इस जिले के नाम से ही प्रतीत होता है, कि यहां देवों का संबंध रहा होगा। माना जाता है कि देवरहा बाबा के नाम पर ही इस जिले का नाम पड़ा है। यहां मौजूद देवरहा बाबा के आश्रम और प्राचीन मंदिरों की दूर-दूर तक पहुंच है। कई ऐसे स्थल हैं जिनको देशभर में जाना जाता है।
Deoria tourist places : देवरहा बाबा के देवरिया का करें भ्रमण, आश्रम और प्राचीन मंदिरों की देशभर में पहचान
Dec 20, 2023 18:34
Dec 20, 2023 18:34
- देवरिया के दर्शनीय स्थल
- देवरहा बाबा के देवरिया का करें भ्रमण
- यहां के भव्य मंदिरों में होंगे भगवान के दर्शन
देवरहा बाबा आश्रम
बताते हैं कि इस जिले का नाम देवरहा बाबा के नाम पर ही पड़ा था। जिनका आश्रम देवरिया की सलेमपुर तहसील के मईल गांव में सरयू नदी के तट पर स्थित है। देवरहा बाबा एक महान संत हुआ करते थे। उनकी आयु को लेकर कई किंवदंतियां है। मान्यता है, कि वह 900 वर्षों तक जीवित रहे थे। वहीं कोई कहता है कि वह 250 वर्षों तक जीवित रहे, तो कोई 500 साल तक जीवित बताते हैं। जिसको लेकर कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। बताया जाता है कि वह उत्तर प्रदेश के नदौली ग्राम, लार रोड, देवरिया के रहने वाले थे। अभी तक कोई भी उनके जन्म की तारीख और सही उम्र का आकलन नहीं कर पाया है। बताया जाता है कि देवरहा बाबा भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण को एक मानते थे। भक्तों को परेशानी से बचाने के लिए राम मंत्र और कृष्ण मंत्र जाप की दीक्षा देते थे। 19 जून 1990 ई. को देवरहा बाबा का निधन हो गया। बताया जाता है कि उनके द्वारा बताया गया मंत्र लोगों की परेशानी दूर करता था।‘’ऊं कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने !
प्रणत: क्लेश नाशाय, गोविन्दाय नमो नम:!!’’
यहां का गायत्री माता मंदिर
गायत्री माता का मंदिर कुशीनगर बाई पास रास्ते पर स्थित है। जो की देवरिया रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर तिरुपति बालाजी के मंदिर के सामने है। जहां से हर साल कलश यात्रा धूम-धाम से निकाली जाती है। जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में अगर सच्चे मन से कुछ मांगो, तो जरूर पूरा होता है। इस मंदिर को शक्तिपीठ भी कहा जाता है।
प्रसिद्ध श्याम मंदिर
देवरिया के रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर सिन्धी मिल कॉलोनी में स्थित है। यह राधा-कृष्ण जी का बहुत ही सुन्दर मंदिर है। जहां शाम को रोजाना आरती होती है और लोगों के मन को बहुत ही सुकून पहुंचता है। इस मंदिर में सफ़ेद संगमरमर लगे हुए हैं, जो पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करता है। यह बहुत आकर्षक और खुबसूरत दिखता है।
श्री तिरुपति बालाजी मंदिर
श्री तिरूपति बालाजी मंदिर कसया-कुशीनगर रोड पर गायत्री मंदिर के सामने स्थित है। इस मंदिर में रामनवमी का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मंदिर के अन्दर एक शीश महल भी मौजूद है। जहां अंदर जाने पर किसी भी व्यक्ति की बहुत सारी छवि दिखाई पड़ती हैं। जो लोगो को अपने तरफ आकर्षित करती हैं। इस मंदिर से बालाजी की भव्य रथ यात्रा भी निकाली जाती है।देवरही माता मंदिर देवरिया
देवरही माता का मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कहा जाता है की देवरही मंदिर के नाम पर ही देवरिया का नाम है। इस मंदिर में बहुत से लोग शादी-विवाह की रस्म भी करते हैं। इस मंदिर में माता सती जी की मुख्य प्रतिमा है। मान्यता है की साधु-संत, ऋषि-मुनी और देवताओं ने यहां यज्ञ करके इस भूमि का शुद्धिकरण किया था। यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है। बताते हैं कि शहर के उत्तर में जंगलो की खुदाई के दौरान यहां देवी के चरण मिले थे। तभी से लोग उन चरणों की एक पिंडी के रूप में पूजा करते हैं। इसके बाद उन चरणों में बहुत सारे चमत्कार भी देखने को मिले। जिसके चलते यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और यहां लोग अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए आते हैं। इस मंदिर में एक तालाब भी है, जिस देवरिया नौका विहार के नाम से जाना जाता है। जहां पैडल बोट की सवारी भी कर सकते है। यहां एक सेल्फी प्वाइंट भी है, जहां आप फोटो खिंचवा सकते है।यहां का अहिल्यापुर मंदिर
अहिल्यापुर मंदिर इस जिले के अहिल्यापुर गांव में स्थित दुर्गा माता का पवित्र मंदिर है। जहां नवरात्रि में यहां हजारों लोगों की भारी भीड़ होती है। इस मंदिर की प्राचीन मान्यता है। यहां लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर देवरिया रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां भीखमपुर रोड से पिपरपाती नहर होते हुए सीधे जा सकते हैं। वहीं देवरिया सलेमपुर मार्ग पर सोनूघाट से थोडा आगे अहिल्यापुर माता का भव्य गेट बना हुआ है, उस रास्ते से भी आप अहिल्यापुर मंदिर तक जा सकते है।प्रसिद्ध बाबा सोमनाथ मंदिर
इस जिले में बाबा सोमनाथ का प्रसिद्ध मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। श्रावन माह के दौरान शिवरात्रि पर यहां पूरे 1 महीने तक भक्तों की बहुत भीड़ रहती है। श्रावन के प्रत्येक सोमवार को यहां मेला भी लगता है। लोग यहां भगवान शिव की पूजा करने तथा जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है, कि लगभग 500 वर्ष पहले घने जंगलों में एक व्यक्ति भटकते हुए यहां पहुंचा था। उसे सबसे पहले यहां एक पत्थर दिखा, जिसमे बहुत ज्यादा चमक थी। इसके बाद उस आदमी ने यह बात वहां के लोगो को बताई। यहां के कुछ लोगो ने मिलकर उस पत्थर को हटवाना चाहा, लेकिन वो पत्थर नहीं हट सका। बताते हैं कि लोगों ने उस पत्थर को हाथी के द्वारा खिंचवाया, लेकिन फिर भी वह पत्थर वहां से नहीं हिला सके।शिवलिंग के रूप में पूजा जाने लगा पत्थर
बताया जाता है कि उसी रात जब वो आदमी सोया, जिसने पहली बार पत्थर को देखा था, उसके सपने में भगवान शिव प्रकट हुए और बोले की जिस पत्थर को तुम हटवाना चाह रहे हो, वो मैं खुद स्वयं हूं। तभी उस आदमी की नींद खुली और देखा की उसके अगल बगल कोई व्यक्ति नहीं था और तभी उसने लोगों को पूरी बात बताई। उसके बाद उस पत्थर को वहीं पूजा जाने लगा। तब से लेकर आज तक उसे शिव लिंग के रूप में लोग पूजते आ रहे हैं। जो आज भी लोगों की श्रद्धा का प्रतीक है। अब वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। जिसे बाबा सोमनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां दूर-दूर से लोग अपनी मन्नतें लेकर आते हैं।
दुग्धेश्वरनाथ मंदिर रुद्रपुर
दुग्धेश्वरनाथ मंदिर देवरिया जिले के रुद्रपुर क्षेत्र में स्थित है। जो देवरिया रेलवे स्टेशन से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसको लेकर मान्यता है की मंदिर में मौजूद चमत्कारी शिवलिंग की लम्बाई धरती से लेकर पाताल लोक तक है। यह 11वीं सदी के अष्टभुज में बना प्रसिद्ध मंदिर है, जो पूरे देश भर में जाना जाता है। बताते हैं कि यह शिवलिंग धरती से स्वयं उत्पन्न हुआ था। इसे किसी भी व्यक्ति द्वारा नहीं बनाया गया है। सावन के महीने में यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं और जलाभिषेक करते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रुद्रपुर नरेश ने करवाया था।Also Read
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