देश में साइबर अपराध के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला गोरखपुर से सामने आया है। यहां एक रिटायर्ड बैंककर्मी को साइबर अपराधियों ने करीब 33 घंटे तक बंधक बनाए रखा। अंत में एक दोस्त ने उन्हें चंगुल से छुड़ाया।
नहीं थम रहे साइबर क्राइम के मामले : रिटायर्ड बैंककर्मी को 33 घंटे कर रखा डिजिटल अरेस्ट, दोस्त ने चंगुल से छुड़ाया
Aug 03, 2024 19:28
Aug 03, 2024 19:28
- बैंककर्मी को 33 घंटे कर रखा डिजिटल अरेस्ट
- 33 घंटे तक रहे डिजिटल अरेस्ट
- असम में एक्टिव मिला नंबर
जानिए क्या है पूरा मामला
साइबर अपराधियों ने मुंबई साइबर सेल का अधिकारी बनकर एक सेवानिवृत्त बैंककर्मी, आलविन अर्विन्द बर्नाड, को 33 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। अपराधियों ने दावा किया कि उनके नाम से ताइवान भेजे जा रहे पार्सल में अवैध सामग्री शामिल है, जिसमें ड्रग्स, पासपोर्ट, और क्रेडिट कार्ड्स शामिल हैं। इस धोखाधड़ी के लिए बर्नाड के आधार कार्ड और क्रेडिट कार्ड का भी इस्तेमाल किया गया था, जिससे वह घबराए और परेशान हो गए।
33 घंटे तक रहे डिजिटल अरेस्ट
जालसाजों ने बर्नाड को एक वीडियो कॉल के माध्यम से पुलिस वर्दी में दिखाया और बताया कि उनके और उनके परिवार के बैंक खातों की जांच चल रही है। उन्होंने बर्नाड से कहा कि वह निगरानी में रहेंगे और अपने मोबाइल का कैमरा बंद नहीं करेंगे। इस दौरान बर्नाड ने 33 घंटे तक कैमरे के सामने रहने की मजबूरी झेली। सुखद संयोग से, बर्नाड के पड़ोसी दोस्त को इस मामले की जानकारी मिल गई और उसने तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने बर्नाड को डिजिटल अरेस्ट से मुक्त करा लिया और जालसाजी के प्रति सतर्क रहने के उपाय बताए। इसके साथ ही, दोस्त ने बर्नाड की पत्नी से बैंक खाता विवरण लेकर संभावित भुगतान को रोक दिया।
असम में एक्टिव मिला नंबर
पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और पाया कि बर्नाड को जालसाजों ने जिस नंबर से संपर्क किया था, वह असम में सक्रिय था। एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि साइबर थाना पुलिस अब इस नंबर के पीछे के अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रही है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आकड़ों के मुताबिक यूपी में हर साल साइबर क्राइम बढ़ रहा है। अंग्रेजी अखबार के मुताबिक यूपी में 2020 में साइबर अपराध के कुल 11,097 मामले सामने आए थे। वहीं 2021 में 8829 और 2022 में 10,117 मामले दर्ज किए गए। दूसरी तरफ लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें बताया गया है कि 2022-23 में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम दर्ज किए गए हैं। इस दौरान प्रदेश में लगभग 2 लाख केस दर्ज हुए हैं। अजय कुमार की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 721.1 करोड़ रुपयों की ठगी की है।
कैसे धमकाते हैं साइबर स्कैमर्स?
सुनने में शायद आपको लगता हो कि आखिर इतनी जागरुकता फैलाए जाने के बावजूद कोई इन साइबर अपराधियों की बातों में आ कैसे जाता है, लेकिन ये उतना भी साधारण नहीं है। एक नया तरीका जो आजकल इस्तेमाल किया जा रहा है, पहले उसके बारे में आपको बताते हैं। इसमें खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताने वाला शख्स आपका नाम लेते हुए कहता है कि आप अपने फोन में गंदी तस्वीरें और वीडियो देखते हैं और इसके लिए आपको गिरफ्तार किया जाएगा। इस पर आपको तरह-तरह से धमकी दी जाएगी और फिर आपके इसी डर का फायदा उठाकर आपके बैंक डिटेल से जुड़ी सारी जानकारी हासिल कर ली जाएगी।
कैसे करें इन अपराधियों का सामना?
यहां एक बात आपको स्षष्ट रूप से समझ लेनी जरूरी है कि साइबर फ्रॉड के लिए अगर आपके पास किसी का फोन आता है, तो कॉल करने वाला अपराधी पहले से ही आपके बारे में जरूरी जानकारी जुटाए रखता है, ताकि आपको गुमराह किया जा सके। ऐसे में आपको ये बात गांठ बांध लेनी है कि कुछ भी हो जाए, पर आपको घबराना नहीं है। दुनिया में किसी भी देश की पुलिस या कोई भी एजेंसी के पास ये अधिकार नहीं है कि वह आपको वीडियो कॉल पर या डिजिटली अरेस्ट कर सके। किसी भी देश में ऐसा कोई कानून नहीं है। दूसरी बात ये कि आजकल AI की मदद से ऐसी कई तस्वीरें, वीडियो या आवाज बनाए जा सकते हैं, जो आपके घर-परिवार, दोस्त-रिश्तेदार जैसे हूबहू दिखेंगे। इसलिए अगर कभी भी आपके पास कोई ऐसा फोन-कॉल आए, जिसमें आपके खिलाफ किसी तरह की आपराधिक केस दर्ज करने की बात कही जाए, या आपके परिवार के किसी सदस्य के गिरफ्तार होने की बात कही जाए, या किसी भी रूप में आपसे पैसे की डिमांड की जाए तो उस कॉल पर कतई भरोसा न करें, भले ही वह आपको बदले में कितने भी सबूत दिखा दे। ऐसे कॉल को तुरंत काट दें और नंबर को ब्लॉक कर दें। अगर संभव हो तो अपने नजदीकी साइबर थाने में इसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवा दें। याद रखें, देश-दुनिया की कोई भी पुलिस आपको कभी भी फोन पर केस की जांच करने को नहीं कहेगी।
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