगुरु स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, बहराइच की जिलाधिकारी मोनिका रानी, उप कृषि निदेशक टीपी शाही और एफपीओ के प्रतिनिधि शामिल हुए। समझौते के तहत प्रत्युष बायोएनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, वीरांगना लक्ष्मीबाई महिला किसान निर्माता कंपनी लिमिटेड और सीएससी राज किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड ने हल्दी की आपूर्ति पर सहमति जताई।
कृषि के लिए अनुकूल भूमि
जिलाधिकारी मोनिका रानी ने मिहिंपुरवा क्षेत्र को प्राकृतिक संसाधनों, उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु के कारण कृषि के लिए आदर्श बताया। यहां हल्दी, जिमीकंद, और हरी सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती होती है। हल्दी की उच्च गुणवत्ता और प्रचुर उत्पादन ने इसे अन्य राज्यों और जिलों तक पहुंचाने में मदद की है।
किसानों को मिलेगा उचित मूल्य
योगगुरु की कंपनी के साथ हुए इस करार से किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलेगा। समझौते के तहत हर साल 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से 2,000 हेक्टेयर में उत्पादित 45-50 हजार टन हल्दी की बिक्री और विपणन सुनिश्चित किया गया है। इससे किसानों की आय में बड़ा सुधार होने की उम्मीद है।
एफपीओ से जुड़े किसान और महिला उद्यमी
बहराइच में 86 एफपीओ गठित किए गए हैं। जिनसे 1,880 पुरुष किसान और 975 महिला किसान जुड़े हैं। इन संगठनों के माध्यम से न केवल हल्दी, बल्कि जिमीकंद और हरी सब्जियों के उत्पादन में भी सुधार हो रहा है। लगभग 150 हेक्टेयर क्षेत्र में जिमीकंद की खेती से प्रति हेक्टेयर 30-35 टन का उत्पादन हो रहा है। यह साझेदारी बहराइच के किसानों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। हल्दी और अन्य उत्पादों की मांग स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों में तेजी से बढ़ रही है।
आयुर्वेद और कृषि का संगम
योगगुरु रामदेव और उनकी कंपनी के इस कदम ने न केवल बहराइच की हल्दी को एक नई पहचान दी है, बल्कि आयुर्वेदिक दवाओं के क्षेत्र में भी इसे महत्वपूर्ण स्थान दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह सहयोग स्थानीय किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाने के साथ ही ओडीओपी योजना के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहा है।
ओडीओपी योजना क्या है?
यह योजना उत्तर प्रदेश के विकास और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके तहत, पारंपरिक शिल्प और लघु उद्यमियों की हिफाजत की जा रही है और इससे लघु उद्योगों में और अधिक उत्पादन और रोजगार का संभावना है। यह योजना उत्तर प्रदेश के हर जिले में लागू है और अब यह उसी तरह के उद्योगों के लिए अन्य राज्यों में भी लागू की जा रही है। इससे नागरिकों को अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार का अवसर मिलेगा और वे अपने उत्पादों को बेहतर ढंग से बाजार में प्रस्तुत कर सकेंगे। इस स्कीम को सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) सेक्टर की कैटेगरी में रखा गया है। 24 जनवरी 2018 को लांच हुई स्कीम प्रदेश के सभी 75 जिलों में लागू है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम एक प्रयास है जो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाया जा रहा है ताकि हर जिले में एक विशेष प्रोडक्ट के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके और वहां के लोगों को रोजगार का अवसर मिले। इस स्कीम के तहत सरकार प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करके उन लोगों को समर्थ कर रही है जो अपने जिले में किसी विशेष प्रोडक्ट का उत्पादन करना चाहते हैं। इससे उन्हें अधिक उत्पादक बनने का मौका मिलता है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इस योजना का लक्ष्य 75 जिलों में 25 लाख लोगों को रोजगार देना है।
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