किसान परिवार से आने वाले अशोक चौधरी ने अपनी मेहनत और लगन से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिक के रूप में अपनी जगह बनाई है...
खेतों से अंतरिक्ष तक का सफर : किसान का बेटा बना इसरो का वैज्ञानिक, ग्रामीणों के लिए अशोक बना मिशाल
Dec 29, 2024 17:43
Dec 29, 2024 17:43
ग्रामीण क्षेत्र से शहर तक का सफर
अशोक चौधरी का जन्म कुशीनगर जिले के बरवां रतनपुर में हुआ था। उनके पिता किसान हैं और मां गृहणी हैं। अशोक की शुरुआती शिक्षा बरवां रतनपुर में हुई, लेकिन अपनी पढ़ाई को लेकर उनकी लगन इतनी मजबूत थी कि उन्होंने दूर जाकर शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 2019 में महामाया आईटी पॉलीटेक्निक महाराजगंज से इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया और इसके बाद लखनऊ से बीटेक की डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वह आईआईटी तिरुपति से माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स में एमटेक कर रहे हैं।
पढ़ाई में निरंतरता और मेहनत का महत्व
अशोक ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनकी सफलता का राज उनकी निरंतरता और मेहनत में छिपा है। उनका कहना है कि आपको हर दिन आठ से दस घंटे की पढ़ाई करने की जरूरत नहीं है, बस अगर आप रोज़ दो घंटे पढ़ाई करते हैं तो उसे निरंतर बनाए रखें। वह मानते हैं कि पढ़ाई के दौरान यदि आप सही दिशा में प्रयास करते हैं तो कोई भी बाधा आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकती।
सपना साकार हुआ
अशोक चौधरी की सफलता इस बात का प्रतीक है कि जो छात्र कठिन मेहनत और संकल्प से अपने लक्ष्य को निर्धारित करते हैं वे किसी भी सामाजिक और आर्थिक स्थिति से निकलकर सफलता की ऊचाइयों तक पहुंच सकते हैं। अशोक ने यह साबित कर दिखाया कि एक सामान्य किसान परिवार का लड़का भी इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में अपनी जगह बना सकता है।
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