Shiva Guru Mahotsav : शिव का संदेश लेकर झारखंड से गोरखपुर पहुंचीं दीदी बरखा, सीएम योगी के विकास कार्यों की तारीफ की

शिव का संदेश लेकर झारखंड से गोरखपुर पहुंचीं दीदी बरखा, सीएम योगी के विकास कार्यों की तारीफ की
UPT | फर्टिलाइजर ग्राउंड में शिव गुरु महोत्सव का आयोजन

Nov 26, 2024 14:27

झारखंड के रांची से पधारी शिव शिष्या दीदी बरखा आनंद ने गोरखपुर में आयोजित शिव गुरु महोत्सव में एक अद्भुत संदेश दिया। फर्टिलाइजर ग्राउंड में आयोजित इस एक दिवसीय समागम ने आध्यात्मिक एकता और व्यक्तिगत परिवर्तन के नए आयाम स्थापित किए।

Nov 26, 2024 14:27

Gorakhpur News : बरखा दीदी शिव का संदेश लेकर शिव गुरु महोत्सव के लिए झारखंड के रांची से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर पहुंचीं। गोरखनगरी में एक दिवसीय शिव समागम महोत्सव के दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गोरखपुर में किये गये विकास कार्यों की सराहना की।

शिव शिष्या दीदी बरखा आनंद ने कहा कि इससे पहले भी हम गोरखपुर आए थे 2017 में, तब का गोरखपुर और वर्तमान गोरखपुर में काफी बदलाव हुआ है। प्रदेश सरकार ने विकास कार्यों के नए आयाम लिखे हैं। 

फर्टिलाइजर ग्राउंड में शिव गुरु महोत्सव का आयोजन 
मंगलवार को शिव शिष्य परिवार द्वारा गोरखपुर के फर्टिलाइजर ग्राउंड में शिव गुरु महोत्सव का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम का आयोजन महेश्वर शिव के गुरु स्वरूप से एक-एक व्यक्ति का शिव्य के रूप में जुड़ाव हो सके इसी बात को सुनाने और समझाने के निमित्त किया गया।

शिव केवल नाम के नहीं अपितु काम के गुरु
शिव शिष्य साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी के संदेश को लेकर आईं कार्यक्रम की मुख्य वक्ता दीदी बरखा आनन्द ने कहा कि शिव केवल नाम के नहीं अपितु काम के गुरु हैं। शिव के औढरदानी स्वरूप से धन, धान्य, संतान, सम्पदा आदि प्राप्त करने का व्यापक प्रचलन है तो उनके गुरु स्वरूप से ज्ञान भी क्यों नहीं प्राप्त किया जाए? किसी संपत्ति या संपदा का उपयोग ज्ञान के अभाव में धातक हो सकता है।

शिव का शिष्य बनने के लिए दीक्षा की आवश्यकता नहीं
दीदी बरखा आनंद ने कहा कि शिव जगतगुरु हैं और इसलिए दुनिया का हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय या लिंग का हो, शिव को अपना गुरु बना सकता है। शिव का शिष्य बनने के लिए किसी पारंपरिक चिकित्सा या दीक्षा की आवश्यकता नहीं है। बस यह विचार कि "शिव मेरे गुरु हैं" स्वतः ही शिव का शिष्यत्व आरंभ कर देता है। इस विचार की स्थायित्व हमें शिव का शिष्य बनाती है।

आप सभी को ज्ञात है कि शिव शिष्य साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने सन् 1974 में शिव को अपना गुरु माना। 1980 के दशक तक आते-आते शिव की शिष्यता की अवधारणा भारत भूखण्ड के विभिन्न स्थानों पर व्यापक तौर पर फैलती चली गई। शिव शिष्य साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी और उनकी धर्मपत्नी दीदी नीलम आनंद जी के द्वारा जाति, धर्म, लिंग, वर्ण, सम्प्रदाय आदि से परे मानव मात्र को भगवान शिव के गुरु स्वरूप से जुड़ने का आह्वान किया गया।

शिव ही गुरु हैं और दुनिया का हर व्यक्ति उनका शिष्य
भैया अर्चित आनंद ने कहा कि यह अवधारणा पूर्णतया आध्यात्मिक है, जो भगवान शिव के गुरु रूप से प्रत्येक व्यक्ति के जुड़ाव से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि शिव के शिष्य और अनुयायी अपने सभी आयोजन इसी उद्देश्य से करते हैं कि "शिव ही गुरु हैं और दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति उनका शिष्य बन सकता है। 

शिव का शिष्य होने में तीन सूत्र ही सहायक 
शिव का शिष्य होने में मात्र तीन सूत्र ही सहायक है।  पहला सूत्रः- अपने गुरु शिव से मन ही मन यह कहें कि 'हे शिव, आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिए। दूसरा सूत्रः- सबको सुनाना और समझाना है कि शिव गुरु हैं ताकि दूसरे लोग भी शिव को अपना गुरु बनायें। तीसरा सूत्रः- अपने गुरु  शिव को मन ही मन प्रणाम करना है। इच्छा हो तो "नमः शिवाय" मंत्र से प्रणाम किया जा सकता है। इन तीन सूत्रों के अलावा किसी भी अंधविश्वास या आडम्बर का कोई स्थान बिल्कुल नहीं है। इस महोत्सव में समीपवर्ती क्षेत्रों से  लोग शामिल हुए। इस समेत अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने विचार रखे।

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