राजनीतिक उथल-पुथल से परेशान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देवराहा बाबा से मिलीं। बाबा ने उन्हें हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया। वह आशीर्वाद स्वरूप 'हाथ' इंदिरा के दिमाग में छप गया। इसके बाद उन्होंने अपने पार्टी का सिंबल हाथ कर दिया।
बुरे दौर से गुजर रही थी कांग्रेस : देवराहा बाबा के 'हाथ' ने दिया इंदिरा गांधी का साथ, बड़ी रोचक है पार्टी के सिंबल बदलने की कहानी
Mar 27, 2024 17:17
Mar 27, 2024 17:17
- गाय और बछड़ा चुनाव चिह्न पर कांग्रेस ने लड़ा था पहला लोकसभा चुनाव
- 1977 के हार के बाद कांग्रेस का सिंबल बना हाथ का पंजा
पहले गाय और बछड़ा था कांग्रेस का चुनाव चिह्न
1952 में हुए देश का पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने गाय और बछड़ा के सिंबल पर लड़ा था। इसी सिंबल के सहारे कांग्रेस देश में लगातार चुनाव जीत रही थी। 1974 में छात्र आंदोलन के बाद देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनने लगा। 1975 में इमरजेंसी लगने के बाद हालात और खराब हो गए। विपक्षी कांग्रेस के चुनाव चिह्न गाय और बछड़े को इंदिरा गांधी और संजय गांधी का प्रतीक कहने लगे। प्रचार ये हुआ कि इंदिरा बस मुखौटा हैं असल सरकार संजय गांधी चला रहे हैं। 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली, फिर किसी तरह सरकार बन गई। पार्टी में चुनाव चिह्न को लेकर मंथन होने लगा।
देवराहा का आशीर्वाद स्वरूप 'हाथ' बन गया कांग्रेस का सिंबल
आश्रम के महंत श्याम सुंदरदास बताते हैं कि राजनीतिक उथल-पुथल से परेशान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देवराहा बाबा से मिलीं। बाबा ने उन्हें हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया। वह आशीर्वाद स्वरूप 'हाथ' इंदिरा के दिमाग में छप गया। इसके बाद उन्होंने अपने पार्टी का सिंबल हाथ कर दिया। उन दिनों देवराहा बाबा से मिलने देश की नामचीन हस्तियां अक्सर आया करती थीं।
कौन थे देवराहा बाबा
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर दवसिया गांव में देवराहा बाबा का आश्रम मौजूद है। वर्तमान समय में आश्रम के महंत श्याम सुंदरदास हैं। देवराहा बाबा के जन्मस्थान व जन्म समय के बारे में लोगों की अलग-अलग धारणाएं हैं। कोई उनका जीवन काल ढाई सौ वर्ष बताता है तो कोई पांच सौ साल। कुछ लोग देवराहा बाबा के नौ सौ वर्ष जिंदा रहने का दावा करते हैं।
सामने आए थे देवराहा बाबा के कई चमत्कार
देवराहा बाबा के अनुयायियों का मानना है कि वह बिना पूछे हर किसी के बारे में जान लेते थे। साधना शक्ति के कारण उनके पास ज्ञान का खजाना था। उनके चमत्कारों की अनेक कहानियां हैं। यही वजह थी कि देवराहा बाबा का दर्शन करने के लिए देश-विदेश के बड़े-बड़े दिग्गज आते थे। बाबा सरयू नदी के किनारे स्थित अपने आश्रम में बने मचान से भक्तों को दर्शन देते थे।
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