कुवैत में हुए भीषण अग्निकांड में 45 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में जान गंवाने वालों में गोरखपुर के भी दो शख्स शामिल हैं। शनिवार को दोनों का शव गोरखपुर पहुंचा।
कुवैत अग्निकांड के बाद गोरखपुर पहुंचे शव : परिवार का रो-रोकर बुरा हाल, प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
Jun 15, 2024 19:25
Jun 15, 2024 19:25
- कुवैत अग्निकांड के बाद गोरखपुर पहुंचे शव
- परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
- प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
कुवैत में कैशियर का काम करते थे अंगद
अंगद गुप्ता की 8 साल पहले मंगाफ शहर की एक प्राइवेट कंपनाी में कैशियर की जॉब लगी थी। उनके परिवार में पत्नी रीता, बेटी अंशिका, बेटे आशुतोष और सुमित हैं। घटना से एक दिन पहले ही अंगद ने अपने बच्चों से फोन पर बात की थी। अंगद अपने परिवार के अकेले कमाने वाले व्यक्ति थे। उनकी मौत के बाद परिवार के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। अंगद के बच्चों के भविष्य को लेकर भी परिवार के लोग चिंतित हैं। अंगद के पड़ोसियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की तरफ से कोई सांत्वना देने तक नहीं आया है।
9 साल पहले कुवैत गए थे जयराम
जयराम गुप्ता का परिवार मलंग चौराहे के पास रहता है। जयराम करीब 9 साल पहले कुवैत चए गए थे। उन्हें बाद में वहां एक शॉपिंग मॉल में कैशियर का काम मिल गया था। 2023 में वह छुट्टी पर घर भी आए थे। जयराम का एक बेटा और एक बेटी है। उनकी पत्नी सुनीता एक छोटा सा बुटीक चलाती है। पहले जयराम के परिवार वालों को यह जानकारी दी गई थी कि उनकी स्थिति खराब है और वह आईसीयू में हैं। बाद में मौत की जानकारी लगने के बाद जयराम के परिवार को गहरा सदमा लगा।
भारतीयों के लिए कुवैत खास क्यों?
दरअसल कुवैत एक ऐसा देश है, जिसकी इकॉनमी काफी हद कर विदेशी कामगारों पर निर्भर करती है। ज्यादातर भारतीय वहां जाकर मजदूरी करते हैं। यहां कमाई तो भारतीय मुद्रा के लिहाज से काफी अधिक होती है, लेकिन लेकिन यहां जिंदगी जीना मुश्किल होता है। ठेकेदार मजदूरों को एक ही कमरे में ठूंस-ठूंसकर भर देते हैं। कुवैत में काम करना ज्यादा आसान है। यहां ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं पड़ती और कमाई भी ज्यादा होती है। यहां पर किसी से भी एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता। अगर किसी दिन काम ज्यादा कराया भी जाता है, तो ओवरटाइम देना होता है। ओवरटाइम भी दो घंटे से ज्यादा नहीं हो सकता।
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